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BAREILLY:

 

अडिग आस्था, विश्वास और पावन श्रद्धा, प्रभु भक्ति के यह तीन रूप हैं। मां के पूजन के लिए लोग शास्त्र सम्मत तमाम परंपरागत साधनों का प्रयोग करते हैं। लेकिन शहर के बदायूं रोड स्थित चौरासी घंटा मंदिर में पूजन सामग्री के अलावा घंटे बांधने की परंपरा इसी आस्था, विश्वास और श्रद्धा ने पूजन सामग्री में जोड़ दिया है। वर्ष क्9म्9 में चौरासी घंटों को साक्षी मानकर मंदिर का नामकरण हुआ था लेकिन आज यह सिद्ध मंदिर के नाम से विख्यात है। मां के पावन दर्शन करने समेत यहां के घंटे लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं। नवरात्रि के शुभ अवसर पर हम आपको आज बताने जा रहे हैं चौरासी घंटा मंदिर के बारे में.पढि़ए।

 

ऐसे हुआ मन्दिर का निर्माण

मन्दिर के सर्वराकार रविन्द्र मोहन गर्ग ने बताया कि क्9म्9 में पिता स्व। उमाशंकर गर्ग ने मकान बनवाने के लिए यहां प्लॉट लिया था। जब नींव खोदी जा रही थी तो उनकी मां स्वर्गीय शकुंतला देवी के सपने में देवी ने दर्शन दिए और उन्होंने मकान से पहले मन्दिर बनाने की बात कही। शकुंतला देवी ने जब यह बात पति को बताई तो उमाशंकर ने पहले सड़क के किनारे दुर्गा मां के मंदिर का निर्माण कराया। मन्दिर में एक ही दिन में 8ब् घंटे चढ़ाए गए जिसके कारण मंदिर का नाम चौरासी घंटा मन्दिर पड़ा। बताया कि अगर पिता जी घर में मन्दिर बनवाते तो मंदिर निजी हो जाता और वहां भक्तों को दर्शन नहीं मिल पाता। ऐसे में सड़क किनारे मंदिर बनवाया गया है।

 

वर्षों से जल रही अखण्ड ज्योति

मन्दिर में क्ख् अक्टूबर ख्007 को सर्वराकार के पिता ने ज्योति जलाई थी और यह अखण्ड ज्योति उनके निधन के बाद भी अभी तक जल रही है। जिसका दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते हैं। रविंद्र ने बताया कि मंदिर में अखंड ज्योति न बुझने पाए इसके लिए उन्होंने अपने सारे काम धाम छोड़ दिए हैं। कहीं आना जाना भी बंद कर दिया है। कहा कि, चार बेटियां थीं, सबकी शादी हो गई तो उसके बाद अब वह पूरी तरह मंदिर में ही अपना सारा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मंदिर में मां दुर्गा की प्रतिमा, अखंड ज्योति के अलावा शिव परिवार, बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित है। बतया कि मंदिर में हर दिन की अपेक्षा नवरात्रि के दिनों में यहां काफी तादात में भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

 

गिनीज बुक में दर्ज होगा रिकॉर्ड

नाथों की नगरी में दुर्गा जी का चौरासी घंटा मन्दिर में मनोकामना पूरी होने पर भक्त यहां पर घंटा चढ़ाते हैं। एक लाख से ज्यादा मनोकामना पूरी होने का सुबूत है मंदिर की दीवार पर लटकने समेत बड़े-बड़े भ् बक्सों और एक कमरे में भर कर रखे गए घंटे। पुजारी के मुताबिक कई भक्तों ने घंटों को पिघलाकर बड़ा घंटा बनाने का सुझाव दिया। जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि आखिर किसी भक्त की आस्था को कैसे पिघलाया जा सकता है। कहा कि, दो वर्ष बाद घंटों की संख्या के आधार पर वह मनोकामनाएं पूरी होने और बड़ी तादाद में घंटों का चढ़ावा का रिकॉर्ड वह इस मंदिर के नाम गिनीज बुक में दर्ज कराएंगे।