- दो उपनिरीक्षकों को दस-दस वर्ष की कैद

- विधायक समर्थकों में खुशी की लहर

VARANASI

दो दशक पहले हुए बहुचर्चित अशरफ अपहरण कांड में शनिवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट की न्यायाधीश शैली राय ने एसआई भृगुनाथ मिश्र और धर्मनाथ सिंह को दोषी करार देते हुए क्0-क्0 साल कारावास की सजा सुनायी है। इस मामले में साजिश रचने के आरोपित शहर उत्तरी के विधायक रवीन्द्र जायसवाल और उनके गनर राजनाथ भारती को कोर्ट ने बरी कर दिया है। इस हाईप्रोफाइल मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर रपट दर्ज हुई थी और सुप्रीम कोर्ट तक से शीघ्र निस्तारण के निर्देश दिये गये थे। कोर्ट का फैसला आने के बाद दोनों एसआई को हिरासत में ले लिया गया। फैसले के वक्त बड़ी संख्या में विधायक समर्थक सुबह से कचहरी में डटे थे।

यह था मामला

अशरफ अपहरण कांड अपने तरह का अनूठा मामला था। खोजवां (भेलूपुर) निवासी अशरफ के खिलाफ धमकी देने का एक मामला आईपीसी की धारा भ्0ब् व भ्0म् के तहत दर्ज कराया गया था। इस मामले में कोर्ट से वारंट लेकर उसे गिरफ्तार करने की खातिर दो तेजतर्रार दरोगा राजस्थान गये थे। अजमेर में अशरफ को पकड़ा गया लेकिन वहां पर लोगों ने विरोध किया। दरगाह थाने में ख्7 मई ख्000 को बकायदा लिखा-पढ़ी कर अशरफ को दोनों एसआई की सुपुर्दगी में सौंपा गया। इसके बाद से अशरफ का आज तक पता ही नहीं चला। दो दिन के बाद जीआरपी थाने में दोनों दरोगा ने एफआईआर दर्ज करायी कि अशरफ रास्ते में कहीं फरार हो गया। दूसरी तरफ घरवालों का आरोप था कि रवीन्द्र जायसवाल के इशारे पर दोनों दरोगा ने अशरफ की हत्या कर शव को गायब कर दिया। स्थानीय अधिकारियों को प्रार्थनापत्र देने के बावजूद रपट नहीं दर्ज हुई तो कोर्ट का सहारा लिया गया। हाईकोर्ट के आदेश पर आईपीसी की धारा फ्म्ब्, ख्0क्, ख्क्8 और क्ख्0 बी के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया।

दोनों पहले जा चुके हैं जेल

इस मामले में दोनों दरोगाओं ने पहले तो हल्के में लिया लेकिन बाद में कोर्ट से वारंट जारी हो गया तो उनकी नींद उड़ गयी। कोर्ट ने दोनों के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी कर दिया जिसके बाद उन्हें कोर्ट में हाजिर होना पड़ा। कोर्ट ने दोनों को जेल भेज दिया। काफी समय के बाद उनकी जमानत हो सकी थी। इस कांड का असर उनके कैरियर पर भी पड़ा जिसके चलते प्रमोशन नहीं हो सका। वह कई थानों में प्रभारी रह चुके थे।