आरटीओ ऑफिस में चलता है दलालों का राज
हर काम का फिक्स है सुविधा शुल्क
अधिकारियों की नाक के नीचे चल रहा खेल, बाबुओं की मिलीभगत
ALLAHABAD: इससे बड़ी शर्मनाक बात क्या होगी कि आरटीओ विभाग के अधिकारियों ने पुलिस से लोकल दलालों की सक्रियता की शिकायत की है। अधिकारियों का कहना है कि विभाग के आसपास रहने वाले लोग कई सालों से विभाग में दलाली कर माहौल को दूषित कर रहे हैं। इनको हटाने की ताकत बाहर से आए अधिकारियों के पास नही है। इसके लिए पुलिस को कदम बढ़ाना चाहिए। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इस सच्चाई को परखने के लिए मंगलवार को पड़ताल की तो हकीकत सामने आ गई। विभाग के बाहर और अंदर, हर कदम पर दलालों से सीधा सामाना हुआ। पेश है लाइव रिपोर्ट
आठ सौ में लाइसेंस रिन्यूवल और हजार में नंबर
रपोर्टर ने मंगलवार को जैसे ही आरटीओ कैंपस में प्रवेश किया, माहौल समझते देर नही लगी। हर ओर पांच से छह लोगों का झुंड लगा था। सेंटर में एक व्यक्ति कागजों का बंच लिए था और बाकी लोग उसे घेरे हुए थे। सबकुछ क्लीयर था। दलाल लोगों से पैसे और कागज लेकर काम कराने का ठेका ले रहे थे। रिपोर्टर ने भी खुद को आम व्यक्ति की तरह पेश किया और एक दलाल से बातचीत शुरू कर दी।
रिपोर्टर- भाईसाहबमेरा डीएल रिन्यूवल कराना है?
दलाल- हो जाएगा लेकिन आज नहीअब गुरुवार को आना।
रिपोर्टर- क्यों?
दलाल- बुधवार को अवकाश है और गुरुवार को काम होगा। कितने दिन पहले एक्सपायर हुआ हैज्यादा दिन होगा तो अधिक फीस देनी होगी।
रिपोर्टर- बीस दिन पहले खत्म हुआ हैकितना पैसा लगेगा?
दलाल- नौ सौ रुपए लगेंगे।
रिपोर्टर- यह तो बहुत ज्यादा है?
दलाल- 500 बाबू लेंगे और चार सौ रुपए की रसीद कटेगी। बाकी जो मन हो मुझे दे देना।
रिपोर्टर- अच्छा, यह बताइए कि मेरे भाई ने एक फोर व्हीलर खरीदी है और हमें एक नंबर चाहिए?
दलाल- वीआईपी नंबर नही मिलेगा। वह ऑनलाइन दिया जाएगा।
रिपोर्टर- नही मुझे 814 या 8055 चाहिए?
दलाल- यह नॉन वीआईपी नंबर है, मिल जाएगा। अब गुरुवार को आइएगा। क्योंकि, पांडे जी अब नही मिलेंगे। एक हजार तक लग जाएगा।
रिपोर्टर- ठीक है, अपना नंबर दे दीजिए?
दलाल- ठीक है लिखिए9935043
इतना कहने के बाद रिपोर्टर ने दूसरे दलाल का रुख किया। देखा कि बगल में ही एक 18 साल का लड़का कुछ लोगों से घिरा हुआ है। रिपोर्टर ने उससे जाकर बातचीत शुरू कर दी।
रिपोर्टर- मेरा ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूवल होना है?
दलाल- हो जाएगा।
रिपोर्टर- कितना पैसा लगेगा?
दलाल- गाड़ी फोर व्हीलर है या दो पहिया?
रिपोर्टर- फोर व्हीलर है और बीस दिन पहले लाइसेंस एक्सपायर हो गया है?
दलाल- दो हजार रुपए लगेंगे।
रिपोर्टर- हमें तो एक हजार रुपए बताया गया?
दलाल- किसने बताया। फोर व्हीलर है इसलिए दो हजार रुपए लगेंगे।
रिपोर्टर- आपको कितना देना होगा?
दलाल- 1450 रुपए अंदर लगेंगे, रसीद के लिए और पांच सौ रुपए मुझे दे देना। गाड़ी कहां है और कागज लाए हो?
रिपोर्टर- नही, अभी तो केवल पता करने आए हैं। गुरुवार को लेते आएंगे।
दलाल- ठीक है।
रिपोर्टर- एक नॉन वीआईपी नंबर भी चाहिए, आसानी से मिल जाएगा क्या?
दलाल- मिल जाएगा।
रिपोर्टर- कितना पैसा लगेगा?
दलाल- अब कल आना तभी बता पाएंगे। अपना मोबाइल नंबर दे दो।
रिपोर्टर- मेरा नंबर मत लो। अपना दे दो।
दलाल- 9305955
रिपोर्टर- अपना नाम बता दो?
दलाल- सलिल।
रिपोर्टर। ओके।
अंदर के हाल भी बेहाल
आरटीओ ऑफिस के भीतर भी दलालों का साम्राज्य साफ नजर आया। खासकर काउंटर नंबर चार और पांच पर तो दलाल सबसे आगे थे। उनके हाथ में कागजों को ढेर था और बैक डोर से भी वह अपना हस्तक्षेप दिखा रहे थे। जबकि, पब्लिक गर्मी में अपने नंबर का इंतजार कर रही थी। इन दोनों काउंटरों पर प्रभारी लाइसेंस नवीनीकरण अनुभाग (व्यवसायिक) और स्थाई समेत सभी प्रकार के फीस नवीनीकरण का काम होता है। बताते हैं कि यहां पर लाइसेंस रिन्यूवल की फीस जमा होने के बाद नंबर भी मिलता है। इसलिए यहां दलालों की विशेष नजर होती है।
ऑनलाइन के खौफ की आड़ में लगा दी सेंध
हाल ही में उप्र की सरकार ने आरटीओ ऑफिस में ड्राइविंग लाइसेंस, लाइसेंस रिन्यूवल, नंबर रजिस्ट्रेशन समेत सभी काम ऑनलाइन प्रॉसेस में डाल दिए हैं। उम्मीद थी कि दलालों का दखल कम हो जाएगा, लेकिन ऐसा नही हुआ। दलालों ने अपनी उपयोगिता सिद्ध करने के लिए हर मुसीबत का तोड़ ढूंढ लिया। खासकर विभागीय बाबुओं संग सांठगांठ कर ऑनलाइन सिस्टम को आसान बना दिया, जिससे ग्रामीण जनता ने दूरी बनाकर चलती है। अधिकारी भी मानते हैं कि ऑनलाइन सिस्टम लोगों के लिए अबूझ पहेली की तरह है। लोग दलाल को पांच सौ या हजार रुपए देना पसंद करते हैं बनिस्बत खुद ऑनलाइन प्रॉसेस इस्तेमाल करने के।
पिछले पंद्रह सालों से यहां दलालों का एकछत्र राज्य था, जिसे काफी हद तक कम किया गया है। जो बचे हैं उन्हें भी दूर किया जा रहा है। उनको हटाने का काम पुलिस का है। हमने नगर निगम को आरटीओ ऑफिस के बाहर के अतिक्रमण को हटाने की रिक्वेस्ट भेजी है, जिस पर कोई एक्शन नही हुआ। पुलिस और प्रशासन सहयोग करे तो दलालों की उपस्थिति को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है।
अनिल कुमार सिंह, एआरटीओ प्रशासन