हेल्थ का उपयोगी मॉडल

- मेडिकल कॉलेज के निरीक्षण के बाद संक्षिप्त बातचीत में दी सीएम ने जानकारी

-डाक्टरों और स्टॉफ की कमी को पूरा करने के लिए उत्तराखंड मॉडल पर होगी स्पेशल भर्ती

आई एक्सक्लूसिव

अखिल कुमार

मेरठ: प्राइवेट में ज्यादा पैसा और सुविधाएं मिलने से क्रिटिकल केयर सेक्टर के डॉक्टर प्राइवेट की ओर माइग्रेट हो रहे हैं। इन्हें रोकने के लिए उत्तराखंड मॉडल को अब यूपी में भी इम्प्लीमेंट किया जाएगा। बेहतर सुविधाओं के साथ डॉक्टर्स को प्राइवेट से बेहतर सेलेरी पैकेज दिया जाएगा। डिपार्टमेंट में डॉक्टर के माइग्रेट होने से एजुकेशन इफेक्टेड कर रही है। हेल्थ डिपार्टमेंट को इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए। पहले आगरा और अब मेरठ के मेडिकल कॉलेज के निरीक्षण के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को बताया कि 'उनकी हर गतिविधि पर नजर है, वे सब देख रहे हैं और जल्द ही बड़े बदलाव हेल्थ सर्विसेज को बेहतर बनाने के लिए किए जाएंगे.'

उत्तराखंड मॉडल करेंगे एडॉप्ट

मेरठ आगमन पर मंगलवार सीएम योगी आदित्यनाथ ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो। केके गुप्ता से सुपरस्पेशिटी सर्विसेज की स्थिति की बारे में जानकारी हासिल की तो वहीं पूछा कि फिलहाल क्रिटिकल क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट्स में टीचर्स और डॉक्टर्स की क्या पोजीशन है? सीएम ने रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट में डॉक्टर्स की संख्या पूछी तो प्रिसिंपल ने जबाव में बताया कि फिलहाल एक डॉक्टर हैं, 3 टीचर चाहिए। डिपार्टमेंट इंटर्न के भरोसे चल रहा है। सीएम ने प्राचार्य से निरीक्षण के दौरान ही क्या किया जा सकता है? इस पर विस्तृत में चर्चा की। प्रिंसिपल ने बताया कि हम डॉक्टर्स की कमी को पूरा करने के लिए उत्तराखंड मॉडल को एडाप्ट कर सकते हैं।

करना होगा काम

कमी को पूरा करने और डॉक्टरों के माइग्रेशन को रोकने के लिए उत्तराखंड सरकार ने खास विभागों के डॉक्टर्स को मोटी सेलरी के अलावा माह में 1 लाख के करीब अतिरिक्त भुगतान विभिन्न माध्यमों से करने का काम किया है। गुजरात में डॉक्टरों को सेलरी के अलावा अन्य देय भी पर्याप्त दिए जा रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर मेडिकल कॉलेजेज को छोड़कर प्राइवेट की ओर रुख करना कम कर रहे हैं। मेरठ में रेडियोलॉजी के अलावा एनस्थीसिया, साइक्रेटी डिपार्टमेंट डाक्टर की क्राइसेस से जूझ रहे हैं।

एज लिमिट नहीं

डॉक्टर्स की रिटायरमेंट एज एमसीआई में 70 वर्ष है जबकि स्टेट गर्वमेंट 65 साल में रिटायमेंट दे रही है। फॉरेन की तर्ज पर एज लिमिट को समाप्त करना होगा। प्रिंसिपल ने सीएम के समक्ष साफ किया कि हेल्थ डिपार्टमेंट कई डॉक्टर क्राइसेस, स्टॉफ क्राइसेस के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जूझ रहा है। इमरजेंसी की 2 अन्य स्टोरी के निर्माण की मांग प्रिंसिपल से सीएम से कर दी। बता दें कि ये इमरजेंसी पहले 5 मंजिला बननी थी, जो बाद में पॉलिटिकल इश्यू के चलते नहीं बन सकी।

इक्यूपमेंट भी चाहिए

ट्रोमा सेंटर के निरीक्षण के दौरान सीएम ने सुविधाओं के बाबत पूछा तो प्रिंसिपल ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में ट्रामा सेंटर को बिल्डिंग तो बन गई किंतु इक्यूपमेंट नहीं हैं। फिलहाल आईसीयू में क्रिटिकल पेंसेंट का ट्रीटमेंट चल रहा है। सीएम आईसीयू वार्ड का भी निरीक्षण किया। डिटेल्ड रिपोर्ट बनाकर सीएम ने हेल्थ सर्विसेज को बेहतर बनाने के लिए सुझाव मेडिकल कॉलेज एडमिन से मांगे। मेडिसिन की समस्या भी सामने आई।

प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करोगे

बिना काम के नाम और दाम करा रहे गवर्नमेंट डॉक्टर्स को सीएम ने निरीक्षण के दौरान चेताया। साफ कहा कि प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं चलेगी। कुछ डॉक्टर्स की मनमानी की जानकारी पर सीएम ने स्पष्ट कर दिया कि अभी हम 50 डॉक्टर से काम चला रहे हैं, 5 और कम हो जाएंगे तो कोई फर्क नहीं। किंतु न मनमानी चलेगी और न धोखाधड़ी। मरीज को बाहर की दवाएं न लिखें, ओपीडी में रेगुलर रहें, प्राइवेट प्रैक्टिस की शिकायत मिली तो बर्खास्त होगे।

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मेडिकल कॉलेजेज और हास्पीटल को सुपरस्पेशिलिटी सर्विसेस देने की दिशा में सीएम से विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा हुई है। प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले और ओपीडी में न बैठने वाले अब रेगुलर नहीं रह पाएंगे।

-प्रो। केके गुप्ता, पि्रंसिपल, मेडिकल कॉलेज