- एनई रेलवे का डॉग स्क्वॉयड रहता है रेलवे स्टेशन की सुरक्षा में मुस्तैद

- ट्रैकर डॉन और स्निफर प्लूटो रोजाना करते हैं लाखों लोगों की निगरानी

- आरपीएफ जवानों के हैं भरोसेमंद साथी, एक और डॉग किया जा रहा तैयार

GORAKHPUR: रेलवे स्टेशन से लेकर ट्रेंस में अपराध करने वाले भले ही जीआरपी व आरपीएफ जवानों की नजरों से बच जाएं लेकिन जंक्शन के दो बेजुबान सिपाहियों से उन्हें कोई नहीं बचा पाएगा। आरपीएफ के डॉग स्क्वॉयड में शामिल डॉन व प्लूटो इन दिनों रेलवे स्टेशन की सुरक्षा मुस्तैदी से संभाल रहे हैं। जहां बेहद चालाक डॉन चोरों व संदिग्धों पर नजर रख रहा है, वहीं वेल ट्रेंड प्लूटो विस्फोटक, बारूद या बम की तलाश में लगा रहता है। गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर तैनात ये जोड़ी रोजना करीब एक लाख पैसेंजर्स पर नजर रखती है, जिनकी निशानदेही आरपीएफ जवानों के बहुत काम अा रही है।

ट्रैकर डॉन से बचना है मुश्किल

डॉग स्क्वायड में तैनात लेबराडोर ब्रीड का डॉग डॉन आरपीएफ का ट्रैकर है। जो चोरों व संदिग्धों को तलाशने के लिए पूरी तरह ट्रेंड है। चार साल के डॉन के हैंडलर कांस्टेबल रामानंद बताते हैं कि डॉन बेहद चालाक और होशियार है। चोरी आदि की घटनाओं में घटनास्थल पर मिली महक के आधार पर वह चोर को कहीं से भी ढूंढ निकालने में माहिर है। अब तक डॉन की मदद से आरपीएफ चोरी आदि की तमाम घटनाओं का पर्दाफाश भी कर चुकी है।

विस्फोटक ढूंढता स्निफर प्लूटो

वहीं डॉग स्क्वॉयड टीम का दूसरा डॉग प्लूटो डॉबरमैन ब्रीड का है। महज चार साल की उम्र में प्लूटो ने कई चौंकाने वाले कारनामे किए हैं। प्लूटो के हैंडलर कांस्टेबल रामप्रसाद बताते हैं कि प्लूटो शुरू से ही विस्फोटक, बारूद जैसी चीजों की महक से वाकिफ है। चेकिंग के दौरान कितने भी गुप्त तरीके से रखा गया विस्फोटक खोज निकालना प्लूटो के लिए किसी खेल की तरह है। बीते दिनों रेलवे जंक्शन पर मिले लावारिस बैग व टिफिन से जहां सुरक्षा एजेंसियों के पसीने छूटने लगे थे, वहीं प्लूटो ने चंद सेकेंड्स में यह साबित कर दिया था कि लावारिस मिले बैग व टिफिन में ऐसा कुछ भी नहीं है।

बूस्टर होगा नया साथी

डॉन व प्लूटो के अलावा आरपीएफ के डॉग स्क्वॉयड को नया साथी बूस्टर भी मिल गया है। पूरे एनईआर को मिले लेबराडोर ब्रीड के पांच डॉग्स में से एक है बूस्टर। गोरखपुर आरपीएफ को मिले इस डॉग के हैंडलर कांस्टेबल संतोष झा के मुताबिक जब उन्हें बूस्टर मिला था तो वह महज दो माह का था। तब से ही उसे ट्रेंड किया जा रहा है। चाह माह का हो चुका बूस्टर जैसे ही टीम से घुल-मिल जाएगा उसे ट्रेनिंग के लिए दिल्ली स्थित ब्रीडिंग कम ट्रेनिंग सेंटर (बीसीटीसी) भेजा जाएगा। जहां उसे लेकर उसके हैंडलर कांस्टेबल संतोष झा खुद जाएंगे। वहां छह महीने तक उसे ट्रैकिंग के लिए पूरी तरह ट्रेंड किया जाएगा। इसके बाद उससे गोरखपुर सहित पूरे एनई रेलवे में सुरक्षा सेवा ली जाएगी।

डॉग स्क्वॉयड को मिलने वाली सुविधाएं

- आरपीएफ में क्लास वन रैंक होती है डॉग्स की नियुक्ति

- आरपीएफ ट्रेनिंग सेंटर में आलीशान कमरा

- जाने-आने के लिए मिले हैं ड्राइवर व गाड़ी

- 5673 रुपए एक डॉग की सैलरी

- किसी भी ट्रेन में एसी फ‌र्स्ट क्लास का मिलता है रेल पास

- गर्मी में कूलर व सर्दियों में ब्लोअर में रहते हैं आरपीएफ डॉग

- डॉग्स की सुविधाओं में कमी होने पर हैंडलर होते हैं जिम्मेदार

- बेहतर भोजन व पौष्टिक आहार से होती है सुबह की शुरूआत

- तबियत बिगड़ते ही मिलती है बेहतर चिकित्सा सुविधा

- 10 साल की उम्र में हो जाते हैं रिटायर्ड

वर्जन

अपराध के बदलते ट्रेंड के साथ आरपीएफ को भी विकसित किया जा रहा है। इसी के तहत डॉग स्क्वॉयड को पहले से बेहतर बनाया जा चुका है। स्क्वॉयड के ट्रेंड डॉग किसी भी कोने में छिपी चीजों को खोज निकालने में पूरी तरह सक्षम हैं।

- राजाराम, चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर, आरपीएफ