-श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कैम्पस में मौजूद प्रसाद काउंटर पर गड़बड़ी की शिकायत

-सीईओ ने टेंडर कैंसिल कराने की दी चेतावनी

exclusive himanshu.sharma

बाबा विश्वनाथ, औघड़दानी, भूतनाथ। ढेरों नाम हैं आपके लेकिन आप अपने नाम भोलेनाथ की तरह भोले हो, तभी तो आपके नाम पर लूटमार मची है। जो आपके रौद्र रूप से डरते हैं ना आपकी सेवा में लगे प्रशासनिक अधिकारियों का खौफ हैं इन आस्था के लुटेरों को। आपके दरबार में दुकान खोलकर प्रसाद के नाम पर गड़बड़ी कर रहे हैं वहीं फर्जी वेबसाइट बनाकर प्रसाद के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं। अब इस लूटमार को भला रोके कौैन? गंभीर बात यह है कि बाबा का प्रसाद लोगों तक पहुचंाने की जिम्मेदारी निभाने वाली सरकारी एजेंसी पराग पर भी उंगलियां उठी हैं। मंदिर के सीईओ विशाल सिंह ने श्रद्धालुओं की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए मंदिर परिसर में मौजूद पराग की दुकान को बंद करा देने और इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ एफआईआर करने की चेतावनी दी है।

'पराग' देता है बाबा का प्रसाद

काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा के प्रसाद को व्यवस्थित तरीके से भक्तों तक पहुंचाने के लिए सरकारी एजेंसी पराग को नियुक्त किया गया। 2014 से मंदिर कैम्पस में काउंटर लगाकर 30 रुपये में सौ ग्राम लड्डू और पेड़ा उपलब्ध कराता है। इस व्यवस्था से अर्जित धन का एक निश्चित अंश मंदिर को और काउंटर पर तैनात कर्मचारी को दिया जाता है। लोगों की शिकायत है कि पराग के द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा प्रसाद की क्वालिटी बहुत ही खराब है। यहां तक की हाल में ही प्रसाद में रस्सी व दूसरे अखाद्य पदार्थ मिलने की भी शिकायत भी आ चुकी है। जबकि पराग व मंदिर के बीच हुए एग्रीमेंट में पराग को समय-समय पर प्रसाद के क्वालिटी को चेक करने की बात तय हुई है। पर एक बार भी प्रसाद की क्वालिटी चेक करने की जहमत नही उठायी गयी।

किसने दिया परमीशन?

बाबा का प्रसाद देने वाला पराग काउंटर बिना परमीशन के चल रहा है। इससे गोलमाल की आशंका बढ़ जाती है। मंदिर कैम्पस में काउंटर खोलने की बात जब हुई उस वक्त पराग के पक्ष में टेंडर की एक फाइल तैयार हुई लेकिन उसपर कमिश्नर का अनुमोदन नहीं है। जबकि फाइल नोट में कमिश्नर की अनुमति को आवश्यक बताया गया है। अब सवाल उठता है कि आखिर बिना परमीशन पराग का काउंटर चल कैसे रहा है। बाबा का प्रसाद उपलब्ध कराने के लिए तय हुई तमात बातें भी सिर्फ कागज तक सीमित हैं।

कोई निश्चित हिसाब नहीं

गोलमाल की कहानी बड़ी लम्बी है। पराग के काउंटर से कितना डिब्बा प्रसाद बिका इसका कोई निश्चित लेखा-जोखा नहीं रखा जाता है। कर्मचारी ने जितना बता दिया मंदिर की व्यवस्था में उतना दर्ज हो जाता है। यह व्यवस्था 2014 से अनवरत चल रही है पर मंदिर का हिसाब रखने वाले संबधित क्लर्क के पास इसका कोई जवाब नहीं है। मंदिर के पुराने आफिस के सामने खोले गये पराग के दूध काउंटर पर जब पेप्सी बिकने लगा तो श्रद्धालुओं को यह नागवार गुजरा और दुकान बंद हो गयी। इसके बाद बाबा के पसाद के लिए मंदिर के निकास द्वार पर पराग का काउंटर लगाया गया है.

बॉक्स

निजी का क्या होगा हाल

जब सरकारी व्यवस्था का यह हाल है तो मंदिर के बाहर बिक रहे प्रसाद और दूध का हाल और खराब होगा। खोये के पेड़े के नाम पर यहां चीनी और मैदा का मिश्रण दिया जाता है और जिसकी कीमत तीन सौ से चार सौ रुपये प्रति किलो तक वसूला जाता है। यही हाल बाबा को चढ़ाने के लिए दूध का है। पानी को सफेद रंग देने के लिए उसमें कुछ अंश दूध का मिला कर उसे श्रद्धालुओं को बेचा जाता है। इसके अलावा पानी में चूना मिला कर बतौर दूध बेचने की शिकायतें भी आती रहती हैं।

वर्जन

बाबा के प्रसाद को लेकर कुछ शिकायतें आयी थीं। जिसको लेकर जांच शुरू कर दी गयी है। पराग के अधिकारियों को व्यवस्था सुधारने के लिए कड़ी चेतावनी दी गयी है। जांच में अगर कोई भी गड़बड़ी सामने आयी तो उसके खिलाफ एफआईआर कराया जायेगा।

विशाल सिंह, सीओ काशी विश्वनाथ मंदिर

हमारे पास एक व्यवस्थित लैब है जहां पर हम मार्केट में जाने वाले हर प्रोडक्ट की जांच करते हैं। विश्वनाथ मंदिर काउंटर पर प्रसाद क्वालिटी जांच के बाद ही पहुंचता है। पिछले चार सालों में हमारा और मंदिर का प्रसाद उपलब्ध कराने का एग्रीमेंट है। जिसके तहत हर साल डेयरी को बड़ी आय होती है।

आरपी सिंह, जीएम पराग डेयरी रामनगर

प्रसाद का धंधा करने वाले वेबसाइट के खिलाफ एफआईआर

मंदिर एडमिनिस्ट्रेशन ने काशी विश्वनाथ मंदिर के नाम पर इंटरनेट के जरिये प्रसाद, विशेष लड्डू पूजा, फोटो, भभूती इत्यादी उपलब्ध कराने वाली टेंपलफॉक्स डॉट कॉम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए एसएसपी को लेटर लिखा है। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह की ओर से लिखे गये लेटर में यह स्पष्ट किया गया है कि इस वेबसाइट का श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से कोई सम्बन्ध नहीं है। यह मामला आईपीसी की धाराओं के तहत साइबर क्राइम एक्ट का बनता है। इस पर जांच कर कार्रवाई करें।