-इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित वर्कशॉप में एक्सप‌र्ट्स ने बताईं GST की बारीकियां

VARANASI

जीएसटी के लागू होने से उद्यमी और व्यापारियों में अब भी भ्रम की स्थिति है.ऐक्ट को लेकर तमाम शंकाएं हैं। इन्हीं तमाम डाउट को दूर करने के लिए शनिवार को दी इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इंडिया वाराणसी ब्रांच की ओर से कैंटोनमेंट स्थित एक होटल में जीएसटी पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसमें चार्टर्ड एकाउंटेंट ने व्यापारियों की शंकाओं का समाधान किया। दिल्ली से आए सीए आशु डालमिया ने कहा कि जीएसटी ने सिर्फ टैक्स पेमेंट करने की प्रणाली को बदला है बल्कि व्यापार करना और भी आसान होगा। रिटर्न भरने में कोई दिक्कत न हो इसके लिए फायनेंसियल ईयर समाप्त होने के बाद भी रिकॉर्ड रखना जरूरी है। टैक्स की पूरी चेन को विस्तृत रूप से समझाया। रजिस्टर्ड व्यापारी का जीएसटी में माइग्रेशन, रजिस्टर्ड समेत अन्य जानकारी भी दी। कई कारोबारियों ने पूछकर अपनी शंकाओं का समाधान भी किया।

छोटे व्यापारियों को दी गयी है छूट

छोटे व्यापारियों को जीएसटी से विशेष छूट दी गई है। डेढ़ करोड़ तक का कारोबार करने वालों एचएसएन कोड नहीं देना है। डेढ़ से पांच करोड़ तक दो अंक का एचएसएन का चैप्टर कोड डालना है। इसके पूर्व आइसीडीएस पर आयोजित सेमिनार में इंदौर से आए मुख्य वक्ता सीए पंकज शाह ने कहा कि एक अप्रैल से इनकम टैक्स कंप्यूटेशन एंड डिस्क्लोजर स्टैंडर्ड लागू कर दिया गया है। अब रिटर्न भरते समय टैक्स की गिनती आईसीडीएस के तहत होगी। सेमिनार में सीए राजीव सिंह, मुकेश सिंह कुशवाहा, बृजेश जायसवाल, जीडी दुबे आदि रहे। सेशन का इनॉगरेशन एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल सेठ, अध्यक्षता एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मनोज अग्रवाल और संचालन संजीव श्रीवास्तव ने किया।