-सीएम सिटी में अफसर काम छोड़ घरों में बैठे, सड़कों पर अवैध कब्जा

-सिर्फ कागजों में सिमटा अतिक्रमण हटाओ अभियान, आज भी धड़ल्ले से चल रहा कारोबार

इसे भी जानें

-प्रतिदिन एक लाख लोगों का आवागमन

-शहर की आबादी 14 लाख

-1.43 करोड़ से बना था साइकिल ट्रैक

GORAKHPUR: शहर को खूबसूरत बनाने और लोगों की सहूलियत के लिए बने साइकिल ट्रैक अधिकारियों की उदासीनता के कारण इन दिनों दुकानदारी और पार्किंग के काम आ रही है। वहीं, पैदल और साइकिल से चलने वालों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पिछली सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट रहे साइकिल ट्रैक अपनी बेचारगी पर रो रहा है। आलम यह है कि योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद चार दिनों तक जोश से शहर की सफाई और अतिक्रमण हटाओ अभियान में जुटे अफसर अब घरों में बैठ गए हैं। सड़कों पर एक बार फिर पहले जैसे हालात बन गए हैं। अधिकारियों के दावों की जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पड़ताल की तो कुछ यूं नजर आई साइकिल ट्रैक और फुटपाथों की हकीकत।

उद्यान विभाग गेट

उद्यान विभाग के गेट से दस कदम पश्चिम तीन से अधिक दुकानें साइकिल ट्रैक पर हैं। यहीं पर पेड़ पौधों की दुकानें भी सजा दी गई हैं। ट्रैक पर प्लास्टिक ऐसे तान दिया गया है कि कहीं ट्रैक नजर ही नहीं आता। अमूमन यहां से अधिकतर अधिकारियों के घरों में पौधे जाते हैं।

ह्वी पार्क गेट

शहर का सबसे बड़ा और चहल-पहल वाला पार्क है ह्वी पार्क। इसके गेट के ठीक सामने तीन से अधिक लिट्टी चोखा की दुकानें हैं। ठीक साइकिल ट्रैक पर ही ठेला लगाकर दुकानदार लोगों को लिट्टी चोखा खिलाते हैं। जबकि, शहर के कमोबेश सभी बड़े अफसर यहां सुबह जॉगिंग करने अाते हैं।

यूनिवर्सिटी हॉस्टल

यूनिवर्सिटी हॉस्टल के सामने वैसे तो रात को साइकिल ट्रैक खाली रहता है, लेकिन दिन में यहां भी दुकानदारों का कब्जा रहता है। यहां पर कभी चादर तो कभी मच्छरदानी बेचने वालों का डेरा लग जाता है।

यूनिवर्सिटी गेट

सबसे अधिक लोग यूनिवर्सिटी गेट पर टहलने के लिए आते हैं। जीडीए ने इसके सामने भी साइकिल ट्रैक का निर्माण कराया, लेकिन गेट से लेकर एनसीसी गेट के सामने तक ठेले पर किताब और जूस बेचने वालों का सुबह नौ बजे से ही कब्जा हो जाता है जो शाम 5 बजे तक रहता है।

छात्रसंघ्ा चौराहा

शहर के सबसे व्यस्त चौराहों में से एक इस चौराहे पर साइकिल ट्रैक जूस बेचने वालों के काम आ रहा है। कहीं ठेला लगा है तो कहीं प्लास्टिक तानकर पूरी ट्रैक ही कब्जे में कर लिया गया है। बाकी ट्रैक पार्किंग के काम आ रहा है।

एमवे ऑफिस के सामने

यहां साइकिल ट्रैक का उपयोग बड़े वाहनों के पार्किंग के रूप में हो रहा है। आसपास के ऑफिस में आने वाले लोग ट्रैक पर ही अपनी गाड़ी खड़ी कर देते हैं। लोग अपनी गाड़ी खड़ी कर एक चेन में बांध देते हैं और दिन भर इनकी गाड़ी यहां पर खड़ी रहती है।

बॉक्स

पिछली सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट था साइकिल ट्रैक

2014 में लखनऊ में तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने साइकिल ट्रैक का उद्घाटन किया और ऐलान किया था कि गोरखपुर में भी साइकिल ट्रैक का निर्माण किया जाएगा। इस आदेश के बाद प्रदेश में दूसरे साइकिल ट्रैक का निर्माण गोरखपुर में शुरू हुआ। इस कार्य की जिम्मेदारी जीडीए को मिली। 1 करोड़ 43 लाख रुपए की अवस्थापना निधि से इसका निर्माण हुआ। लगभग पांच किमी लंबा यह साइकिल ट्रैक मोहद्दीपुर पुलिस चौकी से शुरू होकर यूनिवर्सिटी चौराहा, यूनिवर्सिटी गेट, छात्रसंघ चौराहा होते हुए पैडलेगंज तक बना है।

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कॉलिंग

बहुत गड़बड़ है, अगर यह साइकिल ट्रैक साफ रहता तो हम जैसे बुजुर्ग साइकिल से घूमते। अभी तो डर रहता है कि पता नहीं कौन सी गाड़ी किस स्पीड से आकर लड़ जाए।

मोहन प्रसाद जायसवाल, रिटायर्ड पर्सन

साइकिल ट्रैक बना है तो इसकी सुरक्षा भी होनी चाहिए। पब्लिक तो झगड़ा करके अतिक्रमण करने वालों को नहीं हटाएगी।

धर्मेद कुमार यादव, व्यापारी

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वर्जन

कई बार अतिक्रमण हटाया गया है, लेकिन साइकिल ट्रैक पर कुछ लोग अतिक्रमण कर ले रहे हैं। कुछ जगहों पर चिह्नित किया गया है, इन पर बड़ी कार्रवाई की जाएगी।

एमएन मिश्रा, सचिव, जीडीए

इन सड़कों पर आज भी है अवैध कब्जा

-बेतियाहाता

-मोहद्दीपुर रोड

-स्टेशन रोड

-बैंक रोड

-जुबली रोड

-रेती रोड

-घंटाघर

-धर्मशाला

-असुरन

-गोलघर

-सिनेमा रोड

-विजय चौराहा

आखिर क्यों नहीं हटता अतिक्रमण

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की पड़ताल में शहर से अतिक्रमण नहीं हटने के जो तीन अहम कारण सामने आए हैं वो चौंकाने वाले हैं।

-यूपी-100 ने तय कर रखा है तीन सौ रुपए प्रति ठेला

-बड़े दुकानदारों ने नहीं बनाया पार्किंग स्टैंड, पैसा लेकर अधिकारी चुप

-अधिकारियों के घरों में लगते हैं फ्री के पौधे