ये उन दिनों की बात है
ये उन दिनों की बात है जब रविंद्र जडेजा छोटे थे और जामनगर की गलियों में क्रिकेट खेलने के लिए यहां-वहां जगह और समय ढूंढा करते थे। उस समय ये खेलने के लिए उधार के जूतों से काम चलाते थे। 4-0 से इंडिया को जीत दिलाने वाले जडेजा खुद बताते हैं कि इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने से पहले तक वह दूसरों के जूते पहनकर काम चलाते थे। वह बताते हैं कि उस समय तक उनकी फिलॉसोफी थी कि 'कहीं से भी जुगाड़ कर लो'।  

ऐसा रहा प्रदर्शन
मैच की बात करें तो दूसरी पारी का प्रदर्शन उनके करियर का बेस्ट प्रदर्शन रहा। इन्होंने अपने कॅरियर में पहली बार एक टेस्ट में 10 विकेट हासिल किए। जडेजा ने 154 रन देकर 10 विकेट लिए। जडेजा के नाम सीरीज में कुल 26 विकेट रहे। टेस्ट रैंकिंग में दुनिया के नंबर तीन ऑलराउंडर जडेजा अब टेस्ट इतिहास के पहले ऐसे खिलाड़ी बन गए हैं, जिन्होंने एक टेस्ट मैच में हाफसेंचुरी बनाने, 10 विकेट लेने और चार कैच लपकने का कारनामा दिखाया है।

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ऐसी मिलती थी सुविधाएं
मैच जीतने के बाद जडेजा अब क्रिकेटर्स को मिलने वाली सुविधाओं की बात करते हैं। वह कहते हैं कि अब वह इंटरनेशनल लेवल पर क्रिकेट खेल रहे हैं। वहीं ये कहते हुए उन्हें कोई गुरेज नहीं है कि अब क्रिकेटर्स को मिलने वाली सुविधाओं और पैसों में बहुत सुधार हुआ है। वह बताते हैं कि इन्होंने अंडर-14, अंडर-16 लेवल तक में खेला है। उन दिनों की याद करते हुए वो कहते हैं कि उस बढ़ती उम्र में उन्हें किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं मिलती थी।

यहां बोले जडेजा
सिर्फ यही नहीं, उनके पास जो होता था, उसी को पहनकर उन्हें मैच खेलना पड़ता था। किसी भी कमी की भरपाई बतौर क्रिकेटर उनको नहीं की जाती थी। यहां तक की उनके साइज की पैंट और टी-शर्ट तक उन्हें नहीं दी जाती थी। ये सब बातें वो बतौर ब्रांड एम्बेसेडर एक स्पोर्ट्स वियर कंपनी जेवेन स्टोर के लॉन्चिंग पर पहुंचकर शेयर कर रहे थे।

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फील्ड पर है कम्फर्ट की जरूरत
वो इस मुद्दे पर बात कर रहे थे कि फील्ड पर उतरने के बाद आप खुद को कितना कम्फर्टेबल महसूस करते हैं और इसकी कितनी जरूरत होती है। वो कहते हैं कि आपको अगर रन बनाने हैं तो इसके लिए आपको फील्ड पर बॉल के पीछे दौड़ना पड़ता है। ऐसे में अपने पहनावे को लेकर आपका कॉन्फीडेंट होना बहुत ज्यादा जरूरी है। ऐसा होगा तभी आप खुलकर मैदान में खेल पाएंगे। ऐसे में अगर आपका पहनावा आपके अनुसार नहीं है तो आपको जिंदगी की तरह फील्ड पर भी एडजस्ट ही करना पड़ेगा।        

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नहीं चाहिए एडजस्टमेंट
यहां जडेजा आराम और एडजस्टमेंट के बीच के अंतर को बताना चाह रहे हैं। इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इसको टीम ने कम्फर्ट के दम पर जीता, एडजस्टमेंट के दम पर नहीं। कुल मिलाकर अब तक जुगाड़ से काम चलाने वाले क्रिकेटर रविंद्र जडेजा फील्ड पर फुलऑन कम्फर्ट और मिलने वाली सुविधाओं के फेवर में हैं। ताकि किसी भी क्रिकेटर को फील्ड पर खेलते समय कोई असुविधा न हो।

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