- टीबी अस्पताल में काम कर रहा था पीपीगंज के अकटहवा का रामदरश

- संविदा कर्मचारियों ने किया रोड जाम, सीएमओ व डीएम से मिलकर की मुआवजे की मांग

GORAKHPUR: सीएम सिटी में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन, मानदेय देने में किस तरह की लापरवाही बरती जा रही है, यह बताने के लिए रामदरश की मौत से बड़ा सबूत क्या चाहिए? एयरफोर्स एरिया स्थित टीबी अस्पताल में आउटसोर्सिग कर्मचारी को 14 माह से मानदेय नहीं मिला था। घोर आर्थिक तंगी से जब वह और नहीं लड़ पाया तो गुरुवार को सुसाइड कर लिया। साथी की मौत की खबर पाते ही अन्य कर्मचारी मौके पर पहुंच गए। रोड जाम कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई और मृतक के परिवार को मुआवजा देने की मांग की। डीएम से बात कर अपना दर्द बयां किया। कर्मचारियों ने रोड जाम कर आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग के एक बाबू द्वारा सुविधा शुल्क मांगा जा रहा है। नहीं देने पर मानदेय रोक दिया गया है।

भारी पड़ रही थी आर्थिक तंगी

पीपीगंज एरिया के अकटहवा का रहने वाले बनारसी का 40 वर्षीय पुत्र रामदरश की टीबी अस्पताल में आउटसोर्स से तैनाती हुई थी। 14 महीने से उन्हें वेतन नहीं मिल रहा था। जिसके चलते उसकी परेशानी और बढ़ गई। जरूरतों को पूरा न कर पाने से परिवार में भी विवाद होने लगा था। एक साल से अधिक समय से मानदेय नहीं मिलने से कर्मी का परिवार भी मानसिक परेशानी में था। आर्थिक तंगी ऐसी कि छोटी-छोटी जरूरतें तक पूरा नहीं हो पा रही थीं। मानदेय नहीं मिलने की वजह से कर्मी हताश रहता था। इसी के चलते रामदरश ने खौफनाक कदम उठा लिया। परिजन व उसके साथियों की मानें तो पैसे की तंगी से वह आजिज आ चुका था। परिवार की छोटी-छोटी जरूरतों को वह पूरा करने में नाकाम हो रहा था।

खा लिया जहरीला पदार्थ

बताया जा रहा है कि जिम्मेदारी के बोझ तले दबे रामदरश ने तंग आकर कोई जहरीला पदार्थ खा लिया। गुरुवार को ड्यूटी के दौरान उसकी हालत खराब होने लगी। अन्य कर्मचारियों ने उसे जिला अस्पताल में एडमिट कराया। जहां डॉक्टर्स ने उसकी हालत गंभीर बताते हुए मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। जहां उसकी मौत हो गई। उसकी मौत की सूचना पर परिवार में कोहराम मच गया। मौत की सूचना पर अन्य संविदा कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त हो गया। वह सीधे स्वास्थ्य विभाग पहुंचे और सीएमओ से मुलाकात की। मृतक के परिजन के एक सदस्य को नौकरी और मुआवजे की मांग की।

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45 संविदा कर्मचारियों को मानदेय नहीं

सिर्फ रामदरश ही नहीं, टीबी अस्पताल में आउटसोर्सिग से तैनात 45 कर्मचारियों को 14 माह से मानदेय नहीं मिल रहा है। कर्मचारियों ने बताया कि वेतन की मांग को लेकर कई बार धरना-प्रदर्शन किया लेकिन जिम्मेदार अफसर सिर्फ आश्वासन देकर वापस कर देते हैं। इसी का नतीजा है रामदरश आत्महत्या करने पर मजबूर हो गया। वेतन नीं मिलने की वजह से अन्य कर्मचारियों की भी हालत खस्ता है। सभी तनाव में हैं। इसके बावजूद ड्यूटी कर रहे हैं।

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जेवर बेचकर खर्च चला रही थी पत्‍‌नी

रामदरश को लंबे समय से मानदेय नहीं मिलने के कारण घर में भूखों मरने की नौबत थी। ऐसे में रामदरश की पत्‍‌नी संगीता जायसवाल अपना जेवर बेचकर घर चला रही थी। पति की मौत के बाद वह बिलख पड़ी। रोते-रोते बताया कि वेतन नहीं मिलने के चलते घर की माली हालात काफी खराब हो गई थी। पहले तो किसी तहर से इधर-उधर से उधार लेकर काम चलाया जाता था लेकिन बाद में सभी लोग पैसा देने से मना कर दिए। इसके बाद अपने जेवरात बेच कर किसी तरह से परिवार को भरण पोषण कर रही थी। इस स्थिति में घर की दयनीय स्थिति को देखकर रामदरश भी परेशान रहते थे। दो बच्चे शिवा जायसवाल और जया जायसवाल हैं, जिनकी परवरिश की चिंता अब सता रही है।

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रोड पर डेड बॉडी रख किया प्रदर्शन

संविदा कर्मचारी व पीडि़त परिवार गुरुवार की शाम करीब 3:30 बजे रामदरश जायसवाल की डेड बॉडी लेकर सीएमओ ऑफिस के पास मेन रोड पर पहुंच गए और वहां डेड बॉडी रखकर रोड जाम कर दिया। इसकी जानकारी जैसे ही संबंधित थाने की पुलिस और अफसरों को हुई तो वह फौरन मौके पर पहुंच गए। संविदा कर्मचारियों ने पीडि़त परिवार को मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को नौकरी और बकाया वेतन भुगतान की शीघ्र मांग की। मौके पर पहुंचे एसडीएम अमरेंद्र वर्मा, उप डीएम, सीएमओ डॉ। रवींद्र कुमार, सीओ कोतवाली, सीओ कैंट मामले की जानकारी ली। हालांकि संविदा कर्मचारी लिखित आश्वासन की मांग पर अड़े रहे। एसडीएम ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी मांग जायज है इसे तत्काल पूरा किया जाएगा। इस आश्वासन पर करीब 5:30 बजे जाम खुला और डेड बॉडी को शव वाहन से अंतिम संस्कार के लिए भेज दिया गया।

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किसान योजना से 3 लाख व एक सदस्य को नौकरी

संविदा कर्मचारी की मौत के बाद पहुंचे अफसर जाम खुलवाने के लिए कर्मचारियों को समझाने-बुझाने में लगे रहे लेकिन वह अपनी मांग पर अड़े रहे। इसके बाद अधिकारियों ने किसान बीमा योजना के तहत 3 लाख रुपये मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने की बात की। साथ ही प्रशासनिक स्तर से दाह संस्कार के लिए व्यवस्था कराई।

वर्जन

संविदा कर्मचारियों के वेतन के लिए मुख्यालय को दस बार पत्र लिखा जा चुका है लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं मिला है। कर्मचारी की मौत का काफी दुख है। अपने स्तर से जो भी बन पड़ेगा, किया जाएगा। साथ ही ऊपर बात कर परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने का प्रयास किया जाएगा।

डॉ। रवींद्र कुमार, सीएमओ