- गोरखपुर की विकास यात्रा से परिचित कराती पुस्तक 'शहरनामा गोरखपुर' का सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया विमोचन

- गोरखपुर के इतिहास को बताया गौरवशाली, बुद्ध-कबीर की परंपरा का वाहक बताया

GORAKHPUR: कोई भी समाज तभी उन्नति कर सकता है जब वह अपने अतीत, परंपराओं और संस्कृति से परिचित हो। इतिहास राष्ट्र की आत्मा होती है और इतिहासकारों का काम ना केवल बड़ी जिम्मेदारी का है, बल्कि संवेदनशील भी है। एक इतिहासकार अपनी लेखनी के माध्यम से भावी पीढ़ी को अतीत को जानने का मौका भी देता है। यह बातें गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में पुस्तक 'शहरनामा गोरखपुर' का विमोचन करते हुए कहीं। दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित विमोचन समारोह में सीएम ने पुस्तक को जन महत्व का बताते हुए कहा कि ऐसे ग्रंथों के सृजन का कार्य निरंतर चलते रहना चाहिए। उन्होंने पुस्तक के संपादक डॉ। वेद प्रकाश पांडेय को उनके अनूठे प्रयास के लिए बधाई दी और कहा कि गोरखपुर महानगर के धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक इतिहास के बारे में बताने वाली यह पुस्तक युवा पीढ़ी के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

गोरखपुर में नहीं कोई कमी

इस दौरान सीएम ने कहा कि अगर गोरखपुर में कमी होती तो बाबा गोरखनाथ, बुद्ध और कबीर यहां नहीं आते। उन्होंने चुटीले अंदाज में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरजीत सिंह बरनाला से जुड़ी एक स्मृति साझा की। बताया कि पहली बार सांसद निर्वाचित होने के बाद जब वह केंद्रीय मंत्री बरनाला के पास फर्टिलाइजर के लिए गए तो बरनाला को सहसा यह भरोसा ही नहीं हो रहा था कि योगी गोरखपुर से चुने गए हैं। बरनाला के इस आश्चर्य के पीछे गोरखपुर को लेकर उनकी एक स्मृति थी। पूछने पर बरनाला ने बताया कि किस तरह गोरखपुर में एक सभा के दौरान बम चलने लगे और फिर वह दोबारा कभी वहां नहीं गए। इस स्मृति को साझा करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक समय था कि जब आमतौर पर दूसरे प्रांतों के मंत्री गोरखपुर नहीं आना चाहते थे। वजह, गोरखपुर की पहचान अपराध, लूट आदि से थी लेकिन अब ऐसा नहीं हैं। सीएम ने ने कहा कि अगर गोरखपुर में कमी होती तो न बाबा गोरखनाथ यहां धुनी रमाते, न ही कबीर अपने जीवन के आखिरी क्षणों में यहां आने का निश्चय करते। उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि हम अपने अतीत को जानें, गर्व करें और प्रेरणा लें।

सच्चा लेखन लोकतंत्र में ही संभव

समारोह में विशेष रूप से मौजूद साहित्य अकादमी के अध्यक्ष आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि इतिहास भावी पीढि़यों का मार्गदर्शन करता है। ऐसे में जरूरी है कि इसकी लेखन संवेदनशीलता के साथ हो। वास्तव में सही इतिहास लोकतंत्र में ही लिखा जा सकता है। उन्होंने लेखक अबुल फजल के लेखन पर अंग्रेज साहित्यकार विलियम की आपत्तियों का हवाला देते हुए कहा कि इतिहासकारों को चाटुकार नहीं होना चाहिए। पुस्तक विमोचन समारोह में पुस्तक के संपादक डॉ। वेद प्रकाश पांडेय ने पुस्तक लेखन के पीछे की कहानी को साझा किया तो पूर्वाचल विश्वविद्यालय, जौनपुर के पूर्व कुलपति प्रो। यूपी सिंह और वाणी प्रकाशन के अरुण माहेश्वरी ने पुस्तक को गोरखपुर के लिए धरोहर बताया। समारोह में स्वागत उद्बोधन कार्यक्रम संयोजक प्रो। राजवंत राव ने दिया।