-चोरी, छेड़छाड़, लूट, मर्डर में पकड़े जा चुके हैं ऑटो ड्राइवर्स

-न तो ड्राइवर्स की कोई पहचान न कोई पुलिस वेरिफिकेशन,

BAREILLY: लगातार वारदातों से ऑटो का सफर अनसेफ हो गया है। ऑटो ड्राइवर्स मौके का फायदा उठाकर या तो ऑटो के अंदर वारदात कर रहे हैं या फिर बाहर वारदातों में शामिल हो रहे हैं। यहां तक कि ऑटो से जुड़े धंधे के लोग भी बड़ी वारदातों में शामिल हैं। न तो ऑटो ड्राइवर्स की कोई पहचान है और न ही पुलिस के पास इनका कोई रिकॉर्ड। ऐसे में कोई वारदात कर ऑटो ड्राइवर फरार हो जाए तो उसे पकड़ना मुश्किल है। आइए बताते हैं क्यों है ऑटो का सफर अनसेफ

बिन पहचान के रख रहे ड्राइवर्स

शहर में वैध और अवैध रूप से ऑटो चल रहे हैं। कुछ ड्राइवर अपना ऑटो खरीदकर चलाते हैं लेकिन इनमें से अधिकांश ऑटो किराए पर चलते हैं। ऑटो मालिक को इससे कोई मतलब नहीं होता है, कि ड्राइवर कौन है, वह कहां का रहने वाला है, उसका क्राइम रिकॉर्ड कैसा है, बल्कि उन्हें सिर्फ इससे मतलब होता है कि कौन सा ड्राइवर उन्हें कमाकर ज्यादा किराया देगा।

बिना नंबर के भी दौड़ रहे ऑटो

शहर के अधिकतर ऑटो बिना नंबर के ही दौड़ रहे हैं, या फिर इन पर नंबर तो पड़े हैं लेकिन गलत पड़े हैं। कई ऑटो मालिक तो एक ही नंबर पर अलग-अलग ऑटो चला रहे हैं। पुलिस की चेकिंग में इस तरह के मामले पहले पकड़े भी जा चुके हैं। ऐसे में बिना या गलत नंबर वाले ऑटो का पता लगाना टेढ़ी खीर से कम नहीं।

बिना डीएल के दौड़ा रहे ऑटो

ऑटो को नाबालिग भी दौड़ा रहे हैं और कई ड्राइवर्स के पास ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं है। कुछ महीने पहले जब ऑटो ड्राइवर्स के वेरिफिकेशन के लिए सेटेलाइट पर आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस की ओर से कैंप लगाया गया था तो करीब 2500 ड्राइवर्स के पास लाइसेंस ही नहीं मिला था। ऐसे में हादसा होने पर भी सवारी को खतरा है।

नहीं कोई हेल्पलाइन नंबर

ऑटो के अंदर कोई भी हेल्पलाइन नंबर नहीं लिखा होता है, जबकि इस तरह से वारदातों पर लगाम लगाने के लिए ऑटो में यूपी 100 और वूमेन पावर लाइन 1090 का नंबर लिखा होना चाहिए। जिससे कोई महिला को कुछ अनहोनी लगे तो वह तुरंत इमरजेंसी नंबर पर सूचना देकर खुद को बचा सके।

मर्डर में शामिल रह चुके हैं ड्राइवर

कैंट में चलते ऑटो में छेड़छाड़ और अपहरण से पहले भी ऑटो ड्राइवर्स कई वारदातों में शामिल रह चुके हैं। सुभाषनगर एरिया में ऑटो ड्राइवर्स ने मिलकर ही कॉल गर्ल की हत्या की थी। इसके अलावा चोरी, लूट व अन्य वारदातों में ऑटो ड्राइवर्स पकड़े जा चुके हैं। ऑटो के धंधे से जुड़े लोग भी बड़ी वारदातों में शामिल रहे हैं। इज्जतनगर में अवैध रूप से स्टैंड चलाने को लेकर शेरू का मर्डर हुआ था। उसके बाद दो अन्य की हत्या और एक की हत्या की कोशिश हो चुकी है।

अवैध रूप से चल रहे स्टैंड

शहर में ऑटो स्टैंड भी अवैध रूप से चल रहे हैं, जिसके चलते इस धंधे से जुड़े लोग अवैध वसूली करते हैं। इन लोगों की मर्जी से ऑटो में सवारियां बैठती हैं। धंधे में जुड़े लोग सवारी बनकर ऑटो में बैठते हैं और लूटपाट की वारदातों को अंजाम देते हैं। कुछ दिनों पहले सेटेलाइट और किला एरिया में लूट की वारदातें हो चुकी हैं।

प्रीपेड बूथ की नहीं व्यवस्था

बड़े शहरों में ऑटो प्रीपेड बूथ के माध्यम से चलते हैं। प्रीपेड बूथ से ऑटो में रसीद कटाकर सवारी बैठती है और फिर जब ऑटो वाला उसे सवारी को पहुंचाकर वापस आता है तो उसे किराया दिया जाता है। बरेली में रेलवे जंक्शन से प्रीपेड बूथ चलाने के कई बार कागजी प्रयास हुए लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है।

पुलिस वेरिफिकेशन खानापूर्ति

ऑटो में जब भी कोई वारदात होती है तो पुलिस वेरिफिकेशन के दावे किए जाते हैं। कुछ दिन अभियान भी चलता है। ऑटो ड्राइवर्स का रिकॉर्ड भी खंगाला जाता है। कुछ महीने पहले भी ऑटो ड्राइवर्स के वेरिफिकेशन का अभियान चला था। जिसके तहत ऑटो में स्टीकर लगाए गए। ऑटो ड्राइवर्स को वर्दी और कार्ड देने का भी प्लान था लेकिन सिर्फ 800 ऑटो में स्टीकर चस्पा कर अभियान ठप हो गया।

मुश्किल नहीं वेरिफिकेशन

ऑटो ड्राइवर्स का पुलिस वेरिफिकेशन कोई मुश्किल काम नहीं है, लेकिन पुलिस और आरटीओ एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ लेते हैं। अभियान रास्ते में चल रहे ऑटो को पकड़कर चलाया जाता है, जबकि इसे दूसरे तरीके से चलाया जा सकता है। शहर में दो सीएनजी पंप हैं। सभी ऑटो यहां गैस भरवाने के लिए आते हैं, ऐसे में सीएनजी पंप पर ही कैंप लगाकर आसानी से वेरिफिकेशन किया जा सकता है। इसके अलावा ऑटो की यूनियन भी हैं। यूनियन के लोगों की मदद से भी ऑटो एक जगह इकट्ठा कर वेरिफिकेशन हो सकता है।