-शहर के 60 वार्डो की पब्लिश रिपोर्ट में रिसर्च करने पर सामने आई वार्डो में कूड़े की हकीकत
-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने लगातार दो महीने तक प्रकाशित की थी वार्डो की जमीनी हकीकत
-रिसर्च में सामने आया कि कानपुर में कूड़ा उठान व्यवस्था में है काफी सुधार की गुंजाइश
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KANPUR : कानपुर शहर में जब स्वच्छ भारत अभियान की जमीनी हकीकत पर नजर पड़ती है। तब शहर स्वच्छता के नाम से भी कोसों दूर खड़ा नजर आता है। आज हम आपको शहर के वार्डो में कूड़े की सच्चाई के बारे में बताते हैं कि कैसे कूड़ा शहर की साख का 'कचरा' कर रहा है। शहर के प्रकाशित 60 वार्डो की रिपोर्ट में यह आंकड़े सामने आए कि कोई भी वार्ड स्वच्छता के मामले में 2 का आंकड़ा भी पार नहीं कर सका। यह हाल तब है जब नगर निगम द्वारा साफ-सफाई पर सालाना करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं।
हफ्तों तक सफाई भी नहीं होती
वार्डो में लोगों का कहना है कि हफ्तों तक सफाई ही नहीं होती है। सफाई नायकों को भी कहा जाता है, लेकिन वह भी कोई ध्यान नहीं देते हैं। ऐसे में कभी-कभी स्थानीय लोगों को अपने पास से पैसे खर्च कर सफाई करानी पड़ती है। ऐसे हालातों में मोहल्ले ही बीमारियों के घर बनते जा रहे हैं, आसपास कूड़े के ढेरों से भीषण बदबू आती है, जिससे लोगों का जीना मुहाल हो जाता है। गर्मी और बारिश के सीजन में कूड़ा सड़ने से तरह-तरह की बीमारियां लोगों को अपना शिकार बना लेती हैं, जिससे आम जनमानस बुरी तरह प्रभावित होता है।
कूड़ा सफाई में सबसे कमजोर रेटिंग
सफाई को लेकर बड़े-बड़े वादे और दावे पार्षद व नगर निगम भी करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। सच तो यह है कि शहर के आदर्श वार्डो में भी कूड़े की स्थिति महीने में कई दिन खराब रहती है। इसी से आप अन्य वार्डो की हकीकत का अंदाजा लगा लीजिए कि वार्डो में हालात कितने बुरे होंगे। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में प्रकाशित 60 वार्डो में पांच कैटेगिरी में से एक कूड़े पर प्राप्त आंकड़ों पर रिसर्च की गई, जिसमें वार्डो में कूड़े की स्थिति का जो औसत आया वह 10 में से महज 2.62 ही रहा।
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वार्डो में कूड़ा उठाया ही नहीं जाता है, हफ्तों तक वहीं पड़ा सड़ता रहता है। हफ्तों बाद नगर निगम की गाड़ी आती है और कूड़ा उठाकर ले जाती है।
-आकाश मिश्रा
वार्डो में तैनात सफाई कर्मी किसी भी नहीं सुनते हैं। सड़कों पर कभी-कभी आकर झाड़ू लगा जाते हैं और अपनी ड्यूटी पूरी कर जाते हैं। कूड़ा निस्तारण के हालात बहुत बुरे हैं।
-अभिषेक शर्मा
पार्षद से कहो तो वो सुनते ही नहीं हैं आजकल कर के टरका देते हैं। कहते हैं कि सफाई कर्मी आते ही नहीं हैं नगर आयुक्त से बात करने के लिए कहते हैं, लेकिन कूड़ा बमुश्किल उठता है।
-मयंक गुप्ता
मेरे वार्ड में अक्सर कूड़ा नहीं उठाया जाता है। सफाई कर्मी आते हैं झाड़ू लगाकर कूड़ा एक जगह एकत्र कर देते हैं। इसके बाद जमा कूड़ा उठाने के लिए कई-कई दिनों तक गाड़ी ही नहीं आती है।
-शैलेंद्र सिंह
वार्डो में गंदगी के लिए हम लोग भी जिम्मेदार हैं। अक्सर लोग सड़क पर कहीं भी कूड़ा फेंक देते हैं। सफाई कर्मी नहीं आते हैं यह समस्या है, लेकिन हम लोगों को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए।
-रोहित गुप्ता
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वार्डो में कूड़े की स्थिति की रेटिंग
वार्ड 1 से 15--- 3.6
16 से 30-- 2.0
31 से 45-- 2.7
46 से 60-- 2.2
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शहर की ओवर ऑल स्थिति
1 से 60 वार्ड में--- 2.5
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नोट- शहर के 60 वार्डो को सैंपल में लिया गया है। हर एक ग्राफ में 15 वार्ड के आंकड़े लिए गए हैं। आंकड़ों को 1 से 10 की रेटिंग में औसत नंबर दिए गए हैं। 10 में से प्राप्त आंकड़ों का औसत निकाला गया है।
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कूड़े के निस्तारण को लेकर हर दिन प्रयास किए जाते हैं और आगे भी इसके लिए कार्य जारी रहेंगे। शहर के किसी भी वार्ड में कूड़ा निस्तारण को लेकर समस्या है तो उसका निदान किया जाएगा। बारिश के सीजन में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक वार्ड में कूड़ा निस्तारण प्रत्येक दिन हो।
-अमृत लाल बिंद, अपर नगर आयुक्त (फर्स्ट)