-स्कूलों में इंटरनेट सेफ्टी के टूल्स बताएगी पुलिस

-आगरा में नए प्रयोग को मिल रही सबकी सराहना

GORAKHPUR: सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग के साथ ही दुरुपयोग के खतरे भी बढ़ते जा रहे हैं। कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया पर एक्टिव होने से पैरेंट्स के लिए मुसीबत खड़ी हो रही है। इंटरनेट के इस्तेमाल में सावधानी के अभाव में स्कूल जाने वाले स्टूडेंट्स अनचाही चीजों से जुड़ जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर प्रतिबंधित सामग्री शेयर करने से बच्चों के साथ-साथ बड़ों की सांसत हो रही है। शिकायतें सामने आने पर यूपी पुलिस ने इसका उपाय खोज निकाला है। सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर बच्चों के बीच जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। स्कूलों में पुलिस टीम इंटरनेट सेफ्टी टूल्स की जानकारी देगी।

आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि जाने-अनजाने में सोशल मीडिया पर शेयर होने वाली चीजें किसी के लिए परेशानी का सबब बन सकती हैं। इसलिए बच्चों के साथ ही बड़ों को भी चाहिए कि इंटरनेट सेफ्टी टिप्स का ख्याल रखें।

Safety के लिएए age limit set

सोशल नेटवर्किग वेब साइट्स फेसबुक, ट्विटर, माई स्पेस, सेकेंड लाइफ और ब्लॉग होस्टिंग के लिए वेबसाइट्स को साइनअप करने के लिए न्यूनतम आयु की आवश्यकता होती है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ये आवश्यकताएं बच्चों की सुरक्षा के लिए होती हैं। इसलिए बच्चों के इंटरनेट यूज करने के दौरान कई ऐसे आप्शन आते हैं। लेकिन स्कूल जाने वाले छात्र और छात्राएं इंटरनेट यूज करने के दौरान झूठी सूचनाएं दर्ज कराकर तमाम साइट्स का इस्तेमाल करते हैं। छोटी क्लास के बच्चों के सोशल साइट्स पर एक्टिव होने से इंटरनेट के खतरे बढृ जाते हैं। ऐसे खतरों से बचाने के लिए स्कूलों में अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया जाएगा। आगरा में प्रयोग सफल होने के बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू करने की योजना बनी है।

इस तरह की देंगे जानकारी

- अभद्र, अपमानजनक मैसेज न भेजें, न ही उसका जवाब दें।

- कोई भी अपमानजनक मैसेज मिलने पर पैरेंट्स को जरूर बताएं।

- ऑनलाइन असहज करने वाली सामग्री मिलने पर पैरेंट्स और स्कूल टीचर से तुरंत बात करें।

- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, अन्य किसी इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर कोई आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट न करें।

- सोशल साइट्स पर किसी आपत्तिजनक सामग्री को शेयर न करें, उनको रिट्वीट करने से बचें जिनसे किसी की भावनाएं आहत हो सकती हैं।

- सोशल मीडिया, इंटरनेट पर लिखी जाने वाली सामग्री सिर्फ फ्रेंडस तक सीमित नहीं रहती। याद रखें कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आप लेखक और प्रकाशक दोनों हैं।

- स्कूल प्रोजेक्ट की जानकारी की खोज के लिए सुरक्षित और सटीक वेबसाइट्स के बारे में अपने लाइब्रेरियन, टीचर, पैरेंट्स से बात करें।

- पब्लिक लाइब्रेरी बहुत सारी जानकारी प्रदान करती है। यदि आप किसी स्कूल प्रोजेक्ट में ऑनलाइन जानकारी का उपयोग करते हैं, तब आप द्वारा यह स्पष्ट किया जाए कि आपको यह जानकारी कहां से मिली है।

- जब तक पैरेंट्स की अनुमति न हो, तब तक एक ऑनलाइन मित्र से मिलने के लिए सहमत न हों। कभी-कभी ऐसे व्यक्ति वो होने का दिखावा करते हैं जो वे नहीं होते हैं। याद रखें कि जो आप ऑनलाइन पढ़ते हैं, वह सारी सामग्री सच नहीं होती है।

- बिना पैरेंट्स की अनुमति के ऑनलाइन कोई कुछ भी नहीं खरीदना चाहिए। कुछ विज्ञापन आपको मुफ्त चीजों की पेशकश कर या कुछ जीतने का लालच दे आपकी व्यक्तिगत जानकारी जुटाने का प्रयास करते हैं।

वर्जन

सोशल मीडिया का यूज बहुतायत होने लगा है। ऐसे में कई आपत्तिजनक चीजें लोगों तक पहुंच जाती है। जानकारी के अभाव में ये चीजें वायरल हो जाती हैं। इस तरह की प्रॉब्लम से बचने के लिए स्कूल गोइंग स्टूडेंट्स को अवेयर करना बेहद जरूरी है।

-मोहित अग्रवाल, आईजी