-मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका करते हुए सुप्रीम कोर्ट का फैसला

KANPUR: कैण्ट क्षेत्र में अतिक्रमण करने वालों से वोट देने का अधिकार छीन लिया जाएगा। वे कभी कैण्ट बोर्ड के चुनाव में न तो वोट डाल पाएंगे और न ही चुनाव लड़ सकेंगे। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज करते हुए दिया है। इस फैसले का असर कानपुर कैंट सहित देश के सभी 62 कैण्ट बोर्ड क्षेत्र में होगा।

दो जजों की बेंच

मामले की शुरूआत पंचमढ़ी (एमपी) से हुई। वहां के रहने वाले गोपालदास काबरा ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा कि कैण्ट बोर्ड की वोटर्स लिस्ट में क्षेत्र में अतिक्रमण कर अवैध कब्जेदारों के तमाम नाम हैं। याचिका पर सुनवाई के फैसला सुनाते हुए जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस केके त्रिवेदी की खण्डपीठ ने 23 जुलाई को आदेश दिया कि अतिक्रमण करने वालों का नाम अलग करके मतदाता सूची बनाई जाए। कानपुर कैण्ट बोर्ड के वाइस चैयरमैन लखन लाल ओमर ने बताया कि एमपी हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद पंचमढ़ी कैण्ट बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका(एसएलपी) दाखिल की। 14 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने एमपी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पंचमढ़ी कैण्ट बोर्ड द्वारा दाखिल एसएलपी को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद कानपुर कैंट बोर्ड में अतिक्रमण कर कब्जा जमाए लोगों का नाम वोटर्स लिस्ट से काटने की तलवार लटक गई है।