चूहों की कारस्तानी से भरभरा कर जमींदोज को गया पुराना मकान

आगरा संवाददाता: यह जो आप नेस्तानाबूद हुए घर का मंजर देख रहे हैं, यह कोई तूफान का असर नहीं है, बल्कि चूहों की करामात है। चूहों ने कुतर-कुतरकर जमीन को खोखला कर दिया। घर की नींव हिला दी। और नतीजा यह हुआ कि 130 मील की रफ्तार से आए साइक्लोन के तीन दिन बाद तक खड़ा घर आखिरकार संडे को धड़धड़ाकर गिर पड़ा। गनीमत यह रही कि घर की नाजुक हालात और तूफान के कहर को देखते हुए घर में रहने वाले परिवार ने एक दिन पहले ही दूसरे घर में अपना ठिकाना बना लिया था। वरना तबाही का मंजर कुछ और ही होता।

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चूहों ने मकान के बेसमेंट को कर दिया था खोखला

फ्लिपगंज, टीले वाली गली निवासी सुधीर वर्मा मोती गंज में एजेंट हैं। उनके भाई संजीव दवा कंपनी में काम करते हैं। सुधीर यहां पर 90 साल पुराने मकान में बेटा, बेटी और पत्नी के साथ रहते थे। पहले मकान के बराबर से दाल मील था, जो कुछ साल पहले बंद हो गया। उस जमीन को किसी ने दो साल पहले खरीद लिया। फिर जेसीबी चलवा दी। दाल मील वाली जगह मकान से एक मंजिल नीचे रह गई मकान टीले पर था। इधर, दाल मील के गोदाम में बहुत चूहे थे। जो घर की नींव में मिट्टी खोदकर घुस गए। चूहों ने मकान के नीचे से इतनी मिट्टी निकाल दी कि उसमें बेसमेंट बन गया। नतीजा यह निकला कि घर की नींव कमजोर हो गई। मकान गिरासू हालत में हो गया।

 

 

 


आंधी ने भी इमारत को किया कमजोर

बीते 11 अप्रैल को आए तेज तूफान और बारिश ने 90 साल पुराने इस मकान में रहने वाले परिवार को टेंशन में ला दिया। शनिवार को ही सुधीर ने परिवार सभी सदस्यों को अपने भाई के घर में शिफ्ट कर लिया। क्योंकि परिवार को भरोसा था कि घर कभी भी गिर सकता है। तूफान के बाद से मकान की दीवारें हिल रही थीं। रविवार की सुबह मकान नींव से पकड़ छोड़ चुका था। रविवार सुबह आठ बजे मकान भरभरा कर तेज धमाके के साथ जमीन पर आ गया। चारों तरफ धूल का गुबार उठ गया। धमाके की आवाज से आसपास के लोग कांप गए। लोगों ने बाहर आकर देखा तो मकान जमींदोज हो चुका था। लोगों का कहना था कि गनीमत थी कि किसी को चोट नहीं लगी।

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