- बॉडी डोनेशन अप्लीकेंट्स के परिवार बीआरडी मेडिकल कॉलेज को नहीं देते बॉडीज

- 2014 से आईं 60 अप्लीकेशंस लेकिन बॉडी एक भी नहीं, एनॉटमी विभाग में प्रभावित हो रही एमबीबीएस की पढ़ाई

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज का एनॉटमी विभाग ऑर्गन डोनेशन के प्रति लोगों में अवेयरनेस की कमी से परेशान है। हालांकि यहां बॉडी डोनेशन के लिए 2014 से अबतक 60 उम्रदराज लोगों ने अप्लाई किया था लेकिन उनकी मौत के बाद परिवारों ने बीआरडी प्रशासन को सूचित ही नहीं किया। जिसके चलते एमबीबीएस स्टूडेंट्स को मानव संरचना की पढ़ाई के लिए इन वर्षो में सिर्फ पांच बॉडीज ही मिल सकी हैं और वो भी बिना आवेदन वाली।

तो बेहतर सीख पाते एमबीबीएस स्टूडेंट्स

बता दें, एमबीबीएस पढ़ाई के दौरान शुरुआती दौर में स्टूडेंट्स को मानव संरचना के बारे में पढ़ाया जाता है। साथ ही शरीर के तरह-तरह के परीक्षण व जांच करना सिखाया जाता है। लेकिन बीआरडी मेडिकल स्टूडेंट्स को बीते आठ साल में सिर्फ पांच बॉडीज ही परीक्षण के लिए मिल सकी हैं। जबकि नियमत: हर साल नई बॉडी से परीक्षण व जांच होनी होती है। बताते चलें कि 2014 से अब तक मेडिकल कॉलेज में अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए। इस दौरान 60 उम्रदराज लोगों ने बॉडी डोनेट करने की इच्छा जाहिर करते हुए एनॉटमी विभाग में अप्लाई किया। मगर चार साल बीतने के बाद एक भी अप्लीकेंट की मौत के बाद उसके परिजन सामने नहीं आए। 2011 से अब तक बिना अप्लाई ही पांच लोगों की बॉडी डोनेट की गई हैं। इनमें पिछले साल एक डॉक्टर ने अपने ससुर की बॉडी डोनेट की थी।

अंगदान के प्रति उदासीनता

एनॉटमी विभाग के जिम्मेदारों का मानना है कि जागरुकता की कमी व अंधविश्वासों के चलते बॉडी डोनेशन अप्लीकेंट्स के परिजन उनकी मौत के बाद आगे नहीं बढ़ते। वहीं, संस्थाओं व अस्पतालों का रवैया भी कुछ उदासीन है और लोग इससे परेशान होकर भी अपना इरादा बदल लेते हैं। एनॉटमी विभाग के एचओडी डॉ। रामजी बताते हैं कि हालांकि कई बड़ी हस्तियों द्वारा ऑर्गन डोनेशन कैंपेन करने के बाद लोग आगे आ रहे हैं। बेहतर होगा कि इस तरह के प्रयासों के लिए व्यापक जागरुकता अभियान चलें। जिनके द्वारा लोगों को शिक्षित किया जाए कि किस तरह से वो मरनेके बाद भी लोगों की जिंदगियां बचा सकते हैं।

ये होती है प्रक्रिया

- बॉडी डोनेट करने के लिए अप्लीकेशन फॉर्म बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एनॉटमी विभाग से प्राप्त करें।

- सबसे पहले आपको खुद को तैयार करना होगा कि आपको भविष्य में बॉडी डोनेट करनी है। इसके बाद अपने परिवार के सदस्यों को इसके महत्व को समझाकर तैयार करना होगा क्योंकि उनकी रजामंदी जरूरी है।

- बॉडी डोनेट फॉर्म भरने से पहले उसके निर्देशों को पढ़ें। जो भी जरूरी कागजात लगें उन्हें संलग्न करें।

- अप्लीकेशन करने वाले की मृत्यु के 12 घंटे पहले की परिवार के सदस्यों को संबंधित विभाग को इंफॉर्म करना होता है। ताकि तुरंत गाड़ी पहुंचकर बॉडी को कलेक्ट कर सके। अपने निजी साधन से भी बॉडी को संबंधित विभाग को भेजा जा सकता है। जिसका आने जाने का खर्च विभाग व्यय करेगा।

- बॉडी डोनेशन जल्द से जल्द कर देना चाहिए, बॉडी खराब न हो इसलिए उसे रेफ्रिजरेटेड कॉफिन्स में प्रिजर्व किया जाता है।

- शरीर को तरह-तरह के परीक्षण व जांच के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जिससे नई मशीनों, शोधों व सर्जरीज को ईजाद करने व इलाज को बेहतर करने की दिशा में मदद मिल सके।

- अस्पताल मात्र शरीर विज्ञान व संरचना की जानकारी के लिए ही मृत शरीर का उपयोग करते हैं।