- पांच शहरों में कॉर्मर्शियल टैक्स विभाग की एसआईबी के अधिकारी विजिलेंस जांच के घेरे में

- नियमों को दरकिनार कर एसआईबी अधिकारियों ने नहीं दी हर साल संपत्ति की जानकारी

- मंत्रियों से सेटिंग का फायदा उठाकर बना ली अकूत संपत्ति, कारोबारियों की शिकायतों लगता रहा अंबार

KANPUR: कॉमर्शियल टैक्स विभाग की एसआईबी के भ्रष्टाचार पर अब शासन की नजरें भी टेढ़ी हो गई हैं। पांच शहरों में कॉमर्शियल टैक्स विभाग की एसआईबी के भ्रष्ट अधिकारियों पर शिकंजा कसने के लिए उनके खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू कराने के आदेश शासन ने दिए हैं। जिसमें पंाच शहरों की एसआईबी के बड़े अधिकारी शामिल हैं। सस्पेंड किए जा चुके कानपुर में तैनात एडिशनल कमिश्नर केशव लाल भी इसमें शामिल हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो पिछली सरकार में इन अधिकारियों की विभाग में तूती बोलती थी। मंत्रियों से सेटिंग की वजह से कोई इन पर हाथ भी नहीं डालता था। जिसका फायदा उठाते हुए इन अधिकारियों ने अकूत संपत्ति बनाई। इस दौरान इनके खिलाफ व्यापारियों की शिकायतों का भी अंबार लगता गया।

शिकायतों पर अब एक्शन मोड में

कॉर्मशियल टैक्स विभाग के भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ लगातार मिलती आई हैं लेकिन इन अधिकारियों की शासन में पहुंच की वजह से उन पर पिछली सरकार में कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस दैरान उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भी करोड़ों की कमाई की। कानपुर में तैनात एडिशनल कमिश्नर केशव लाल के मामले में भी यही था कि उसकी लखनऊ में बैठे आलाधिकारियों तक कई शिकायतें पहुंची लेकिन पिछली सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री तक पहुंच की वजह से कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन अब केशव लाल और डीके वर्मा पर आईटी विभाग की कार्रवाई से लखनऊ में बैठे विभाग के आलाअधिकारी भी एक्शन मोड में आ गए हैं और भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ पिछली सरकार में आई शिकायतों का भी पता लगाया जा रहा है।

एसआईबी अधिकारी राडार पर

कॉमर्शियल टैक्स विभाग के एक सीनियर अफसर के मुताबिक मुरादाबाद, बरेली, गाजियाबाद, कानपुर और बनारस में तैनात 5 अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश हो चुके हैं। यह सभी अधिकारी विभाग की एसआईबी में ही तैनात हैं। सूत्रों की मानें तो केशव लाल के घर आईटी विभाग की छापेमारी के दौरान कानपुर में ही तैनात कॉमर्शियल टैक्स विभाग के एक अधिकारी से भी पूछताछ हुई थी।

नहीं दिया संपत्ति का ब्योरा

कॉमर्शियल टैक्स विभाग की एसआईबी में तैनात इन अधिकारियों ने सर्विस रूल्स के नियमों को भी दरकिनार किया। विभाग के अन्य अधिकारियों को जहां 5 साल में अपनी संपत्ति की घेाषणा करनी होती है। वहीं एसआईबी व सचल दस्तों के अफसरों व कर्मचारियों को हर साल अपनी संपत्ति बतानी होती है। लेकिन कानपुर समेत बाकी पांचों शहरों की एसआईबी के अधिकारियों ने संपत्ति की कोई जानकारी नहीं दी है। हालांकि उन पर बेनामी संपत्ति बनाने के कई आरोप लग चुके हैं।