- निर्माण निगम के दो प्रोजेक्ट मैनेजर्स के खिलाफ सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर

- दिल्ली की कंस्ट्रक्शन कंपनी से साठ-गांठ कर लाखों रुपये लिया कमीशन

- निर्माण निगम समेत कई और विभागों के इंजीनियर्स भी योगी सरकार के राडार पर

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LUCKNOW :उप्र राजकीय निर्माण निगम के भ्रष्ट इंजीनियरों के 'बुरे दिनों' की शुरुआत हो गयी है। सीबीआई ने निर्माण निगम के दो प्रोजेक्ट मैनेजरों के खिलाफ लाखों रुपये की रिश्वत लेने का केस दर्ज किया है। दोनों ने दिल्ली की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ साठ-गांठ कर इंप्लाई स्टेट इंश्यारेंस कारपोरेशन के प्रोजेक्ट में मुंहमांगी दरों पर काम देने के एवज में लाखों रुपये का कमीशन बटोरा। इसकी भनक सीबीआई को तब लगी जब उसने कंपनी के डायरेक्टर को डेढ़ साल पहले सीपीडब्ल्यूडी के एक सुप्रिटेंडेंट इंजीनियर को 33 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों दबोचा था। डायरेक्टर की कार में मिली डायरी की पड़ताल से मालूम पड़ा कि उसने उप्र राजकीय निर्माण निगम के दो प्रोजेक्ट मैनेजर और ईएसआईसी के कर्मचारियों को लाखों रुपये रिश्वत दी थी।

डेढ़ साल बाद दर्ज किया केस

मालूम हो कि सीबीआई ने दिल्ली की विजय निर्माण कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के मालिक एन। कृष्णाराव, बहादुर सिंह बिष्ट को इंफाल में तैनात सीपीडब्ल्यूडी के सुप्रिटेंडेंट इंजीनियर विनोद कुमार को विगत 2 अक्टूबर 2015 को 33 लाख रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने इसके बाद कृष्णा राव की गाड़ी की तलाशी ली तो उसमें एक डायरी और तमाम संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए। सीबीआई ने डायरी की पड़ताल शुरू की तो पता चला कि कृष्णा राव ने ईएसआईएस के एक प्रोजेक्ट को हथियाने के लिए दिल्ली में तैनात उप्र राजकीय निर्माण निगम के दो प्रोजेक्ट मैनेजर जीपी वर्मा और अनुराग गोयल को लाखों रुपये की रिश्वत दी। इसके अलावा ईएसआईसी के असिस्टेंट इंजीनियर विनोद, जूनियर इंजीनियर महेंद्र और नरेंद्र, अकाउंटेंट जवाहर और कौशिक को भी लाखों रुपये रिश्वत दी है। इसके बाद सीबीआई ने इस मामले की कडि़यां आपस में जोड़नी शुरू कर दी।

किश्तों में लेते रहे घूस की रकम

सीबीआई ने जांच आगे बढ़ाई तो मालूम पड़ा कि दोनों प्रोजेक्ट मैनेजर विजय निर्माण कंपनी से धीरे-धीरे करके लाखों रुपये बतौर कमीशन ले चुके थे। सीबीआई द्वारा दर्ज किए गये केस के मुताबिक 24 दिसंबर 2012 को जीपी वर्मा को पांच लाख रुपये दिए गये। इसके दो दिन बाद फिर जीपी वर्मा को तीन लाख रुपये दिए गये। इसी तरह 21 जनवरी 2015 को अनुराग गोयल को एकमुश्त बीस लाख रुपये रिश्वत दी गयी। वहीं 26 अप्रैल 2015 को अनुराग को 15 लाख और 27 अप्रैल को पांच लाख रुपये दिये गये। अनुराग को कमीशन देने का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। उनके कौशांबी स्थित घर पर 16 मई 2015 को उनकी पत्नी को सात लाख रुपये सौंपे गये। इस मामले की सारी कडि़यां जोड़ने के बाद सीबीआई ने सभी आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। इसकी जांच नई दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय की एंटी करप्शन ब्रांकरेगी।

सीएंडडीएस के पूर्व एमडी से आज पूछताछ

वहीं दूसरी ओर सीएंडडीएस के पूर्व एमडी पीके भूकेश से इंफोर्समेंट डिपार्टमेंट के अफसर सोमवार को पूछताछ करेंगे। ईडी ने तीन दिन पहले पीके भूकेश के राजधानी स्थित न्यू हैदराबाद के आवास पर छापेमारी करके कई संदिग्ध दस्तावेज बटोरे थे। एनआरएचएम घोटाले के आरोपी पीके भूकेश के पास कई बेनामी संपत्तियां होने के प्रमाण भी ईडी को मिले हैं। इसके आधार पर ईडी उनके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज करने की तैयारी में है। मालूम हो कि पीके भूकेश घोटाले के आरोप में जेल भी जा चुके हैं। उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। ईडी के सूत्रों की माने तो पीके भूकेश ने अपने करीबी रिश्तेदार के पुत्र को अपने पास रखा था और उसे पढ़ने के लिए सिंगापुर भी भेजा था, लेकिन उसकी फीस आदि हवाला के जरिए भेजी जा रही थी। पीके भूकेश अपना कोई भी बैंक खाता नहीं बता सके जिसके जरिए फीस का भुगतान किया गया हो। इसी तरह उन्होंने लखनऊ के माल इलाके में 30 बीघे का एक फार्म हाउस भी खरीदा जिसकी कीमत करोड़ों में है। उन्होंने कई बेनामी संपत्तियां भी खरीदी है जिनमें से कुछ उनके उन लोगों ने ही हड़प ली जिनके नाम उन्होंने रजिस्ट्री करायी थी।

इन मामलों की भी होनी है जांच

- स्मारक घोटाले में ईडी ने निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर मुकेश कुमार के घर पर छापेमारी की है। जल्द ही उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा।

- स्मारक घोटाले की विजिलेंस जांच में निर्माण निगम के कई इंजीनियरों द्वारा भ्रष्टाचार किए जाने के प्रमाण मिले हैं। विजिलेंस उनके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर रही है।

- पीजीआई में हो रहे निर्माण कार्यो में हुई गड़बड़ी के बाद प्रोजेक्ट मैनेजर अविनाश यादव विभागीय जांच के घेरे में आ गये है। जल्द सस्पेंड होने के आसार।

- राजधानी में बने गोमती रिवरफ्रंट की जांच के आदेश सीएम ने दिए हैं। इसमें भी कई इंजीनियरों और आर्किटेक्ट की भूमिका की जांच होनी है।

- पुराने लखनऊ के हुसैनाबाद में हुए सौंदर्यीकरण के कार्यो की जांच कराने के आदेश भी सीएम ने दिए हैं।

- गोमतीनगर स्थित इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम भी जांच के दायरे में आ चुका है।

- जेपी इंटरनेशनल कंवेंशन सेंटर, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे, साइकिल ट्रैक में भी करोड़ों रुपये के गोलमाल के आरोप हैं। जिसकी राज्य सरकार जांच करा सकती है।