-पुलिस के हत्थे चढ़ा इंटरनेशनल ठगों का गैंग, सोशल मीडिया के जरिए दोस्ती गांठ व इनाम देने का लालच देकर लोगों को लगाते थे चूना

-ढाई करोड़ की ठगी किये जाने की बात कबूली, पांच ठग गिरफ्तार, गैंग का मास्टरमाइंड फरार, नाइजीरिया का है रहने वाला

VARANASI

कभी दोस्ती, तो कभी ईनाम का लालच देकर लोगों को चूना लगाने वाले इंटरनेशनल गैंग से जुड़े लोगों को पुलिस ने पकड़ा है। ये सभी सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर ठगी की घटना को अंजाम देते थे। फेसबुक, व्हाट्सएप, जी मेल के जरिए दोस्ती गांठने के बाद लोगों को लाखों की चपत लगा देते थे। गिरोह का सरगना नाइजीरियन है। वह पुलिस के हाथ नहीं लगा है लेकिन गैंग से जुड़े पांच लोगों को अलग अलग प्रदेशों से गिरफ्तार किया गया है। जांच में गिरोह की ओर से अब तक ढाई करोड़ की ठगी किये जाने की बात सामने आई है। इनके पास से विभिन्न बैंकों के खातों के पासबुक, चेकबुक, फर्जी पैन कार्ड बरामद किए गए हैं। इनके बैंक खातों को भी सीज करा दिया गया है।

लाखों की ठगी के बाद हुए एक्टिव

एसएसपी नितिन तिवारी ने सोमवार को बताया कि विदेश से ऑनलाइन लॉटरी निकलने की सूचना देने के बाद कस्टम या इनकम टैक्स विभाग की ओर से ईनाम रोके जाने का वास्ता देकर जालसाज एकाउंट में पैसा मंगाते थे। इसके बाद मोबाइल फोन बंद हो जाता था। इनके शिकार डॉक्टर, टीचर से लेकर व्यापारी तक हो चुके हैं। भेलूपुर में एक भुक्तभोगी के साथ क्म् लाख की ऐसी धोखाधड़ी होने के बाद रिपोर्ट दर्ज हुई तो पुलिस एक्टिव हुई। गिरफ्तार ठगों में दिल्ली से लेकर मध्य प्रदेश के लोग शामिल हैं। गिरोह का संचालन दिल्ली से होता था।

साइबर सेल जुटा था जांच में

एसएसपी के मुताबिक इस मामले में कार्रवाई के लिए साइबर सेल के साथ क्राइम ब्रांच को लगाया था। पुलिस टीम कई दिनों तक देश के दूसरे हिस्सों में छापेमारी करती रही। गिरोह का पर्दाफाश करते हुए अलग अलग प्रदेशों से आशीष जानसन निवासी बसंत कुंज नई दिल्ली के अलावा बहादुर सिंह निवासी फिरोजाबाद और ग्वालियर के रहने वाले अशोक शर्मा, सुरेश तोमर व संतोष वर्मा को अरेस्ट किया गया है। गिरोह का कर्ताधर्ता नाइजीरियन अभी हत्थे नहीं चढ़ा है लेकिन उसके लिए दो टीमें बाहर कैंप कर रही हैं।

ये था ठगी का तरीका

लोगों के मेल आईडी पर गैंग की ओर से पहले मेल आता था। जिसमें लिखा होता था कि बधाई हो आपने जीता है यूएस लॉटरी में एक करोड़ डॉलर। यही नहीं कई नामी कंपनी से लेकर पब्लिकेशन हाउस तक के फर्जी नाम से मेल आते थे। बड़ी संख्या में लोग इसे नजरअंदाज कर देते थे लेकिन सोशल मीडिया पर अधिक सक्रिय रहने वाले इसे चेक करते थे। इस दौरान वह संबंधित नंबर पर कॉल करते थे। इसी के बाद शुरू हो जाता था ठगी का सिलसिला। कुछ दिनों तक तो ईनाम भेजे जाने की सूचना होती थी। इसके बाद दिल्ली के नंबर से कॉल आती थी कि आपका ईनाम आया है लेकिन विदेश से आई रकम को पाने की खातिर इनकम टैक्स और कस्टम ड्यूटी अदा करना होगा। डॉलर के रूप में करोड़ों कमाने के चक्कर में उस व्यक्ति की ओर से बताये गये बैंक खाते में जरूरी कार्रवाई के लिए पैसे जमा करवाते थे। पैसे जमा होने के बाद नंबर और खाता दोनों बंद हो जाता था। गिरोह ने कई प्रदेशों में अपने मॉड्यूल बनाए हैं जो कमीशन पर काम करते हैं। इनके खाते में कमीशन की धनराशि छोड़कर बाकी निकाल ली जाती थी।