AHMEDABAD: साल 2015 में पाटीदार आंदोलन के दौरान इंटरनेट सेवा ठप रहने के बाद अंजना ब्रह्मभट्ट ने एयरटेल से 44.50 रुपए वापस मांगे, लेकिन कंपनी ने इनकार कर दिया। अंजना ने एयरटेल पर केस कर दिया और वह जीत गईं। थलतेज निवासी अंजना ब्रह्मतेज ने आंदोलन के दौरान 10 दिनों तक ठप रही इंटरनेट सेवा के बदले आठ दिन की वैलिडिटी बढ़ाने या 44.50 रुपए वापस करने की मांग की। हालांकि, कंपनी ने उनकी एक नहीं सुनी और अंजना उपभोक्ता विवाद समाधान फोरम चली गईं।

 

बंद की गई थी इंटरनेट सेवा
वकील मुकेश पारीख के मुताबिक, अंजना ने 5 अगस्त 2015 को 178 रुपए में 28 दिनों की वैलिडिटी के साथ 2जीबी का डेटा पैक लिया था। हालांकि, आंदोलन की वजह से शहर में 26 अगस्त से 4 सितंबर 2015 तक इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई। उन्होंने कहा कि अंजना ने एयरटेल से आठ दिन के लिए सर्विस एक्सटेंड करने या 44.50 रुपये रिफंड करने का आग्रह किया। लेकिन, वह (कंपनी) इसके लिए राजी नहीं हुई। ऑल इंडिया कन्ज्यूमर प्रॉटेक्शन और ऐक्शन कमिटी के प्रेजिडेंट पारीख ने कहा कि हमने कई अखबारों में ऐड देकर बताया कि आंदोलन के वक्त इंटरनेट कट के बदले सर्विस विस्तार या पैसे वापस नहीं किए जाने की सूरत में हम मुफ्त में मुकदमा लड़ेंगे। अंजना को इसका पता चला और वह हमारे पास आईं।

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उधर, कोर्ट में एयरटेल का पक्ष रखते हुए वकील नेहा परमार ने कहा कि टेलिग्राफ ऐक्ट 7(बी) के मुताबिक उपभोक्ता अदालत को मकुदमे की सुनवाई का अधिकार ही नहीं है। उनका तर्क था कि केस आर्बिट्रेशन ऐक्ट के तहत फाइल होना चाहिए जो फोरम में नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि एयरटेल एक कॉर्पोरेट बॉडी है और उसने कमी, लापरवाही या गलत व्यापारिक तिकड़म के तहत सर्विसेज नहीं रोकी, बल्कि उसने सरकार का आदेश माना।

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नहीं मिला कानूनी खर्च
हालांकि, कंज्यूमर कोर्ट ने यह केस उसके अधिकार क्षेत्र में आता है और आंशिक रूप से शिकायत करने का मौका दे दिया। अंजना ने मानसिक प्रताडऩा के लिए 10,000 रुपए और कानूनी खर्च के लिए 5,000 रुपए का दावा किया। इसके लिए कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट सर्विस सार्वजनिक कारण से रोकी गई थी। यह कंपनी के नियंत्रण में नहीं थी। इसलिए, मानसिक प्रताडऩा और कानूनी खर्च का मुआवजा नहीं दिया जा सकता। हालांकि, उसने कंपनी को 44.50 रुपए पर 12 परसेंट ब्याज के साथ 55.18 रुपए देने का आदेश दे दिया।

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