40 साल पुराना मामला कोर्ट में हुआ पेश, महानिबन्धक व सचिव से जवाब तलब

हाई कोर्ट में ही खर्च होने के लिए आए दो करोड़ रुपए वित्तीय वर्ष के अंत में रह गए थे शेष

कानून अपनी जगह है और सिस्टम अपनी जगह। दोनो को अपने-अपने काम के प्रति इमानदार होना बेहद जरूरी है। इसका एक बेहतर उदाहरण सामने आया हाई कोर्ट इलाहाबाद में। करीब 41 साल पहले आये बजट का खर्च नहीं हुआ दो करोड़ रुपया मांगने के लिए केन्द्र सरकार कोर्ट की शरण में पहुंची तो कोर्ट ने भी इस पर महानिबंधक और सचिव से जवाब तलब कर लिया। पूछ लिया कि किस कानून के तहत वित्तीय वर्ष बीत जाने के बाद सरकार से प्राप्त धन वापस न कर हाईकोर्ट अपने पास रख सकता है। यह आदेश जस्टिस अरुण टण्डन तथा जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की खण्डपीठ ने भारत संघ की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता तरुण अग्रवाल व हाईकोर्ट के अधिवक्ता मनीष गोयल व ने पक्ष रखा। याचिका की सुनवाई 30 अगस्त को होगी।

कोर्ट ने कहा

खर्च से बचा धन केंद्र के संचित निधि खाते या राज्य के लोक निधि खाते में वापस किया जा सकता है

राज्य सरकार से भी पूछा है कि सरकार का खर्च से बचा धन किस उपबन्ध के तहत विभाग रख सकता है या वापस कर सकता है

कोर्ट ने बिना खर्च हुए धन को अपने पास रखने को गंभीर मुद्दा माना है

सभी विभागों से वित्तीय अनुशासन पर अमल करने की उम्मीद जाहिर की

हाईकोर्ट अन्य विभागों से भिन्न नहीं है

1976 में आया था फंड

भारत सरकार ने 1976 में हाईकोर्ट को फण्ड दिया था

इस धन का इस्तेमाल हाई कोर्ट के कार्यो में किया गया

इसमें से दो करोड़ रुपये वित्तीय वर्ष के अंत तक बचे रह गए

इस धन को को केन्द्र सरकार को लौटाया ही नहीं गया

धन न मिलने पर भारत संघ ने दायर की है याचिका