NN: सरकार ने 200 रुपए का नया नोट लाने की तैयारी पूरी कर ली है। लेकिन यह कब से आएगा इसकी तारीख की जानकारी नहीं दी गई है। अलबत्ता अब यह तय हो गया है कि नया नोट जल्द बाजार में आ जाएगा। इसका आकार भी ऐसा रखा गया है जिससे मौजूदा एटीएम में किसी तरह की बदलाव की जरूरत नहीं पड़ेगी।


दो हजार के नोटों की जमाखोरी
दूसरी ओर सरकारी सूत्रों ने इस बात की भी पुष्टि की है कि बाजार में दो हजार रुपए के नोटों की जमाखोरी हो रही है जिसकी वजह से इसकी कमी महसूस की जा रही है। इन नोटों की छपाई रोकने संबंधी अटकलों पर भी विराम लगाते हुए सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि 2000 के नोटों की छपाई तय संख्या के हिसाब से हुई है और आगे भी जरूरत के मुताबिक ही छपाई होगी। असीमित संख्या में दो हजार रुपये के नोटों की छपाई जारी नहीं रह सकती।

सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक देश में 200 रुपये के नोट की छपाई बड़े पैमाने पर शुरू कर दी गयी है। साथ ही इसे लांच करने की तारीख भी तय हो गयी है। कोशिश यही रहेगी कि बाजार में लाए जाने के बाद इसकी कोई कमी नहीं हो। अभी बाजार में एक रुपये के अलावा 10, 20, 50, 100, 500 और 2000 रुपए के नोट जारी किए जाते हैं। छोटी और बड़ी कीमत के नोटों में अंतर अधिक होने के चलते ही सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ मिलकर 200 रुपए के नोट लाने की योजना बनायी।

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सूत्रों के मुताबिक 200 रुपए का नोट बाजार में उपलब्ध नोटों के आकार का ही होगा इसकी वजह से देश भर के सवा दो लाख से ज्यादा एटीएम में नोट के खांचे को नयी शक्ल देने की जरूरत नहीं होगी। ध्यान रहे कि 500 और 2000 रुपए के नए नोट लाने के समय सभी एटीएम को चरणबद्ध तरीके से रिकैलिब्रेट किया गया जिससे तमाम एटीएम काफी समय तक चालू नहीं हो पाये। इससे लोगों को कुछ समय तक परेशानी का सामना करना पड़ा। लेकिन अब आगे ऐसी स्थिति नही रहेगी।


दो हजार के नोट का मामला संसद में
राज्यसभा में बुधवार को 2000 के नोटों का मामला उठा। सपा सांसद नरेश अग्रवाल और जदयू सांसद शरद यादव ने सरकार ने 2000 रुपए के नोटों की छपाई बंद होने को लेकर चल रही अटकलों पर सफाई देने को कहा। यहां पर मांग प्वाइंट ऑफ ऑडर की उठी। दूसरी ओर इस मामले पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ-साफ तो कुछ भी नहीं कहा लेकिन ये जरूर कह दिया कि ये मामला 'प्वाइंट ऑफ ऑर्डर’ का नहीं, बल्कि 'प्वाइंट ऑफ होर्डर’ का है। खास बात ये रही कि जेटली की इस टिप्पणी के साथ ही नोटों को लेकर उठ रही आवाज शांत हो गयी और फिर आगे की कार्यवाही शुरू हो गयी।

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बाद में सरकारी सूत्रों ने ये माना कि बाजार में 2000 रुपए के नोट कम हो गए हैं। लेकिन इसकी वजह छपाई बंद होना नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर की जा रही जमाखोरी है। सूत्रों के मुताबिक बाजार में मांग और आपूर्ति के समीकरण के आधार पर तय होता है कि कितने नोट छापे जाएंगे। तकनीकी भाषा मे इसे इंडेट कहा जाता है। इसी के आधार पर रिजर्व बैंक, नोट प्रिटिंग प्रेस को नोट की छपाई का आदेश देता है। अब ऐसे में मुमकिन है कि 2000 रुपए के नोटों की कम छपाई हो रही हो और निचली कीमत वाले नोटों की ज्यादा, लेकिन नोटों की छपाई बंद कर दी गयी हो, ये सही नहीं।

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