प्रमोशन में नियमों की उड़ रही धज्जियां

अधिकारियों का विश्वास हासिल कर नियम विरुद्ध करा रहे प्रमोशन

DEHRADUN:

राज्य सरकार द्वारा पर्सनल असिस्टेंट संवर्ग के प्रमोशन के मामले में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी कर दिये गये हैं। बावजूद शासन और प्रशासन में इस संवर्ग के अनेक ऐसे कर्मचारी हैं, जिनकी पदोन्नति में इन दिशा निर्देशों को पूरी तरह से दर-किनार कर दिया गया है। समझा जाता है कि अपने अधिकारियों का विश्वास हासिल करने के बाद ये वैयक्तिक सहायक समय-समय पर नियम विरुद्ध प्रमोशन पाते रहे हैं। इससे इस संवर्ग के अन्य कर्मचारियों में हमेशा असंतोष की स्थिति बनी रहती है।

क्या है नियमावली

क्ब् जुलाई ख्0क्म् को शासन द्वारा इस संबंध में एक आदेश जारी किया गया था। सचिव की ओर से जारी इस जीओ में वित्त विभाग के 8 मार्च ख्0क्क् के शासनादेश का हवाला देते हुए कहा गया था। सचिव की ओर से यह आदेश सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और विभागाध्यक्षों को भेजा गया था। आदेश के अनुसार वैयक्तिक सहायकों की सीधी भर्ती होगी, वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक के लिए 8 वर्ष की संतोषजनक सेवा, वैयक्ति अधिकारी के लिए वरिष्ठ वैयक्ति सलाहकार के रूप में भ् वर्ष की संतोषजनक सेवा अथवा अधीनस्थ पदों पर क्भ् वर्ष की सेवा और मुख्य वैयक्तिक अधिकारी के लिए वैयक्तिक अधिकारी के रूप में फ् वर्ष की सेवा अथवा अधीनस्थ पदों पर ख्भ् वर्ष तक ही संतोषजनक सेवा की हो।

कई मामलों में नियमों का उल्लंघन

स्पष्ट नियमावली होने के बावजूद वैयक्तिक सलाहकारों के प्रमोशन के लिए आमतौर पर मनमानी की जाती रही है, यही वजह है कि शासन और प्रशासन में ऐसे अनेक वैयक्तिक सलाहकार अथवा वैयक्तिक अधिकारी हैं, जो नियम विरुद्ध प्रमोशन पाकर अधिक वेतन पा रहे हैं, इससे कई विभागों में सीनियरिटी का पैमाना पूरी तरह से गड़बड़ाया हुआ है।

नियम विरुद्ध हुए प्रमोशन का कोई लेखा-जोखा तक नहीं

स्थिति यह है कि विभागों के पास कोई ऐसा लेखा-जोखा नहीं है जिससे यह पता चल पाये कि इस संवर्ग के कितने कर्मचारियों के प्रमोशन में निर्धारित नियमों का पालन नहीं किया गया है। प्रशासन में ऐसे भी मुख्य वैयक्तिक अधिकारी हैं जो कम समय में ही कई प्रमोशन पा चुके हैं, जबकि उनसे सीनियर लगातार पिछड़ रहे हैं।

छोटा पद, बड़ा रुतबा

पर्सनल असिस्टेंट अथवा पर्सनल ऑफिसर बेशक एक क्लर्क के समकक्ष पद होता है, लेकिन इस पद का रुतबा काफी बड़ा होता है। एक पीए की क्या स्थिति होती है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में देहरादून के डीएम के कैम्प ऑफिस में काम करने वाले पीए को कार्यमुक्त करने के लिए सीएम तक को सिफारिश करनी पड़ी। इसके लिए टिहरी विधायक ने सीएम को पत्र लिखा था, जिस पर सीएम ने डीएम को उक्त कर्मचारी को तुरंत कार्यमुक्त करने के निर्देश दिये। बताया जाता है कि प्रतिनियुक्ति पर कार्य करने वाले उक्त पीए को कार्यमुक्त करने के लिए पिछली सरकार में भी प्रयास किये गये थे, लेकिन तत्कालीन सीएम ने डीएम से पूछा तो डीएम उक्त कर्मचारी के कार्य पर संतोष जताया था, इसके बाद उसे कार्यमुक्त करने के प्रयास सफल नहीं हो पाये थे।

जिला प्रशासन में पर्सनल असिस्टेंट की नियुक्ति कमिश्नरी लेवल पर होती है और उनके प्रमोशन में सीनियरिटी और कार्य क्षमता को आधार बनाया जाता है।

बीर सिंह बुदियाल, अपर जिला अधिकारी फाइनेंस