-इसके लिए अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों की मदद लेगा एसवीयू

क्कन्ञ्जहृन्: मुजफ्फरपुर के निलंबित एसएसपी विवेक कुमार के ठिकानों पर विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने भले ही छापेमारी और तलाशी की कार्रवाई फिलहाल रोक दी है लेकिन अब जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। एसवीयू की टीम अब विवेक कुमार के विदेश कनेक्शन की भी जांच करेगी। इस आइपीएस अधिकारी और उनके रिश्तेदारों के मुजफ्फरनगर स्थित बैंक लॉकरों से बरामद विदेशी मुद्राओं से एसवीयू को आशंका है कि कहीं विवेक कुमार ने अपनी काली कमाई का निवेश कहीं विदेशों में तो नहीं कर रखा है। इसके लिए एजेंसी अन्य केंद्रीय एजेंसियों की मदद ले सकती है। इसके अलावा विवेक कुमार के ठिकानों पर एसवीयू की छापेमारी के दौरान कुछ ऐसे आपत्तिजनक व प्रतिबंधित हथियार, विदेशी मुद्राएं और 59 हजार के भारतीय प्रतिबंधित करेंसी मिले हैं।

रीडर के नेपाल भागने की आशंका

मुजफ्फरपुर एसएसपी के आवासीय कार्यालय से बरामद कंट्री मेड कारबाइन, मैगजीन और कारतूस मामले में एसवीयू ने मुजफ्फरपुर नगर थाने में प्राथमिकी तो दर्ज करा दी है लेकिन यह अज्ञात के विरुद्ध है। क्योंकि एसएसपी ने इस आवासीय कार्यालय में कारबाइन कैसे आई, इस संबंध में किसी तरह की जानकारी होने से साफ इन्कार कर दिया है। जबकि एसएसपी के आवासीय कार्यालय का एक रीडर दिनेश कुमार यादव का अबतक कोई सुराग नहीं मिला है। बताया जाता है कि दिनेश यादव एसएसपी विवेक कुमार के राजदारों में शामिल है और उसके नेपाल भाग जाने की बात सामने आ रही है। मुजफ्फरपुर पुलिस की एक टीम गया के विभिन्न स्थानों पर छापेमारी कर दिनेश की तलाश कर रही है। लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिल सका है।

ट्रांजेक्शन का स्रोत कहीं शराब माफिया तो नहीं

एसवीयू के सूत्र बताते हैं कि विवेक कुमार और उनके परिजनों के बैंक खातों में बड़ी रकम के ट्रांजेक्शन की जांच शुरू कर दी गई है। अबतक की जांच में एक बात स्पष्ट है कि वर्ष 2016 के बाद उनके बैंक खातों में बार बार मोटी रकम के ट्रांजेक्शन किए गए हैं। यह राशि मुजफ्फरनगर स्थित उनकी ससुराल से एसएसपी व उनकी पत्नी निधि को बतौर तोहफा दी गई है। ऐसे में एसवीयू की टीम अब यह पता लगाने में जुटी है कि कहीं इन पैसों का स्रोत वे शराब माफिया तो नहीं हैं जिनसे मधुर संबंध रखने के आरोप निलंबित एसएसपी विवेक कुमार पर लग रहे हैं। संभव है कि शराब माफिया ने यह रकम विवेक के ससुराल वालों को दी है और बाद में उस रकम को ससुराल का तोहफा बताकर कभी निधि कर्णवाल तो कभी विवेक कुमार के बैंक खातों में डाला गया। बाद में इस रकम को फिक्स डिपोजिट में त?दील किया गया है। इस शक का एक आधार यह भी है कि वर्ष 2016 के अप्रैल में बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद इन खातों में ट्रांजेक्शन में वृद्धि दर्ज की गई है।