हाई कोर्ट ने कहा, दूसरे विषय की डिग्री को क्वालिटी प्वाइंट अंक देना शासनादेश की गलत व्याख्या करना है

संबंधित विषय पर स्नातक डिग्री को क्वालिटी प्वाइंट अंक देकर तीन महीने में चयन पूरा करने का निर्देश

आवेदन किसी विषय के लिए किया और किसी दूसरे विषय में क्वालिटी प्वाइंट मा‌र्क्स के आधार पर सेलेक्शन पा लिया। एलटी ग्रेड टीचर्स की भर्ती में इस प्रक्रिया से सेलेक्शन पाने वालों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि क्वालिटी प्वाइंट मा‌र्क्स उसी विषय की डिग्री पर दिया जा सकता है जिसमें सहायक अध्यापकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया था। विज्ञापित विषय से इतर दूसरे विषय की स्नातक डिग्री को क्वालिटी प्वाइंट देने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि यह व्यवस्था भर्ती में शामिल अभ्यर्थियों में से योग्यतम अभ्यर्थियों के चयन के लिए अपनाई गई है। ताकि संबंधित विषय के पढ़ाने वाले योग्यतम अध्यापक नियुक्त हो सकें और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो।

याचिकाएं कोर्ट ने की स्वीकार

यह आदेश जस्टिस एसपी केशरवानी ने रवींद्र बाबू श्रीवास्तव व अन्य समेत दर्जनों याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने एलटी ग्रेड के सहायक अध्यापकों की भर्ती में संबंधित विषय के परास्नातक डिग्री को ही क्वालिटी प्वाइंट मा‌र्क्स देने को सही माना है। संबंधित सभी संयुक्त शिक्षा निदेशकों/ सक्षम प्राधिकारियों को संबंधित विषय पर स्नातक डिग्री को क्वालिटी प्वाइंट अंक देकर तीन महीने में चयन प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि विज्ञापित विषय से इतर किसी विषय की डिग्री को क्वालिटी प्वाइंट मा‌र्क्स देना शासनादेश की गलत व्याख्या करना है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता राधाकांत ओझा, विभु राय ने बहस की।

क्या था पूरा मामला

प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में क्षेत्रीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों ने 2012 में 1425 एलटी ग्रेड सहायक अध्यापकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला

जिसमें परास्नातक डिग्री धारकों को क्वालिटी प्वाइंट मा‌र्क्स देने की व्यवस्था की गई

इसकी गलत व्याख्या करते हुए विषय से इतर दूसरे विषय के परास्नातकों को अंक दिए गए

कई को नियुक्ति पत्र भी जारी हो गया

याचिका दाखिल हुई तो कोर्ट ने नियुक्ति पर रोक लगाते हुए चयनितों को कार्यभार ग्रहण करने से रोक दिया