ज्वैलरी पर 'जीएसटी’ रेट 3 परसेंट रहेगा। यह फिलहाल लग रहे रेट से थोड़ा ही ज्यादा है, दोनों के बीच का अंतर बहुत बड़ा नहीं है। रफ डायमंड्स पर 0.25 परसेंट टैक्स लगेगा। 'जीएसटी’ में डायमंड, प्रीशियस और सेमी-प्रीशियस स्टोन्स, गोल्ड, प्लैटिनम जैसे बाकी प्रीशियस मेटल्स से रिलेटेड जॉब वर्क पर 5 परसेंट टैक्स लगेगा।

 

कम्पोजीशन स्कीम
ज्वैलरी रीटेलर्स और मैन्युफैक्चरर्स के लिए कंपोजीशन स्कीम अवेलेबल है, अगर उन्हें नोटिफिकेशन के जरिए खासतौर पर बाहर नहीं रखा जाता. कंपोजीशन स्कीम का रेट रीटेलर्स के लिए 1 परसेंट और मैन्युफैक्चरर्स के लिए 2 परसेंट होगा. हो सकता है कि कंपोजीशन स्कीम बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित न हो क्योंकि यहां रेट्स के बीच अंतर बहुत कम है। कंपोजीशन स्कीम में इनपुट क्रेडिट्स भी अवेलेबल नहीं होंगे।

 

जॉब वर्क

अगर मटीरियल एक साल के अंदर रिटर्न नहीं किया जाता तो 'जीएसटी’ जॉब वर्कर से हुए इनपुट्स के पहले ट्रांजैक्शन पर लगाया जाएगा, इसके साथ इंटरेस्ट भी लगा होगा।

कितनी वैल्यू पर लगेगा टैक्स: बिकी हुई ज्वैलरी पर लगा टैक्स ही उसका वैल्यू होगा।

सप्लाई की जगह: जहां गुड्स स्टेट के अंदर ही बेचे जाएंगे, वहां सेंट्रल जीएसटी (सीजीएसटी) और स्टेट जीएसटी (एसजीएसटी) लागू होगा। जहां गुड्स स्टेट के बाहर बेचे जाएंगे, वहां इंटिग्रेटेड जीएसटी (आईजीएसटी) लागू होगा।

सप्लाई का वक्त: इनवॉइस की तारीख या पेमेंट की तारीख में से जो पहले होगी, वह सप्लाई का वक्त होगा।

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एग्जिबीशन के लिए भेजी गई ज्वैलरी
हो सकता है कि ज्वैलरी को किसी एग्जिबीशन या एक्स्पो में दिखाया जाए। ऐसी एग्जिबीशन अगर उसी स्टेट में होती है जहां ज्वैलर रजिस्टर्ड है तो उसे इसके अलावा और कोई रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर एग्जिबीशन किसी दूसरे स्टेट में है तो

ज्वैलर को 'कैजुअल टैक्सेबल पर्सन’ की तरह रजिस्ट्रेशन कराना होगा। एग्जिबीशन शुरू होने से 5 दिन पहले यह हो जाना चाहिए। 'जीएसटी’ एडवांस में देना होगा। अगर कहीं रीफंड क्लेम करने की सिचुएशन सामने आती है तो इसकी इजाजत तब ही होगी जब नियम के मुताबिक सारे रिटन्र्स भरे गए होंगे।


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रिवर्स चार्ज
नॉर्मली 'जीएसटी’ उसपर लागू होता है जो गुड्स बेचता है या सर्विस प्रोवाइड कराता है पर कुछ केसेज में यह रिवर्स चार्ज पर भी लागू होता है। इसका मतलब यह हुआ कि 'जीएसटी’ सर्विस रिसीव करने वाले को या माल खरीदने वाले को चुकाना होगा। इस तरह का केस उस वक्त सामने आ सकता है जहां माल बेचने वाला या सर्विस मुहैया कराने वाला 'जीएसटी’ के अंडर रजिस्टर्ड न हो और माल खरीदने वाला या सर्विस रिसीव करने वाला रजिस्टर्ड हो।


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कहां लागू होगा रिवर्स चार्ज?
आइए कुछ उदाहरणों के जरिए जानते हैं कि कहां ज्वैलर्स पर लागू होगा रिवर्स चार्ज...

 

-    यह इस इंडस्ट्री में बहुत नॉर्मल सी चीज है कि आम लोग अपनी ज्वैलरी ज्वैलर्स को बेचते हैं। ऐसे ट्रांजैक्शन पर रिवर्स चार्ज के अंडर 'जीएसटी’ लागू होगा।

-    जहां ज्वैलर का जॉब वर्कर रजिस्टर्ड नहीं होगा वहां ज्वैलर को रिवर्स चार्ज के अंडर जॉब वर्क पर 'जीएसटी’ देना होगा।

-    जहां कोई ज्वैलर ज्वैलरी बनाने के लिए किसी ऐसे कारीगर की सर्विस लेगा जो उसका कर्मचारी नहीं होगा, वहां रिवर्स चार्ज के अंडर कारीगर की तरफ से चार्ज किए गए अमांउट पर ज्वैलर को 'जीएसटी’ देना होगा।

-    जहां ज्वैलर का जॉब वर्कर रजिस्टर्ड नहीं होगा वहां ज्वैलर को रिवर्स चार्ज के अंडर जॉब वर्क पर 'जीएसटी’ देना होगा।

 

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