मौलवी लियाकत और सैनिक रामचंद्र अमर रहे के नारों से गूंजी संगम नगरी, याद आए आजादी के रणबांकुरे

कमिश्नर की अगुवाई में पदयात्रा के साथ हुआ पहली आजादी महोत्सव का आगाज, हजारो लोग शामिल

ALLAHABAD: वेडनेसडे को मंडलायुक्त आशीष गोयल पुलिस बैंड की धुन और भारत माता की जय के साथ मौलवी लियाकत अली अमर रहे, सैनिक रामचंद्र अमर रहे के नारों के साथ पदयात्रा पर निकले तो 07 जून 1857 की क्रांति और अंग्रेजों से इलाहाबाद की आजादी पुनर्जीवित हो गई। सैकड़ों की संख्या में लोग इस पदयात्रा में शामिल हुए और जून 1857 की क्रांति को याद किया।

राष्ट्रीय धुन के साथ वंदे मातरम

नागरिक मूल्यांकन प्रतिष्ठान, शहीदवाल और सिविल डिफेंस की अगुवाई में 1857 में इलाहाबाद को मिली पहली आजादी को महोत्सव के रूप में मनाने की शुरूआत की गई। चौक स्थित पवित्र नीम के पेड़ पर पुष्प अर्पित करने के बाद पदयात्रा खुसरूबाग तक गयी। वहां 1857 के क्रांतिकारियों ने अपना मुख्यालय बनाया था और वहीं से 10 दिनों तक राज्यसत्ता चलाई थी। इस दौरान वंदे मातरम, भारत माता की जय और बैंड पर राष्ट्रीय धुन बजने से पूरे क्षेत्र का माहौल बदल गया।

तैयार होगी कॉफी टेबल बुक

खुसरोबाग में हुई सभा में मंडलायुक्त आशीष गोयल ने कहा कि इलाहाबाद के पुराने गौरव को पुनर्जीवित करने का काम आज से शुरू हो गया है। इसके लिए प्रशासन हर तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद के गौरव का इतिहास निकालकर उन चित्रों को ढूंढकर जो ऐतिहासिक महत्व के हैं, कॉफी टेबल बुक किताब के माध्यम से आमजन तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने शहीद वाल पर इलाहाबाद के दुर्लभ चित्रों की प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। आम जन से अपील की कि यदि उनके पास दुर्लभ चित्र या दस्तावेज हैं तो उसे संग्रह के रूप में प्रकाशित करें।

कायम रखेंगे यह परंपरा

प्रोफेसर आरपी मिश्रा पूर्व कुलपति इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने कहा कि आजादी हमें मिली है इसका सदुपयोग करें। पुनीत शुक्ला एडीएम सिटी ने कहा कि अब यह परंपरा हर साल चलेगी और 10 दिन तक कार्यक्रम आयोजित कर शहीदों का स्मरण किया जाएगा। कार्यक्रम में संयोजक वीरेंद्र पाठक, सिविल डिफेंस के चीफ वार्डन अनिल गुप्ता, आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रमोद शुक्ला, नाजिम अंसारी कमलेश पटेल, अरविंद पांडे, देवेंद्र सिंह, दिव्यांशु मेहता, सरदार अजीत सिंह, डॉ। मुक्ति व्यास, अजीत चौहान, अर्चित हिंदुस्तानी आदि मौजूद रहे।