- बांसगांव में होती है रक्त से कुल देवी की पूजा

- वर्षो से चली आ रही पंरपरा, नवमी के दिन होता है आयोजन

BANSGAON: पूरे देश में नवरात्र की धूम मची है। मंदिरों और पंडालों में विभिन्न तरीकों से मां की आराधना हो रही है। बांसगांव के दुर्गा मंदिर में मां को खुश करने के लिए रक्त अर्पित किया जाता है। यहां श्रीनेत वंश के भारद्वाज गोत्र के युवक शारदीय नवरात्र की नवमी को अपना रक्त मां के चरणों में अर्पित करते हैं। वर्षो से चली आ रही परंपरा को स्थानीय निवासियों ने बरकरार रखा है।

पहले दी जाती थी पशुबलि

सालों से चली आ रही है परंपरा कब शुरू हुई, इसके बारे में स्थानीय लोगों के पास कोई ठोस जानकारी नहीं है। किवदंतियों के मुताबिक, श्रीनेत वंश के भारद्वाज गोत्र के वंशजों की कुलदेवी दुर्गा मंदिर में विराजती हैं। पहले यहां पशुओं की बलि देने की परंपरा थी। एक बलि कार्यक्रम के दौरान एक महात्मा चौपड़ दास शारदीय नवरात्र के अवसर पर आए। पशु बलि देखने के बाद उन्होंने लोगों को समझाया और अपना रक्त मां दुर्गा की प्रतिमा पर चढ़ाने के लिए प्रेरित किया। उसके बाद ये परंपरा अब तक चली आ रही है। हर शारदीय नवरात्र की नवमी को श्रद्घालु अपनी कुलदेवी की प्रतिमा पर रक्त चढ़ाते हैं।

नौ जगह से चढ़ाते हैं खून

बांसगांव के दिनेश शाही ने बताया कि श्रीनेत वंश के अविवाहित युवक एक जगह से और विवाहित युवक अपने शरीर के नौ हिस्सों से खून निकालकर मां के चरणों में चढ़ाते हैं। उन्होंने बताया कि इस परंपरा में किसी बच्चे का निष्क्रमण संस्कार होने के बाद उसका रक्त मातारानी को जरूर चढ़ाया जाता है। विवाहित युवक शरीर में नौ हिस्सों से खून चढ़ाते हैं जिसमें सर, दोनों बाजू, दोनों जांघ का रक्त जरूरी है।

वैसे तो पूरे साल मंदिर में भक्तों का तांता लगता है, लेकिन शारदीय नवरात्र में यहां खून चढ़ाने की विशेष परंपरा है।

श्रवण कुमार पांडेय, पुजारी, दुर्गा मंदिर बांसगांव