- सेंट्रल जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी की जल्द शुरू होगी सुविधा

- बड़े अपराधियों को नहीं ले जाना होगा कोर्ट

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तमाम सुरक्षा, जान को खतरा और अक्सर पेशी के दौरान भागने का डर, जेल में बंद कुख्यातों को पेशी पर ले जाते वक्त ये जोखिम पुलिस के लिए ये सबसे बड़ा चैलेंज होता है। लेकिन सेंट्रल जेल में जल्द ही इस टेंशन से मुक्ति मिलने वाली है। क्योंकि 2015 में सेंट्रल जेल में शुरू हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग रुम का काम पूरा हो गया है। कोर्ट से कनेक्ट होने वाले इस रुम के जरिए अब सेंट्रल जेल में बंद आतंकियों से लगायत कई बाहूबली और कुख्यात जेल के अंदर कैमरे के आगे ही कोर्ट में पेश हो जायेंगे।

नहीं हो सकेगी सेटिंग

दरअसल, बड़े क्रिमिनल्स को कोर्ट पेशी पर लाने में बड़ा खतरा होता है। इस खतरे से बचने के लिए हाईकोर्ट ने लगभग पांच साल पहले जेल से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के थ्रू ऐसे कैदियों या बंदियों की पेशी कराने के निर्देश दिए थे। जिनको पेशी पर लाने के लिए ज्यादा परपंच होता है। इसी आदेश के बाद सेंट्रल जेल में वीडियो कांफ्रेंसिंग रुम बनाने की कवायद शुरू हुई। वरिष्ठ जेल अधीक्षक अम्बरीश गौड़ के मुताबिक काम पूरा हो चुका है। एक बार ट्रायल हुआ भी था जिसमे कुछ कमी थी जिसके कारण इसे फाइनल नहीं किया गया। फिलहाल फाइनल टेस्टिंग होनी है। जुलाई के अंत तक ये कम्प्लीट हो जायेगा। अगले महीने से जेल से पेशी होने की उम्मीद है।

प्रोजेक्ट पर एक नजर

- जुलाई 2015 में सेंट्रल जेल में शुरू हुआ था वीडियो कांफ्रेंसिंग सेटअप का काम

- एक रुम में पूरे इक्यूपमेंट संग हाईस्पीड इंटरनेट से लैश है पूरा सिस्टम

- शुरुआत में 25 लाख 84 हजार रुपये का कुल खर्च होना था प्रोजेक्ट पर

- प्रोजेक्ट के बीच में रुपये कम पड़ने के बाद 2 लाख 51 हजार रुपये फिर से हुए थे अवमुक्त

- पूरे पैसे खर्च होने के बाद अब तैयार है वीडियो कांफ्रेसिंग रुम

- देश की हर कोर्ट से कनेक्ट रहेगा सिस्टम

जेल के अंदर से जल्द ही पेशी की सुविधा हो जाएगी। वीडियो कांफ्रेंसिंग रुम तैयार है। सिर्फ इसकी टेस्टिंग होनी है। जुलाई अंतिम सप्ताह तक इसको फाइनल कर दिया जाएगा।

अम्बरीश गौड़, वरिष्ठ जेल अधीक्षक