-अब एक नंबर से माल मंगाना और बिजनेस करना हुई मजबूरी

-ई-वे बिल के कारण अब काम नहीं कर पा रही है सेटिंग

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: ई-वे बिल ने व्यापारियों के साथ-साथ कस्टमर्स के लिए भी मुश्किल खड़ी कर दी है। पहले तो 50 हजार से ज्यादा खरीदारी के बाद ई-वे बिल अनिवार्य हो गया है। इसके बाद दूसरी बड़ी मुश्किल है कि शॉपकीपर्स ने बार्गेनिंग करनी भी बंद कर दी है। उनका कहना है कि ई-वे बिल लागू होने के बाद से सारा बिजनेस एक नंबर में हो रहा है। ऐसे में अब सामान पर ज्यादा छूट दे पाना संभव नहीं है।

अब मोलभाव नहीं

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने एक महीने पहले घंटाघर स्थित ठठेरी बाजार से दो हजार रुपए का बर्तन सेट खरीदा था। शनिवार को रिपोर्टर ठठेरी बाजार की उसी दुकान पर पहुंचा और वही सेट मांगा, जिसे 2000 रुपए में खरीद कर ले गया था। दुकानदार बर्तन सेट लेकर आया, लेकिन उसका रेट 2000 की जगह 2400 रुपये बताया। एक महीने पहले 2000 रुपये में ले जाने की बात कहे जाने पर बर्तन व्यापारी ने कहा कि पंद्रह अप्रैल से परिस्थितियां बदल चुकी हैं। पहले हम बगैर बिल और टैक्स के भी माल लाते थे, आराम से बेच लेते थे। कस्टमर भी खुश हो जाता था। हम भी खुश रहते थे। लेकिन अब बगैर टैक्स अदा किए माल नहीं आ रहा है, इसलिए 2400 से कम में नहीं दे पाएंगे।

ट्रांसपोर्टर बगैर बिल नहीं ले रहे माल

-टैक्स अदा करने के साथ ही बगैर बिल के सामान लाने पर कार्रवाई का प्रावधान तो वर्षो से है।

-लेकिन ट्रांसपोर्ट के जरिए या फिर अन्य तरीकों से हेरा-फेरी कर व्यापारी बगैर बिल के माल मंगाते रहे हैं।

-इंट्रा स्टेट ई-वे बिल लागू होने के बाद अब बगैर बिल के माल मंगाना मुश्किल हो गया है।

-इसकी वजह से व्यापारियों के सामने नंबर एक से बिजनेस करना मजबूरी बन गई है।

-पहले जिस सामान पर 10 से 20 परसेंट डिस्काउंट आराम से होता था, अब पांच परसेंट डिस्काउंट भी मुश्किल है।

यह कहते हैं व्यापारी

ई-वे बिल लागू होने से एक नंबर का व्यापार करने वाले हम जैसे सैकड़ो व्यापारियों को काफी फायदा हुआ है। पहले कस्टमर दूसरी दुकान पर कम रेट पर सामान मिलने का हवाला देकर चला जाता था, अब उसमें कमी आई है। क्योंकि अब बगैर बिल के माल लाना संभव नहीं है।

प्रणतोष श्रीवास्तव

थोक जूता व्यापारी

जीरो रोड

ई-वे बिल लागू होने से व्यापार, व्यापारी और कस्टमर तीनों पर फर्क पड़ने वाला है। क्योंकि मोल भाव कस्टमर की आदत बन चुकी है और अब नंबर वन से व्यापार करने वालों के लिए मोल भाव संभव नहीं है। जहां पुराना माल होगा वही मोल भाव करेगा।

प्रवीण अग्रवाल

कपड़ा व्यापारी

अभी ग्राहक बिल के बिना माल मांगते हैं और टैक्स देना नहीं चाहते हैं। लेकिन ई-वे बिल के बाद से परिस्थिति बदलना शुरू हुई है। ट्रांसपोर्टर भी अब बिना पूरे वैध कागज के माल लाना नहीं चाहता, क्योंकि उसका वाहन फंस सकता है।

पीयूष

किराना वाले

हम तो नंबर एक का व्यापार करते हैं, हमारे डिस्पोजेबल के ट्रेड में छोटी-छोटी फैक्ट्री से काफी माल नंबर दो का आता है। इसके कारण हमारा व्यापार दिन प्रतिदिन कम हो रहा था, लेकिन अगर ई-वे बिल पर सख्ती बनी रही हो हमारे अच्छे दिन जल्दी आ जाएंगे।

अतुल अग्रवाल

डिस्पोजेबल व्यापारी

टैक्सेबल आइटम पर इंट्रा स्टेट ई-वे बिल लगाकर सरकार ने दो नंबर और टैक्स चोरी कर लाए जा रहे माल पर रोक लगा दी है। रोडवेज बस, प्राइवेट बस से अभी भी चोरी-छिपे बगैर बिल के माल लाया जा रहा है। इस पर अंकुश लगाना चाहिए।

महेंद्र गोयल

प्रदेश अध्यक्ष

कैट