वैकल्पिक हेडिंग: आप जो कहेंगे वो नहीं, जो देखेंगे वही बच्चे सीखेंगे

स्लग: दैनिक जागरण आईनेक्स्ट व विद्यामंदिर क्लासेज का पेरेंटिंग टुडे सेमिनार

-डीपीएस में एक्सप‌र्ट्स ने सुझाए पेरेंट्स की समस्याओं के समाधान

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RANCHI (23 July): क्0 साल के बच्चे का वजन क्या होना चाहिए। मेरी बेटी ब्रेस्ट फीडिंग छोड़ना नहीं चाहती, क्या करें। मेरे बच्चे में जिद्दीपन ज्यादा है, उसे कैसे कंट्रोल करें। ऐसी कई समस्याओं के सटीक जवाब रविवार को डीपीएस में पेरेंटिंग पर आयोजित सेमिनार में निकल कर सामने आए। पेरेंटिंग टुडे नामक इस सेमिनार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने विद्यामंदिर क्लासेज के साथ मिलकर किया था। डीपीएस स्कूल सभागार में आयोजित इस सेमिनार में बोलते हुए सिटी के जाने-माने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश कुमार ने कहा कि मेनिनजाइटिस की वैक्सीन कॉस्टली है, पर अगर एफोर्ड कर सकते हैं तो इसे लगवा लेना चाहिए। वहीं, दस साल से ऊपर की बच्चियों को सर्वाइकल कैंसर का टीका भी लगवा लेना चाहिए। ऐसे बच्चे जिन्हें अस्थमा है या डायबिटिज या हार्ट डिजीज है, वे फ्लू का वैक्सीन ले लें। ऐसे परिवार जिनकी फैमिली हिस्ट्री में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रही है या जिनकी फैमिली में हार्ट अटैक यंग एज में हुआ है, उन्हें बच्चों का लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करा लेना चाहिए। ऐसे परिवार जो वेजिटेरियन हैं, उनमें बच्चों को खून की कमी की समस्या रहती है ऐसे में वे हीमोग्लोबिन का टेस्ट करा लें, तो अच्छा होगा। बच्चों में मोटापा भी बड़ी समस्या बनकर उभरी है। ऐसे में उन्हें जंक फूड देने से बचें।

पेरेंटिंग चैलेंजिंग इश्यू

सेमिनार में विद्यामंदिर क्लासेज के डॉ सौरभ कुमार ने कहा कि पेरेंटिंग एक चैलेंजिंग इश्यू है। इसमें बच्चे के जन्म लेने से आठवीं कक्षा तक उन्हें पढ़ाई को लेकर बहुत प्रेशर न दें। जब वह आठवीं से बारहवीं के बीच में हो, तो उसे ज्यादा से ज्यादा मार्गदर्शन दें और ये बताएं कि अगर उसने इस समय बेहतर परफार्म किया और अपनी यूजी और पीजी किसी बेहतर कॉलेज या संस्थान से की, तो इसकी बहुत संभावना है कि उसकी बाकी की जिंदगी वेल सेटल्ड तरीके से कटेगी। 9 वीं कक्षा में गया बच्चा बड़ा हो जाता है, ऐसे में उसको मोबाइल और टैब का लिमिटेड यूज करने दें। पेरेंटस यह ध्यान रखें कि बच्चे वे नहीं सीखेंगे जो आप कहेंगे। जो आप करेंगे बच्चे वही सीखेंगे। बच्चे को तीन घंटे तक चेयर में बैठने की आदत डालें। क्योंकि परीक्षाएं अमूमन ऐसी होती है, जिसमें तीन घंटे तक बैठना होता है। बच्चे के लिए एग्जाम की रात से पहले ढंग से सोना जरूरी होता है। क्लास 8 तक बच्चे पर पढ़ाई को लेकर बहुत दबाव न डालें। उसे एन्जॉय करते हुए पढ़ाई करने दें। जब बच्चा क्भ्-क्म् एज ग्रुप में होता है, उसमें उसे अपने पेरेंटस के सपोर्ट की जरूरत ज्यादा होती है।

बच्चों के साथ समय बिताएं

सेमिनार में क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट डॉ धर्मेद्र कुमार ने कहा कि आज के समय में पेरेंट्स और चाइल्ड के बीच गैप बढ़ रहा है। इसे कम करने के लिए पेरेंटस अपने बच्चों को समय दें। बच्चे जो बनना चाहते हैं, उन्हें वही बनने देने में उनकी मदद करें। उनपर अपने विचार मत थोपें। पेरेंटस यह भी ध्यान रखें कि उनके बच्चों का पीयर ग्रुप अच्छा हो, यानी उनकी संगति अच्छे बच्चों से हो। आजकल बच्चे अनिंद्रा से भी प्रभावित हो रहे हैं, तो इसे दूर करने के लिए स्लीप हाइजीन का भी ध्यान रखें। बेड में लैपटॉप, मोबाइल, पेन-कॉपी और किताबें ने रखें, क्योंकि ये बच्चे का ध्यान भटकाते हैं। बच्चों को खेलने का पूरा मौका दें और जब भी समय मिले, उन्हें पार्क या प्ले ग्राउंड में ले जाएं, जिससे वे खेल सकें।

घर का बना खाना दें

सेमिनार में रिम्स की डायटिशियन मीनाक्षी ने कहा कि बच्चे घर का खाना कम और बाहर का खाना ज्यादा खाना चाहते हैं। ऐसे में कोशिश करें कि वे ज्यादा से ज्यादा घर का बना खाना ही खाएं। उन्हें घर में बना सूप दें या शेक दें। बच्चे को घी खिलाएं क्योंकि उसमें विटामिन ए होता है। बच्चों के लिए एक्सरसाइज बेहद जरूरी होता है। ऐसे में कोशिश करें कि वे लिफ्ट का कम और स्टेयर का यूज ज्यादा करें तथा एक्सरसाइज भी करते रहें। कार्यक्रम का शुभारंभ जागरण के संस्थापक पूर्णचंद्र गुप्त और पूर्व प्रधान संपादक स्वर्गीय नरेंद्र मोहन की तस्वीर पर माल्यार्पण के साथ हुआ। दैनिक जागरण के एडिटोरियल हेड शंभुनाथ चौधरी, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश कुमार, शिक्षाविद सौरभ कुमार, डॉ धर्मेंद्र और मीनाक्षी ने दीप प्रज्जवलन के बाद उनकी तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए। कार्यक्रम में विषय प्रवेश शंभुनाथ चौधरी ने कराया, वहीं धन्यवाद ज्ञापन डीपीएस की इंग्लिश टीचर और पेरेंटिंग सेमिनार की कोर्डिनेटर मृगाक्षी आलोक, डीजे आईनेक्स्ट के चीफ रिपोर्टर नदीम अख्तर ने किया।