- हरी सब्जियों की पैदावार बाढ़ में तबाह, खेतों में पानी भरने से डूबी फसल

- दूर प्रदेशों से सफर कर आने के कारण सब्जियों के दाम छू रहे आसमान

- जो भाव किलो का हुआ करता था, उतने में पाव भी नहीं मिल रही है अब

- महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कश्मीर, पंजाब से आ रहीं हैं हरी सब्जियां

KANPUR : जिन लोगों को खाने में रोज बदल-बदल कर सब्जियां खाने की आदत है, खासकर हरी सब्जियां तो इस वक्त उन्हें अपनी जेब का ख्याल रखना पड़ेगा। दरअसल, बरसात में लोकल स्तर पर हरी सब्जियों की पैदावार बंद हो जाने से बाजार में आने वाली सब्जी कर्नाटक और राजस्थान आदि स्टेट्स से मंगाई जा रही हैं, जिससे सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसका सीधा असर आम आदमी के बजट पर पड़ रहा है।

टमाटर का रंग सबसे 'लाल'

सब्जियों की बात करें सबसे ज्यादा महंगाई का रंग टमाटर पर चढ़ा है। एक महीने से यही हाल है। बारिश में लोकल स्तर पर टमाटर की पैदावार लगभग खत्म हो गई। इसके बाद सिटी की सब्जी आढ़त में बैंगलुरू और शिमला से टमाटर मंगाया जा रहा है। । जिससे टमाटर का फुटकर बाजार में रेट क्00 से क्क्0 रुपए किलो तक पहुंच गया है। इतना मंहगा होने से आम आदमी ने टमाटर से दूरी बना ली है।

बाहर से आने पर इनके भी बढ़े भाव

सिर्फ टमाटर ही नहीं है, भिंडी, लौकी, खीरा, शिमला मिर्च, मटर आदि के भी भाव ने भी जबरदस्त उछाल मारी है। चकरपुर फल एवं सब्जीमंडी के आढ़तियों के मुताबिक डिस्ट्रिक में हरी सब्जियों की पैदावार खत्म हो चुकी है। सिर्फ किसान अपने खेतों में थोड़ी बहुत बची सब्जियां लोकल मार्केट में बेच कर अपना काम चला रहे हैं। इसके अलावा सारी सब्जियां बाहरी प्रदेशों से ही आ रही हैं। इसमें लौकी राजस्थान और छत्तीसगढ़ से, खीरा छत्तीसगढ़ से, शिमला मिर्च पंजाब व महाराष्ट्र से, मटर को कश्मीर, पंजाब व हलद्वानी से मंगाई जा रही है।

जरा रेट भी जान लीजिए

करीब डेढ़ महीने पहले तक जो सब्जियां कम दामों पर मार्केट में उपलब्ध थीं, अब उनके दाम सुनते ही होश उड़ रहे हैं। इन सब्जियों के थोक और फुटकर बाजार में रेट क्या चल रहे हैं, यह जान लीजिए।

सब्जियां- थोक मार्केट- फुटकर मार्केट

-टमाटर- क्800 रुपए की कैरेट(ख्भ् किलो) - क्क्0 रुपए किलो।

-लौकी- ब्0 से भ्0 रुपए किलो- म्0 से 70 रुपए किलो।

- शिमला मिर्च-भ्0 से भ्भ् रुपए किलो- म्0 से 70 रुपए किलो।

- मटर- 90 रुपए किलो- क्क्0 रुपए किलो।

- खीरा- ख्0 रुपए किलो- क्0 से क्भ् रुपए प्रति पीस।

- भिंडी- फ्0 से ब्0 रुपए किलो- भ्भ् से म्0 रुपए किलो।

---------

डेढ़ महीने पहले थोक मार्केट में यह थे रेट

टमाटर- म्0 रुपए कैरेट

खीरा- क्0 रुपए के भ्

लौकी- क्0 रुपए किलो

शिमला मिर्च- ख्भ् से फ्0 रुपए किलो मटर- फ्0 से ब्0 रुपए किलो

भिंडी- ख्0 से ख्भ् रुपए किलो ------------------------

आढ़तियों के वर्जन-

लोकल स्तर पर किसानों की हरी सब्जियां खत्म होने की कगार पर है। ऐसे में सब्जियां बाहर से मंगाई जा रही हैं। तमाम खर्चो के साथ आम आदमी तक पहुंचे पहुंचे दाम बढ़ना तो तय हैं। बरसात के दिनों में यही वजह है महंगाई की।

- डॉलर राइन, थोक विक्रेता, चकरपुर मंडी

-----

दूर दराज के प्रदेशों से हरी सब्जियां मंगाई जा रही हैं। सब्जियों पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगता है, लेकिन सब्जी को मंडी तक आना और फिर उसका लोकल मार्केट में पहुंचने तक कई स्तर पर तमाम खर्चे होते हैं, जिससे दामों में बढ़ोतरी हुई है।

- मुन्ना भाई, थोक व्यापारी, चकरपुर मंडी

----

बरसात में खेतों में पानी भर जाने से हरी सब्जियां खराब हो जाती हैं। खासकर टमाटर में दाग आ जाता है, जिससे मंडी में इसकी खरीद नहीं की जाती है। बाहरी प्रदेशों से हाइब्रिड सब्जियां मंगाई जाती है, जिसे लोकल व्यापारी खरीद कर कस्ट्मर्स तक पहुंचाता है। इससे इनके दाम भी बढ़ जाते हैं।

- हाजी रशीद, थोक व्यापारी, चकरपुर

बैंगलुरू से आने वाले टमाटर की भी आवक अब कम हो गई है। इससे टमाटर के दाम और ॉबढ़ गए हैं। मंडी में भी टमाटर न के बराबर ही पहुंच रहा है। सिर्फ एक खास वर्ग ही इतने महंगे टमाटर का यूज कर रहा है।

- मो। इश्तियाक खान, थोक व्यापारी, चकरपुर

---------------