-चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के समापन पर बुक का लोकार्पण

क्कन्ञ्जहृन्: नई पीढि़यों को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में जानकारी देना जरूरी है। स्कूलों में सुबह होने वाली प्रार्थना के बाद गांधी से जुड़ी कोई एक कहानी बच्चों को रोज सुनाई जाए। यह बातें सीएम नीतीश कुमार ने कही। सीएम ने शनिवार को सचिवालय स्थित अधिवेशन भवन में तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया। डिप्टी सुशील मोदी और गांधीवादी डॉ। रजी अहमद समेत अन्य मौजूद थे।

बताएं गांधी कैसे दिखते थे

सीएम ने कहा कि हमें नई पीढ़ी को भी बताना होगा कि चंपारण सत्याग्रह के समय गांधी दिखते कैसे थे। क्योंकि गांधी के विचारों को हमने आजादी मिलने के तुरंत बाद ही भुला दिया। उन्होंने कहा कि गांधी ने जन भागीदारी के साथ विकास को विकेंद्रीकृत करने की जरूरत है। चंपारण सत्याग्रह में जन भागीदारी ने जन आंदोलन का रूप लिया और देश में आजादी की लड़ाई शुरू हो गई। सीएम ने शनिवार को जिन तीन पुस्तकों को विमोचन किया उनमें आशुतोष पार्थेश्वर लिखित पुस्तक 'चंपारण सत्याग्रह 1917', अरविंद मोहन लिखित मिस्टर एमके गांधी की चंपारण डायरी' और श्रीकांत लिखित पीर मुहम्मद मूनिस, कलम के सत्याग्रही' शामिल हैं। डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह के बारे में जितना पिछले सौ वर्षों में नहीं लिखा गया, उतना सत्याग्रह के सौ वर्ष पूरे होने पर पिछले एक वर्ष में लिखा गया है। उन्होंने कहा कि पंडित राजकुमार शुक्ल गांधी को नहीं लोकमान्य तिलक को चंपारण बुलाना चाहते थे। लेकिन तिलक के इनकार करने पर गांधी को चंपारण आमंत्रित किया था.डॉ। रजी अहमद ने कहा कि पहले चंपारण में निलहों का आतंक था जो बाद में 'मिलहों' के आतंक में तब्दील हो गया।