-अवस्थापना निधि में 12 लाख रुपए करने की तैयारी में नगर निगम

-कई सड़कों की जरूरत थी, फिर भी अवस्थापना निधि से कर दिया बाहर

-नगर निगम परिसर के अंदर की रोड पर नहीं है एक भी गड्ढे

GORAKHPUR: शहर की जिम्मेदारी छोड़ नगर निगम अपनी ही गलियों को चमकाने में व्यस्त है। उसे शहर की टूटी हुई सड़कें नहीं दिख रही, लेकिन उसकी अपनी चमचमाती सड़क की फ्रिक कुछ ज्यादा ही है। दरअसल हुआ है कि निगम ने 14वें अवस्थापना निधि में शहर की सड़कों को चमकाने की लिस्ट में नगर निगम परिसर की सड़क को शामिल कर लिया है, जबकि निगम कार्यालय के पास की टूटी सड़कों को छोड़ दिया है।

नगर निगम की यह चमकती रोड

निगम परिसर में लगभग 500 मीटर रोड है। 400 मीटर तक सड़क सही है, लेकिन निगम से शास्त्री चौक की तरफ आने पर थोड़ी सी टूटी है। वहीं, स्टोर की तरफ जाने वाल क्रास टूटा है। पूरे रोड पर कहीं भी गड्ढे नहीं है। इस रास्ते पर डेली अधिक से अधिक पांच से छह हजार के लगभग लोग आते हैं। फिर भी नगर निगम के अधिकारियों ने इस सड़क को चमकाने के लिए 14वें अवस्थापना निधि में शामिल कर लिया है।

हट्टी माई मंदिर रोड

आने-जाने वालों की संख्या- 20 से 25 हजार

नगर निगम कार्यालय से लगभग एक किमी दूर 500 मीटर लंबा यह रास्ता घोस कंपनी चौराहा से शुरू होता है और हट्टी माई मंदिर के पास निकलता है। यह सड़क पूरी तरह से टूट गई है। 500 मीटर की सड़क पर 100 से अधिक गड्ढे दो से तीन इंच वाले हैं। इस रास्ते डेली कम से कम 20 से 25 हजार लोग आते-जाते हैं। सबसे अधिक परेशानी स्कूल से आने वाले बच्चों को होती है। कई बार तो साइकिल से आने वाले बच्चे गिर जाते हैं।

मेवातीपुर रोड

आने-जाने वालों की संख्या- 25 से 30 हजार

नगर निगम से यह भी रोड लगभग एक किमी दूर है। यह शहर के लोगों को घोस कंपनी और रेती रोड पर लगे जाम से निजात दिलाने के लिए प्रमुख रोड है। यही नहीं नगर निगम के संक्रमण अस्पताल के ठीक पीछे एक स्कूल है, इस स्कूल के सामने रोड पर गड्ढे बन गए हैं। गड्ढों में सफर तय करने वाले मजबूर लोग इस रास्ते से जाने पर नगर निगम को कोसते रहते हैं।

माया बाजार रोड

आने-जाने वालों की संख्या- 50 हजार से एक लाख

शहर में रेती, घंटाघर, शाहमारूफ और गीता प्रेस मार्केट में अगर कोई जाना चाहता है तो इसी रास्ते का उपयोग करता है। लगभग दो साल पहले यह सड़क बनी थी, लेकिन सही रख-रखाव न करने और जल निकासी की व्यवस्था न करने पर गड्ढे बनने लगे हैं। घोस कंपनी से कुछ आगे बढ़ते ही गड्ढे दिखने शुरू हो जाते हैं। घोस कंपनी से 100 मीटर के रास्ते में 100 गड्ढे होंगे। यह रास्ता नगर निगम से एक से डेढ़ किमी दूर है।

कालिंग

नगर निगम के काम में बेईमानी नजर आती है। नगर निगम के लोग अपने घरों को पहले चमकाते हैं और शहर की गलियों के बारे में सोचते ही नहंी है। अगर किसी एरिया में दबंग नेता का घर है तो वहां की सड़क चकाचक दिखती है। अन्य एरिया में चलने लायक रोड नहीं है।

सुशील कुमार, प्रोफेशनल

नगर निगम के अधिकारी शहर में निकलते ही नहीं है। अगर शहर में निकलते तो कौन सी सड़क टूटी है, इसके बारे में जानकारी होती और योजना में उनको पहले बनवाते। लेकिन ऑफिस में बैठकर शहर का विकास करने वाले अधिकारी पब्लिक के लिए परेशानी खड़ी कर दे रहे हैं।

आफताब आलम, प्रोफेशनल

शहर की सड़कों की हालत बहुत खराब है। गोलघर की बात करें या किसी गली की। सभी सड़कों पर केवल गड्ढे ही गड्ढे हैं। लोगों को चलना मुश्किल हो गया है। बच्चों को सबसे अधिक परेशानी होती है।

राघवेंद्र यादव, प्रोफेशनल