i Reality Check

- बीआरडी मेडिकल कॉलेज का हाल

- अब भी निर्धारित समय से ओपीडी में नहीं पहुंच रहे डॉक्टर व कर्मचारी

- दैनिक जागरण - आई नेक्स्ट ने जाना विभिन्न वार्डो का हाल

GORAKHPUR: शहर भले ही अब सीएम सिटी के तौर पर पहचाने जाने लगा हो लेकिन स्वास्थ्य महकमे के कुछ जिम्मेदारों का पुराना लापरवाही भरा रवैया ही जारी है। कुछ ऐसा ही हाल बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दिख रहा है। दैनिक जागरण - आई नेक्स्ट रिपोर्टर गुरुवार को यहां के ध्वस्त सिस्टम को सुधारने के जिम्मेदारों के चले आ रहे दावों का ताजा हाल जानने पहुंचा। स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल ऐसा कि डॉक्टर्स व कर्मचारी ओपीडी में निर्धारित समय से पहुंचने के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ा रह थे। वहीं, दूर-दराज से पहुंचे मरीजों को घंटों इंतजार के बाद भी इलाज नसीब नहीं हो सका।

नहीं आए डॉक्टर साहब

बता दें, मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने तीन दिन पहले विभिन्न विभागों को आदेश जारी किया कि ओपीडी में निर्धारित समय 9.30 बजे सुबह डॉक्टर्स व कर्मचारी पहुंचें। इस पर जिम्मेदारों की गंभीरता की हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर गुरुवार सुबह यहां पहुंचा। मानसिक विभाग की ओपीडी में कोई भी डॉक्टर नहीं मिला। बाहर मरीजों की लंबी कतार लगी रही। वहीं आई ओपीडी में डॉक्टर मरीजों को देख रहे थे तो ऑप्टोमेट्री विभाग में नेत्र सहायक गायब मिलीं। मरीज कतार में इंतजार करते रहे। लोगों का कहना था कि सुबह से ही इंतजार कर रहे हैं लेकिन डॉक्टर व कर्मचारियों का कहीं पता नहीं चल रहा। वहीं फोटो थेरेपी चेंबर में एक महिला कर्मचारी का वेट करती मिली। उसने बताया कि यह आए दिन का हाल है। कर्मचारी ज्यादातर समय चेंबर से गायब ही रहते हैं। जिसके चलते मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं कमरा नंबर 30 के आईसीटीसी सेंटर लैब में भी कोई टेक्नीशियन नहीं मिला। दरवाजा बंद रहा और मरीज बाहर बैठे इंतजार करते रहे।

एचओडी भी ड्यूटी से गायब

इसके बाद रिपोर्टर 100 बेड वाले इंसेफेलाइटिस वार्ड में पहुंचा। जहां जूनियर रेजीडेंट व स्टाफ बच्चों का इलाज कर रहे थे। विभिन्न वार्ड होते हुए बाल रोग विभाग के एचओडी के केबिन तक पहुंचा तो उनकी कुर्सी खाली पड़ी थी। जब एक कर्मचारी से इस संबंध में बात की तो बताया गया कि अभी सर आए नहीं हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन के आदेश का जिम्मेदारों पर कितना असर है।

अब भी लिख रहे बाहर की दवा

मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने आदेश में ये भी कहा था कि डॉक्टर्स बाहर की दवाएं नहीं लिखेंगे। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस आदेश की भी यहां खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मेडिकल कॉलेज में दवाओं व सर्जिकल सामान का टोटा बना हुआ है। इसी का फायदा उठाकर कुछ डॉक्टर व हेल्थ एंप्लॉई दवाओं के लिए मरीजों को बाहर की दुकानों पर भेज दे रहे हैं। अस्पताल प्रशासन की चेतावनी के बावजूद ये मनमानी जारी है।

कोट्स

मेरे पिता नवमी नाथ की हालत खराब है। वह चार दिनों से वार्ड नंबर 9 में भर्ती हैं। यहां से दवा तो दूर सीरिंज तक नहीं मिल रही है। मजबूरी में बाहर से खरीदना पड़ रहा है।

- मुकुल, कुशीनगर

बहन की तबियत अचानक बिगड़ गई। उन्हें वार्ड नंबर पांच में भर्ती कराया। छह दिन हो गए, सिर्फ एनएस और आरएस की बोतल ही दी जाती है। बाकी चीजें बाहर से लानी पड़ती हैं।

- संदीप कुमार, हुमांयूपुर