- यूजीसी देने वाला है यूनिवर्सिटीज व कॉलेजेज को स्वच्छता रैंकिंग

- दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने जाना डीडीयूजीयू की सफाई व्यवस्था का हाल

- टॉयलेट कंडीशन, ड्रिंकिंग वॉटर, गारबेज क्लीयरेंस आदि मानकों पर बदतर मिली स्थिति

GORAKHPUR: यूनिवर्सिटी व संबद्ध कॉलेजेज की सफाई व्यवस्था की यूजीसी द्वारा जांच से पहले ही जिम्मेदारों की पोल खुलने लगी है। यूनिवर्सिटी कैंपस का ही हाल इतना बुरा है कि अच्छी स्वच्छता रैंकिंग तो छोडि़ए कई मानकों पर फ्लॉप होने जैसी स्थिति बन गई है। ये हाल तब सामने आया जब दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर मंगलवार को यूनिवर्सिटी प्रशासन के सफाई के दावों की हकीकत जानने निकला। इस दौरान कला संकाय भवन के उर्दू, राजनीति शास्त्र और हिस्ट्री डिपार्टमेंट सहित अन्य जगहों पर यूजीसी के कई मानक पूरे होते नहीं दिखे।

इन क्राइटेरियाज में सबसे बुरा हाल

- हॉस्टल, एकेडमिक बिल्डिंग में टॉयलेट्स की अवेलबिल्टी

कला संकाय भवन स्थित उर्दू और राजनीति शास्त्र डिपार्टमेंट के टॉयलेट में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। टॉयलेट की खिड़कियों में दरवाजे तक गायब हो चुके हैं। हाल ये कि स्टूडेंट्स को जरूरत पड़ने पर दीक्षा भवन तक जाना पड़ता है।

- वाटर स्टोरेज, पाइपलाइन सिस्टम, क्वालिटी ऑफ ड्रिंकिंग वाटर

हिस्ट्री डिपार्टमेंट में लगा हैंडपंप टूटा हुआ है। स्टूडेंट्स का कहना है कि पिछले कई वर्षो से खराब पड़े इस हैंडपंप को बनवाने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कुछ नहीं किया। इसके चलते यहां सबसे ज्यादा दिक्कत पानी की है।

- गारबेज क्लीयरेंस इन कैंपस

कला संकाय भवन सहित कैंपस में कई जगह सफाई की हालत खराब दिखी। जगह-जगह बिखरे पोस्टर बैनर साफ नहीं कराए जाए। वहीं, विभागों की सीढि़यों के बगल में वेस्ट मेटेरियल डाल दिए गए हैं।

- हॉस्टल के किचन में स्टाफ कितनी मेनटेन कर रहे हैं हाईजीन

यहां के ग‌र्ल्स हॉस्टल के किचन में सफाई का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा जा रहा। बेहद गंदी परिस्थितियों में ही छात्राओं के लिए भोजन पकाया जा रहा है।

स्टूडेंट्स कोट्स

कला संकाय भवन में ना तो शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था है और ना ही साफ-सफाई की। जब तक यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्र हित में ध्यान नहीं देगा तब तक यह समस्या बनी रहेगी।

प्रिया चौधरी, स्टूडेंट

यूनिवर्सिटी में पीने के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है। टॉयलेट भी यहां का हमेशा गंदे रहते हैं। स्वच्छता का तो सीधे यूनिवर्सिटी ने मजाक बना दिया है।

शिवेंद्र त्रिपाठी, स्टूडेंट

यूनिवर्सिटी के टीचर्स हों या फिर प्रशासनिक अधिकारी, केवल स्वच्छता के नाम पर चुनिंदा जगहों पर झाड़ू लगवाते हैं। हकीकत में अगर यूनिवर्सिटी कैंपस के भीतर स्वच्छता की बात करें तो एक भी प्रतिशत सफाई नहीं होती है।

अभिषेक त्रिपाठी, स्टूडेंट

कैंपस में साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। क्लासेज में बड़े-बड़े जाले लगे रहते हैं। डेस्क और बेंच पर पूरी तरह डस्ट जमा रहता है। कहां से इन्हें क्लीन यूनिवर्सिटी की रैंक मिलेगी।

सोनम सिंह, स्टूडेंट

वर्जन

स्वच्छता को लेकर जो भी समस्या आ रही है, उसे दूर कराया जाएगा। कैंपस हो या फिर हॉस्टल, हर तरफ मानकों को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।

- शत्रोहन वैश्य, रजिस्ट्रार, डीडीयूजीयू