स्न्स्न्क्त्रन्रू/क्कन्ञ्जहृन्: टमाटर प्रति रुपए किलो बिक रहा है। जबकि ढुलाई खर्च दो रुपए आता है। पटवन व मेहनताना खर्च अलग से। डीजल व बिजली महंगी होती जा रही है। ऐसी स्थिति में इसे बर्बाद करने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है। सब्जी उत्पादकों का यह दर्द रविवार को पोस्ट ऑफिस चौक पर टमाटर की फसल को नष्ट करने के दौरान छलका। नोखा के कई किसानों ने मंडी लाए गए टमाटर को बेचने के बजाए सड़क पर फेंककर विरोध जताया। कहा कि अगर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग होता तो यह दिन नहीं देखना पड़ता। बाजार लाने पर टमाटर का उचित दाम नहीं मिलने से नाराज सदर प्रखंड के आकाशी गांव के एक दर्जन से अधिक सब्जी किसानों ने टमाटर पर गाडि़यां चला उसे नष्ट किया। किसान मनोज सिंह के अनुसार एक किलो टमाटर को तैयार कर उसे मंडी तक पहुंचाने में छह से आठ रुपये खर्च आता है। लेकिन बाजार में कीमत सिर्फ एक रुपए किलो ही मिलती है। किसानों हितों के लिए घोषणाओं पर अमल नहीं हो रहा।