नोट-पेज नं एक के लिए प्रस्तावित है

-बनारस आने वाले टूरिस्ट को नहीं मिल पा रहा कैश

-रुपये नहीं होने से घूमने-फिरने में हो रही परेशानी

VARANASI

एक बार फिर कैश की किल्लत हो रही है। शहर के तमाम एटीएम जवाब दे चुके हैं। बैकों में लम्बी-लम्बी लाइन लग रही है। बनारस के लोग जैसे-तैसे अपना काम चल रहा है लेकिन शहर में आने वाले टूरिस्ट बेहाल हैं। जो कैश लेकर घर से आये हैं वो एक-दो दिन में ही खत्म हो जा रहा है। फिर रुपये के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। बिना रुपयों के उन्हें घूमने-फिरने और दर्शन-पूजन में भी परेशानी हो रही है। टूरिस्ट के पास कैश की कमी का नुकसान बनारस को भी उठाना पड़ रहा है। टूरिस्ट रुपये कम खर्च कर रहे हैं और टूरिज्म से जुड़े हजारों परिवार की आमदनी प्रभावित हो रही है।

जाएं तो जाएं कहां

ये सीजन मूलरूप से डोमेस्टिक टूरिस्ट का है। विदेशी टूरिस्ट भी आते हैं लेकिन भारत में पड़ने वाली भीषण गर्मी की वजह से इनकी संख्या काफी कम होती है। जापान, चीन थाईलैंड, श्रीलंका से टूरिस्ट बनारस आते हैं। इस भारत के दक्षिणी हिस्से से बड़ी संख्या में बनारस आ रहे हैं। राजस्थान, महाराष्ट्र से इनका ग्रुप आ रहा है। पिछले एक पखवारे से कैश किल्लत ने इन्हें परेशान कर रखा है। सुरक्षा कारणों की वजह से आमतौर पर टूरिस्ट कैश की बजाय क्रेडिट, डेबिट कार्ड लेकर चलते हैं। जरूरत के मुताबिक एटीएम से रुपये हासिल कर लेते हैं। इस वक्त कैश की किल्लत की वजह से उन्हें रुपये नहीं मिल पा रहे हैं। जो थोड़े बहुत कैश उनके पास होते हैं वो एक-दो दिन में खत्म हो जा रहे हैं।

शहर का हो रहा नुकसान

बनारस आने वाले टूरिस्ट कम से कम एक सप्ताह यहां गुजारते हैं। शहर के तमाम धार्मिक-ऐतिहासिक तक पहुंचता है। इसमें उसका दो-तीन से तीन गुजर जाता है। इसके बाद गया और संगम दर्शन के लिए इलहाबाद भी यहां से जाता है। रुपयों की किल्लत की वजह से वो ठीक से शहर का भ्रमण भी नहीं कर पा रहा है। हर जगह कार्ड स्वैपिंग मशीन नहीं होने की वजह से क्रेडिट और डेबिट कार्ड भी खास काम नहीं आ रहा है। गंगा स्नान कर रहा तो नाव की सवारी से बच रहा है। होटल, लॉज, गेस्ट हाउस में रहने की बजाय धर्मशालाओं में रहना पसंद कर रहा है। जिस बनारसी साड़ी को साउथ इंडिया के लोग सबसे अधिक पसंद करते हैं उसे भी खरीदने से बच रहे हैं। पूजा-पाठ में भी रुपये कम ही खर्च हो रहे हैं।

कैश की किल्लत से टूरिस्ट परेशान हो रहे हैं। वो ठीक से शहर का भ्रमण भी नहीं कर पा रहे हैं। दूसरे शहरों तक जाना तो मुश्किल है।

अनुराग द्विवेदी, टूर ऑपरेटर

बनारस आ रहे डोमेस्टिक टूरिस्ट होटल, लॉज, गेस्ट हाउस में ठहरने के कतरा रहे हैं। रुपये नहीं होने की वजह से खरीदारी आदि भी नहीं कर रहे हैं।

कृष्णा यादव, लॉज ओनर