स्काइप और वीडियो कॉलिंग को बना सकते हैं माध्यम
मुंबई (प्रेट्र)। हाल ही में मुंबई की पारिवारिक अदालत ने अमेरिका में रह रही भारतीय महिला की तलाक की मांग में यह कहा था कि महिला खुद यहां पर मौजूद नही है। इसलिए तलाक से जुड़े मामले की पूरी जानकारी नहीं मिल सकती है। ऐसे में महिला ने परिवारिक अदालत के इस फैसले के खिलाफ मुंबई हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और वहां गुहार लगाई। इस दौरान मुंबई हाईकोर्ट के जस्टिस भारती डांगरे ने शहर के पारिवारिक अदालत के आदेश को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि पारिवारिक न्यायालय इस मामले में हाईटेक टेक्नोलॉजी का सहारा ले सकते हैं। वे इन मामलो में स्काइप और वीडियो कॉलिंग जैसे ऑप्शन को चुन सकते हैं।

वेबकैम के जरिए मैरिज काउंसिलिंग की अनुमति दी थी

जस्टिस डांगरे ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि महिला यहां आने में असमर्थ है तो वह पिता की पावर आफ अटार्नी के जरिए याचिका दायर कर सकती है। कोर्ट ने कहना है कि आज ग्लोबाइजेशन से और शिक्षित युवाओं तेजी से देश से बाहर जा रहे है। ऐसे में इन मामलों में यहां उपस्थित रहना संभव नहीं है। वहीं इसके पहले मुंबई हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में वेबकैम के जरिए मैरिज काउंसिलिंग की अनुमति दी थी। बतादें कि इस दंपति का विवाह 2002 में हुआ था, लेकिन वे 2016 से अलग रह रहे हैं। इन लोगों ने बीते साल उन्होंने पारस्परिक सहमति से तलाक लेने के लिए पारिवारिक अदालत से संपर्क किया था।

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