केमिकल एंड फर्टिलाइजर मिनिस्टर अनंत कुमार कहना है कि एनपीपीए द्वारा नी इम्प्लांट पर की गई कैपिंग का फैसला तुरंत प्रभाव से लागू हो जाएगा। उनका कहना है कि सरकार के इस फैसले से मरीजों के 1500 करोड़ रुपए की बचत होगी। बता दें कि इसके पहले एनपीपीए द्वारा हार्ट सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले स्टेंट की कीमतों को भी प्राइस कंट्रोल के दायरे में लाया गया था। इसके लिए जहां पहले मरीजों को 1.5 से 2 लाख रुपए देने पड़ रहे थे, अब अधिकतम कीमत 47 हजार रुपए कर दी गई थी। 


असल में ऐसी शिकायतें मिली थीं कि नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए अभी अभी अस्पताल, इंपोर्टर्स और डिस्ट्रीब्यूटर आपस में मिलकर 449 परसेंट तक मुनाफा कमा रहे हैं। जानकारी के अनुसार इस सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले इम्प्लांट के इंपोर्टर्स को करीब 76 परसेंट तक फायदा होता है। जबकि, इसमें डिस्ट्रीब्यूटर को 100 परसेंट से ज्यादा और अन्य मार्जिन के रूप में करीब 102 परसेंट तक फायदा होता है। इन सबका बोझ मरीजों पर डाल दिया जाता है।

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