- पटना सहित 8 जिलों में 5 लाख लोगों पर एक सरकारी डॉक्टर

- डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा प्रदेश का सरकारी अस्पताल

- प्रदेश के 10.50 करोड़ आबादी पर 6 हजार सरकारी डॉक्टर के पद स्वीकृत

- 3 हजार डॉक्टर बहाल, 50 प्रतिशत पद वर्षाें से पड़े हैं खाली

PATNA: प्रदेश की सरकारी स्वास्थ्य सेवा वेन्टिलेटर पर है। पद के सापेक्ष डॉक्टरों की संख्या काफी कम है। बिहार की लगाग क्0.भ्0 करोड़ आबादी पर म् हजार सरकारी डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं जिसमें पचास प्रतिशत पद खाली हैं। बात डॉक्टरों की तैनाती की करें तो प्रदेश में महज फ् हजार डॉक्टर की बहाल हैं जिससे पचास प्रतिशत पद वर्षो से खाली पड़े हैं। हालत ये है कि पटना और आस पास के 8 जिलों में भ् लाख लोगों की चिकित्सा सेवा एक सरकारी डॉक्टर पर निर्भर है।

- न्यायालय की हस्तक्षेप से बदहाल सेवा में बदलाव

न्यायालय के हस्तक्षेप से बिहार में सरकारी स्वास्थ्य सेवा की सेहत में सुधार की उम्मीद जगी है। राज्य सरकार का दावा है कि स्वास्थ्य सेवा में सुधार की कोशिश की जा रही है लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण लोगों को राहत नहीं मिल रही है। पटना, शिवहर, भोजपुर, शिवहर, मुंगेर, लखीसराय, नालंदा, जहानाबाद और शेखपुरा जिले में एक सरकारी डॉक्टर के जिम्मे भ् लाख लोगों के इलाज का जिम्मा है। डॉक्टरों की कमी के कारण सरकारी अस्पतालों में 7 दिन ख्ब् घंटे इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने की योजना सफल नहीं हो पा रही है। सर्वाेच्च न्यायालय ने देश भर के सरकारी महकमों में मानव बल की कमी पर सवाल खड़ा कर कार्यप्रणाली में सुधार करने को निर्देश दिया है।

- ये है स्वास्थ्य सेवा की तस्वीर

- प्रदेश की क्0.भ्0 करोड़ आबादी के लिए म्ख्म्क् डॉक्टर के पद स्वीकृत

- फ्क्भ्ब् डॉक्टर ही हैं प्रदेश में कार्यरत

- प्रदेश में संविदा पर ख्फ्क्ब् पद स्वीकृत किए गए पर इस पर लोग इच्छुक नहीं हुए

- संविदा पर बहाल 8भ्ख् डॉक्टर ही सरकारी अस्पतालों में सेवा दे रहे हैं

- क्फ्फ् पीएचसी को फ्0 बेड के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के तौर पर विकसित किया गया

- एक नजर में सरकारी अस्पताल

मेडिकल कॉलेज : 9

जिला अस्पताल : फ्म्

अनुमंडल अस्पताल : भ्भ्

रेफरल अस्पताल : 70

प्राथमिक स्वा केन्द्र : भ्फ्फ्

स्वास्थ्य उप केन्द्र : 97ख्9