- यूपीडा के सीईओ अवनीश अवस्थी ने किया एक्सप्रेस वे का मुआयना

- लखनऊ से आगरा तक पांच जगह लिए गये सड़क के सैंपल

- जमीनों के अधिग्रहण में धोखाधड़ी की पहले ही दर्ज हो चुकी है एफआईआर

LUCKNOW:योगी सरकार के दो महीने पूरे होने के बाद अचानक पूर्ववर्ती सपा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे की जांच शुरू कर दी गयी। एक्सप्रेस वे का निर्माण करने वाले यूपीडा के सीईओ अवनीश कुमार अवस्थी ने रविवार को तीन सौ किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस वे का मौका मुआयना किया। इस दौरान पांच जगहों से रोड कटिंग कर सड़क का सैंपल लिया गया ताकि उसकी गुणवत्ता की जांच करायी जा सके। इसके साथ, एक्सप्रेस वे के निर्माण में सामने आई तमाम खामियों का भी गहनता से परीक्षण किया गया। सूत्रों की माने तो एक्सप्रेस वे की जांच को दिशा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा कोई बड़ा कदम भी उठाया जा सकता है।

मशीन से हटानी पड़ी कोटिंग

सड़क की गुणवत्ता की जांच के लिए अवनीश अवस्थी के नेतृत्व में गयी टीम ने पांच जगहों पर सड़क की ऊपरी कोटिंग हटाकर सैंपल बटोरा गया। इस दौरान कई जगह ड्रिलिंग मशीन की जरूरत भी आन पड़ी। अधिकारियों का काफिला ऐसी तमाम जगहों पर भी रुका जहां पर सड़क निर्माण में कई कमियां देखी गयी। दिन भर चली इस कवायद के बाद टीम आगरा तक पहुंच गयी, इसके बाद अधिकारियों ने शाम छह बजे वापसी का रुख किया। सीईडी द्वारा किए गये इस औचक दौरे से यूपीडा में भी हड़कंप का माहौल है और एक्सप्रेस वे के निर्माण से जुड़े कई अफसरों और इंजीनियरों पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है। ध्यान रहे कि चुनाव के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एक्सप्रेस वे के निर्माण की लागत को लेकर सवाल उठाए थे जिसके बाद यह संभावना जताई जा रही थी कि राज्य सरकार इसकी गहन जांच कराएगी। इसके बाद यूपीडा के फायनेंस कंट्रोलर सुशील कुमार को सस्पेंड भी कर दिया गया। साथ ही एक्सप्रेस का टेक्निकल सर्वे कराने की बात भी कही गयी थी।

डीएम से भी मांगा है ब्योरा

मालूम हो कि विगत 21 अप्रैल को यूपीडा के सीईओ अवनीश अवस्थी ने एक्सपे्रस वे के दायरे में आने वाले सभी दस जिलों के डीएम से जमीनों की खरीद फरोख्त का ब्योरा तलब किया था। बड़े पैमाने पर घोटाला अंजाम दिए जाने की आशंका को देखते हुए यह कदम उठाया गया था। दरअसल विगत 16 अप्रैल को फिरोजाबाद की डीएम नेहा शर्मा ने जमीन के मुआवजे में घोटाले को लेकर चकबंदी अधिकारी समेत 27 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी थी। इसके बाद यूपीडा की ओर से डीएम को पत्र भेजकर कहा गया कि एक्सप्रेस वे के निर्माण से साल भर पहले तक जिन जमीनों का लैंड यूज बदलकर उनको खरीदा और बेचा गया, उनकी रजिस्ट्री और बैनामे का पूरा ब्योरा जुटाकर एक महीने के भीतर भेजा जाए। दरअसल यह आशंका जताई जा रही है कि पूर्ववर्ती सरकार ने अपने करीबियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से अधिकारियों को कृषि की जमीन को आबादी के रूप में दिखाकर ज्यादा मुआवजा देने का दबाव बनाया जिससे राज्य सरकार को हजारों करोड़ रुपये की हानि हुई।

बॉक्स

पूर्व प्रमुख सचिव ने भी उठाए थे सवाल

मालूम हो कि एक्सप्रेस वे के निर्माण को लेकर पूर्व प्रमुख सचिव सूर्य प्रताप सिंह ने भी तमाम सवाल खड़े किए थे। साथ ही यूपीडा को इसका ऑडिट कराने की चुनौती भी दी थी। एसपी सिंह का दावा था कि एक्सप्रेस के निर्माण में पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई के मानकों से ज्यादा लागत का इस्तेमाल किया गया जिससे इसकी लागत बढ़ती चली गयी। वहीं यूपीडा के तत्कालीन सीईओ ने भी उन्हें ऑडिट कराकर आरोप सिद्ध करने की चुनौती दे डाली थी।

कोट

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे के निर्माण के सभी पहलुओं को परखा गया है। एक्सप्रेस वे को पूरी तरह शुरू करने के लिए यह निरीक्षण किया गया है। कुछ जगहों से सड़क के सैंपल भी लिए गये हैं।

- अवनीश अवस्थी,

सीईओ, यूपीडा

फैक्ट फाइल

23 नवंबर 2014 शिलान्यास

21 नवंबर 2016 लोकार्पण

-302 किमी लंबा है आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे

-23 महीने के रिकॉर्ड टाइम में तैयार हुआ

- 15 हजार करोड़ रुपये की लागत

-3.5 घंटे में लखनऊ से आगरा की दूरी और लखनऊ से दिल्ली की दूरी सिर्फ 5 घंटे में

-10 जिलों के 232 गांवों में लगभग 3500 हेक्टेयर जमीन 30 हजार 456 किसानों से खरीदी

-आगरा से शुरू होकर फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, हरदोई, कानपुर नगर और उन्नाव होते हुए लखनऊ

- देश का पहला एक्सप्रेस वे, जिस पर एयर स्ट्रिप बनी है। इस पर सुखोई विमान भी उतारे गये थे