- शहर के 50 वार्ड में सफाई की स्थिति पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सर्वे कर तैयार किया रिपोर्ट कार्ड

- ज्यादातर मोहल्लों में सफाई व्यवस्था का बुरा हाल, डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन योजना का भी पब्लिक को फायदा नहीं

GORAKHPUR: वार्डो के विकास के नाम पर नगर निगम के दावे और लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद शहर की हकीकत कुछ और ही नजर आती है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने वार्डो के विकास की सच्चाई पर लगातार एक महीने तक ग्राउंड रिपोर्ट पब्लिश की। इसमें पांच कैटेगिरी नाली, कूड़ा, बिजली, सड़क और आवारा पशु के आधार पर हर वार्ड का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया। इसके बाद निकली शहर की ओवरऑल स्थिति निकली अच्छी नहीं है। आज हम आपको दूसरी कैटेगिरी यानि वार्डो में कूड़ा निस्तारण की स्थिति के हालात बता रहे हैं। हाल ये है कि नगर निगम की डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन योजना के बावजूद ज्यादातर मोहल्लों में कूड़ा निस्तारण न के बराबर रह गया है। देखिए शहर में कड़े की समस्या का हाल।

छलका पब्लिक का दर्द

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के इस कैंपेन के दौरान पब्लिक ने भी बढ़-चढ़कर अपनी बात रखी। मोहल्ले की समस्याओं पर लोग खुलकर बोले और जिम्मेदारों को भी आड़े हाथ लिया। हालांकि कुछ जगहों पर पब्लिक की भी लापरवाही नजर आई।

50 वार्डो पर हुई रिसर्च

शहर के 50 वार्डो पर रिसर्च की गई। इनमें सिविल लाइंस प्रथम व द्वितीय, बेतियाहाता, धर्मशाला बाजार, दिलेजाकपुर, घोषीपुरवा, रुस्तमपुर, जटेपुर उत्तरी, जटेपुर रेलवे कॉलोनी, बसंतपुर, रायगंज दक्षिणी, तिवारीपुर, हाशुपुर आदि प्रमुख वार्ड शामिल हैं। रिसर्च में सामने आया कि शहर के ज्यादातर मोहल्लों में सफाई व्यवस्था में जिम्मेदारों की लापरवाही जारी है। हाल ये कि गली-मोहल्लों में कूड़े का अंबार लगा रहता है लेकिन सफाई कर्मचारी महीनों तक नहीं दिखते। अधिकतर एरियाज में यही हाल है।

डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन बस दिखावा

वैसे तो नगर निगम सफाई के नाम पर लाखों रुपए खर्च करता है, मगर हकीकत कुछ और ही है। शहर का शायद ही कोई ऐसा इलाका है, जहां मुकम्मल सफाई नजर आती हो। हर सुबह सफाई की महज औपचारिकता पूरी की जाती है वो भी सिर्फ खास इलाकों की सड़कों पर। शहर में 100 से अधिक ऐसी गलियां हैं जहां पिछले छह माह से कोई सफाई कर्मी गया ही नहीं है। वहीं नगर निगम अधिकारियों के पास भी फुरसत नहीं है कि वे मोहल्लों का निरीक्षण करें। ये हाल तब है जब शहर की सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए नगर निगम जनवरी 2015 में डोर-टू-डोर योजना चला रहा है। बावजूद इसके वार्डो में कूड़ा निस्तारण की वही पुरानी दयनीय स्थिति बनी हुई है।

सफाई में आया था 314वां नंबर

सफाई व्यवस्था में लापरवाही के चलते हमारे शहर की गंदगी को नगर विकास मंत्रालय ने भी प्रमाणित कर दिया है। मंत्रालय की ओर से जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट में गोरखपुर को देश के साफ शहरों की लिस्ट में 314वां स्थान मिला था।

वार्डो में कूड़े की स्थिति की रेटिंग

वार्ड 1 से 10 - 2

11 से 20 - 2

21 से 30 - 2.2

31 से 40 - 3

41 से 50 - 4

शहर की ओवर ऑल स्थिति

1 से 50 वार्ड में - 4

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सफाई पर इतना होता मंथली खर्च

- आउट सोर्सिग कर्मचारियों पर 1.45 करोड़ रुपए मंथली

- रेग्युलर सफाई कर्मियों पर 1.47 करोड़ रुपए मंथली

- 30 लाख रुपए डेली नगर निगम के डीजल पर होता है खर्च

- सफाई इंस्पेक्टर का मंथली वेतन खर्च 2.80 लाख रुपए

- 15 लाख रुपए मंथली अन्य खर्च

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फैक्ट फाइल

- नगर निगम के 70 वार्ड हैं।

- नगर निगम के हाउस टैक्स विभाग के साइट पर पर कुल 350 मोहल्ले दर्ज हैं।

- नगर निगम में कुल 2547 सफाई कर्मी हैं।

- इसमें 1742 आउट सोर्सिग सफाई और 805 रेग्युलर सफाई कर्मी हैं।

- सफाई व्यवस्था संभालने के लिए नगर निगम ने शहर को चोर जोन में बांट रखा है।

- इसमें 43 वार्ड की सफाई व्यवस्था ठेके पर है।

- 25 वार्ड सरकारी व्यवस्था के जरिए की जाती है।

- दो वार्ड की सफाई व्यवस्था रेलवे करता है

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कॉलिंग

नगर निगम कभी अपना काम सही से करता ही नहीं है। सड़क बनाता है तो अधूरा छोड़कर फरार हो जाता है। डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन भी ठीक से नहीं किया जा रहा है।

- आयुष सिंह, स्टूडेंट

सफाई को लेकर नगर निगम की कोई योजना शहर में दिखती ही नहीं है। अगर सफाई को लेकर नगर निगम योजना बनाता तो यह हालत नहीं रहती। डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन योजना भी हवा-हवाई साबित हुई है।

- गगन मिश्रा, सर्विसमैन

शहर में सफाई के नाम पर हो रही लापरवाही का असर मोहल्लों की गलियों में देखा जा सकता है। जगह जगह कूड़ा फैला रहता है लेकिन सफाई नहीं होती।

- किरन सिंह, हाउसवाइफ

बारिश का समय आ गया है, अगर नगर निगम ने सफाई का कार्य सही तरीके से नहीं कराया तो शहर में संक्रमण फैलना तय है।

- धर्मेद्र कुमार, दुकानदार