-सीजीएसटी व एसजीएसटी के ई-वे बिल को लेकर फंसा मामला, कारोबारियों ने जीएसटी काउंसिल से की कम्प्लेन

-वसूल हुआ जुर्माना लौटाने का नहीं दिख रहा आसार, अधिकारी बताने को तैयार नहीं

VARANASI

जीएसटी लागू हुए आठ माह से अधिक हो गए मगर, कारोबारियों व उद्यमियों को अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। जीएसटी परेशान तो कर ही रहा था वहीं ई-वे बिल लागू होकर टेंशन को डबल कर दिया। केंद्र और राज्य के ई-वे बिल के बीच फंसकर उद्यमी व व्यापारी परेशान हैं। कारोबारी केंद्र का ई-वे बिल जेनरेट कर दूसरे राज्य से माल ला रहे हैं तो प्रदेश में पहुंचते ही पकड़ा जा रहा है। सीजीएसटी अधिकारियों का कहना है कि उनका ई-वे बिल मान्य है, बस इसे अनिवार्य नहीं किया गया है। इसे जेनरेट करने वाले पर जुर्माना नहीं लगाया जा सकता। दूसरी ओर एसजीएसटी के अधिकारी कह रहे हैं कि प्रदेश में उनका ही ई-वे बिल लागू होगा। वैसे दोनों के विवाद के बीच सब कुछ सही होने के बाद भी कारोबारियों को जुर्माना देना पड़ रहा है। इस बाबत कारोबारियों ने जीएसटी काउंसिल से लेटर के माध्यम से शिकायत की है।

केंद्र के ई-वे बिल ने छकाया

प्रदेश में 31 जनवरी 2018 तक राज्य का ई-वे बिल लागू था। एक फरवरी 2018 को केंद्र का ई-वे बिल लागू किया गया। मगर सर्वर फेल होने से ई-वे बिल जेनरेट नहीं हो सका। इसके बाद देर रात जीएसटी काउंसिल ने केंद्रीय ई-वे बिल को जेनरेट करने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था। नौ फरवरी की रात 12 बजे से राज्य में एक बार फिर स्टेट का ई-वे बिल लागू कर दिया गया। इसके बाद भी भ्रम के चलते तमाम लोग केंद्रीय ई-वे बिल जेनरेट करते रहे। वहीं सीजीएसटी अधिकारी अपने बिल को सही तो बता रहे हैं पर एसजीएसटी के अधिकारियों ने जो जुर्माना वसूल लिया है उसे कौन लौटाएगा, इस बाबत कुछ भी नहीं बताया जा रहा है।

स्टेट गवर्नमेंट की ओर से साफ नोटिफिकेशन है कि स्टेट में माल के परिवहन पर स्टेट ई-वे बिल लागू होगा। अधिकारी उसके आधार पर ही कार्य कर रहे हैं। बाहर से आने वाले माल पर स्टेट ई-वे बिल होना चाहिए।

एके गोयल

एडीशनल कमिश्नर (ग्रेड-वन)

वाराणसी जोन