--SS हॉस्पिटल BHU में रेजिडेंट डॉक्टर्स की स्ट्राइक बुधवार को भी रही जारी

-हड़ताल से OPD से लेकर इमरजेंसी सेवाओं पर पड़ा खासा असर

-बिना इलाज के लौटाये गये सैकड़ों पेशेंट्स, डॉक्टर्स को समझाने पर भी नहीं बनी बात

VARANASI

केस वन

गाजीपुर के रहने वाले राजेश सिंह अपनी बहन अंजना को लेकर एसएस हॉस्पिटल बीएचयू के इमरजेंसी में पहुंचे। अंजना के कमर के नीचे लकवा की स्थिति है। लाचार भाई अपनी बहन के इलाज के लिए परेशान है। पर बीएचयू की इमरजेंसी से उन्हें निराश लौटना पड़ा।

केस टू

शहर के सुनील दूबे अपनी पत्‍‌नी आशा दूबे को लेकर इमरजेंसी वॉर्ड के सामने खड़े हैं। यहां के मेडिसिन डिपार्टमेंट में उनका पिछले 12 दिनों से इलाज भी चल रहा था। पर बुधवार को डॉक्टर्स ने उन्हें पीजीआई रेफर कर दिया। कारण कि उनके पास आशा को अटेंड करने के लिए डॉक्टर्स नहीं हैं।

केस थ्री

चंदवक, जौनपुर से आये रंगील विश्वकर्मा अपने पिता मुन्ना विश्वकर्मा को लेकर बीएचयू के इमरजेंसी वॉर्ड पहुंचे। पर यहां पर उन्हें एडमिट नहीं किया गया। पिता की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। बेचारे रंगील चुपचाप इमरजेंसी के बाहर खड़े होकर अपनी लाचारी को कोस रहे थे।

केस फोर

रोहतास बिहार से आये रामरतन अपने बेटे मनीष कुमार के साथ ओपीडी के बाहर बैठे थे। ईएनटी डिपार्टमेंट में उन्हें अपने बेटे को दिखाना था। पर अफसोस कि वो अपने बेटे को डॉक्टर को नहीं दिखा सके। इतनी दूर से आने और सैकड़ों खर्च करने के बाद भी बेटे को न दिखा पाने की पीड़ा उनके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई दे रही थी।

ये चार केस सिर्फ बानगी भर हैं। बीएचयू में रेजिडेंट डॉक्टर्स की स्ट्राइक के चलते उत्पन्न परिस्थिति से लाचार होने वाले पेशेंट्स व उनके परिजनों की संख्या एक नहीं सैकड़ों में है। स्ट्राइक का बुधवार को दूसरा दिन था जिसकी वजह से सैकड़ों की संख्या में लोग बीएचयू हॉस्पिटल से बिना इलाज के वापस लौटने को मजबूर हुए। मरीज और उनके परिजन अब कहां जायें? किसको दिखायें। समझ के परे। बस रोने के सिवाय कोई चारा नहीं था।

OPD से लेकर इमरजेंसी हर जगह असर

स्ट्राइक का असर इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक हर जगह देखने को मिला। इमरजेंसी में कम बीमार पेशेंट्स को तो प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध करायी जा रही थी लेकिन गंभीर रूप के पेशेंट्स को वापस लौटा दिया जा रहा था। ओपीडी के हालात भी इसी तरह के रहे। रेजिडेंटस ने ओपीडी में ताला बंद कर दिया। जिससे कि सीनियर डॉक्टर्स भी पेशेंट्स को अटेंड नहीं कर पाये। हालांकि कुछ सीनियर डॉक्टर्स ने पेशेंट्स को अटेंड भी किया लेकिन उनकी संख्या बहुत कम रही। ओपीडी में अधिकतर पेशेंट्स बिना इलाज के वापस लौटने को मजबूर हुए। बताते चलें कि पिछले दिनों एक पेशेंट के परिजनों ने सर्जरी डिपार्टमेंट के हेड प्रो मुमताज अंसारी से दु‌र्व्यवहार किया था। जिसकी लिखित रिपोर्ट लंका थाने में दर्ज करायी गयी। डॉक्टर्स ने इस मामले में उचित कार्रवाई न होने और की खुद की सुरक्षा की मांग को लेकर मंगलवार से स्ट्राइक कर दी।

फिर भी नहीं बनी बात

इधर हड़ताली डॉक्टर्स को मनाने के लिए एडीएम सिटी जितेन्द्र सिंह व एसएसपी भी हॉस्पिटल पहुंचे। एसएस हॉस्पिटल के एमएस डॉ ओपी उपाध्याय की मौजूदगी में ऑफिसर्स ने हड़ताली डॉक्टर्स से बातचीत की। डॉक्टर्स को बताया गया कि प्रो मुमताज अंसारी के बयान के बाद ही पुलिस किसी को गिरफ्तार कर सकती है और इस समय प्रो अंसारी दिल्ली में हैं। पर रेजिडेंट्स किसी भी तरह मानने को तैयार नहीं हुए। एमएस डॉ ओपी उपाध्याय ने भी डॉक्टर्स को समझाने का प्रयास किया पर बात नहीं बनी। जिसका नतीजा रहा कि रेजिडेंट्स पूरे दिन काम से विरत रहे। ओटी का कामकाज भी प्रभावित हुआ। बीएचयू एडमिनिस्ट्रेशन ने आईसीयू और सीसीयू व्यवस्था के सामान्य होने का दावा किया है।

बॉक्स

CISF की है जरुरत

एसएस हॉस्पिटल के एमएस डॉ ओपी उपाध्याय ने हॉस्पिटल की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ की मांग की है। उनका कहना है कि वीसी प्रो जीसी त्रिपाठी की ओर से हॉस्पिटल में सीआईएसएफ उपलब्ध कराने की बात केन्द्र सरकार से की गयी। पर आज तक उस मामले में सकारात्मक पहल सामने नहीं आया है। एसएस हॉस्पिटल में डॉक्टर्स की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ जरूरी है।

हॉस्पिटल पर एक नजर (मंगलवार)

-कुल ओपीडी पर्चो की बिक्री - ख्,ख्00, दोपहर क्.फ्0 बजे तक

-ओपीडी में कुल पेशेंट्स का रजिस्ट्रेशन- क्,म्7ख्

-हॉस्पिटल में पेशेंट्स हुए एडमिट -भ्0

-डिस्चार्ज पेशेंट्स की संख्या- म्9

-कुल हुए ऑपरेशन- फ्म्