13 मेडिकल कॉलेज प्रदेश में
2 मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रदेश में
16 सौ से अधिक सीटों पर एडमिशन
2 नए मेडिकल कॉलेज जुड़ने थे
-इसी वर्ष से शुरू होने थे जालौन और आजमगढ़ में प्रवेश
-केजीएमयू से संबद्ध हैं दोनों मेडिकल कॉलेज
LUCKNOW:
प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में 200 एमबीबीएस सीटें बढ़ाने के प्रस्ताव पर ग्रहण लग सकता है। पिछले माह हुई मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में 200 सीटे बढ़ाने से मना कर दिया गया। साथ ही एक माह में कम्पलायंस रिपोर्ट भी मांगी है।
केजीएमयू से हैं संबद्ध
चिकित्सा शिक्षा विभाग के अनुसार प्रदेश में कुल 13 मेडिकल कॉलेज हैं। जिनमें दो मेडिकल यूनिवर्सिटी भी हैं। जिनमें पिछले वर्ष नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) के द्वारा यूपी कोटे से सरकारी मेडिकल कालेजों में 1673 सीटों पर प्रवेश दिया गया था। इनमें इस वर्ष दो और मेडिकल कॉलेज जुड़ने थे। इनमें जालौन और आजमगढ़ मेडिकल कॉलेज हैं। दोनों ही जगहों पर 100-100 सीटे हैं। जिसके लिए प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इंस्पेक्शन कराया, लेकिन मेडिकल तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के लिए इस बाद भी यहां एडमिशन मिल पाना मुश्किल है।
एमसीआई ने नहीं दी अनुमति
पिछले माह हुई एमसीआई की एग्जिक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में दोनों ही कॉलेजों को एमबीबीएस की 100 सीटों पर प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। ये कॉलेज किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से संबद्ध हैं। हालांकि काउंसिल ने दोनों ही कॉलेजों को एक माह में कम्पलायंस रिपोर्ट देने को कहा है। लेकिन यह बहुत मुश्किल है कि इतनी जल्दी सरकार इन कॉलेजों में फैकल्टी, मशीनें, पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती कर सके।
ये मिलीं कमियां
आजमगढ़ मेडिकल कॉलेज
-फैकल्टी में 29.24 परसेंट की कमी
-रेजीडेंट्स की 20.96 परसेंट कमी
-50 फीसद बेड खाली
-इंस्पेक्शन के दिन केवल 11 ऑपरेशन (4 माइनर)
-सीटी स्कैन उपलब्ध नहीं
-आईसीसीयू, एसआईसीयू में एक भी मरीज नहीं मिला
-एग्जाम हॉल की कैपेसिटी 250 की जह सिर्फ 110
जालौन मेडिकल कॉलेज
फैकल्टी में 33.96 परसेंट की कमी
-रेजीडेंट 24.19 फीसद कम
-नर्सिग स्टाफ में 247 की जगह सिर्फ 89 तैनात
-पैरामेडिकल व नान टीचिंग स्टाफ भी 179 की जगह सिर्फ 25
-आईसीयू में एक भी मरीज नहीं
पिछले वर्ष हुए प्रवेश
एमबीबीएस
सरकारी 1673
प्राइवेट 2550
बीडीएस
सरकारी 51
प्राइवेट 2200
कमियों को पूरा किया जाएगा। दोबारा इंस्पेक्शन कराया जाएगा। इसी वर्ष एडमिशन कराने के प्रयास किए जा रहे है।
डॉ। केके गुप्ता, डीजीएमई