बीएचयू में छह व सात जून को हुई 20 मौतों पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

भाजपा विधायक हर्षवर्धन बाजपेयी हैं कंपनी के मालिक

उनकी कंपनी के पास आक्सीजन गैस के उत्पादन का लाइसेंस ही नहीं

औद्योगिक गैस का उत्पादन करने वाली कंपनी को आक्सीजन सप्लाई का ठेका कैसे दे दिया गया। वह भी तब जबकि उसके पास आक्सीजन के उत्पादन का लाइसेंस ही नहीं था। यह सवाल उठाया है इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सर सुंदर लाल अस्पताल (बीएचयू) में औद्योगिक गैस से 20 मरीजों की मौत के मामले सुनवाई के दौरान। कोर्ट ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा और राज्य सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगा है। इस घटना की सीबीआइ जांच की मां के लिए जनहित याचिका दाखिल हुई है। अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी।

इलाहाबाद की कंपनी ने की थी सप्लाई

बीएचयू में आक्सीजन के नाम पर औद्योगिक गैस की सप्लाई नैनी इलाहाबाद की परेरहाट इंडस्ट्रियल इंटरप्राइजेज प्रा। लि। चकदाउद नगर ने की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जस्टिस दिलीप गुप्ता और अमर सिंह चौहान की खंडपीठ ने भुवनेश्वर द्विवेदी की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता केके राय व चार्ली प्रकाश ने बहस की। कोर्ट ने अस्पताल में आक्सीजन आपूर्ति का ठेका देने की स्थिति सहित मरीजों की मौत पर महानिदेशक से जांच कर विस्तृत हलफनामा मांगा है।

कोर्ट में उठे सवाल

परेरहाट कंपनी भाजपा विधायक हर्षवर्धन बाजपेई की है

औषधि विभाग ने परेरहाट कंपनी को मेडिकल आक्सीजन गैस उत्पादन करने का लाइसेंस ही नहीं दिया है

यह कंपनी न तो मेडिकल नाइट्रस आक्साइड और न ही मेडिकल आक्सीजन गैस का उत्पादन करती है

किन परिस्थितियों में कंपनी को अस्पताल में आक्सीजन गैस आपूर्ति का ठेका दे दिया गया

रिपोर्ट में किया गया है जिक्र

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने उप कुलपति बीएचयू को पत्र लिखकर सूचित किया है कि निरीक्षण में सर सुंदर लाल अस्पताल, लंका वाराणसी में नॉनफार्मोकोपिकल ग्रेड की नाइट्रस आक्सीजन गैस का उपयोग किया गया, जो औषधि की श्रेणी में नहीं आती। याची अधिवक्ता का यह भी कहना है कि मार्च से लेकर जून तक 50 से अधिक मौतों के कारण तथा परेरहाट कंपनी को आक्सीजन गैस आपूर्ति ठेके की परिस्थितियों की जांच की जाए।

कोर्ट का आदेश

महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एक कमेटी गठित कर प्रकरण की जांच कराएं

जांच रिपोर्ट सहित हलफनामा कोर्ट में दाखिल किया जाय

यह था मामला

सर सुंदर लाल अस्पताल बीएचयू वाराणसी में छह और सात जून 2017 को 20 मरीजों की अचानक मौत हो गई थी। इसे लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने आंतरिक जांच कराई तो पता चला कि अस्पताल में मेडिकल आक्सीजन गैस की बजाए औद्योगिक गैस की आपूर्ति की गई थी। जिसमें से कुछ लोगों की मौत इसी औद्योगिक गैस की वजह से हुई है।