एक हिंदू संगठन की याचिका पर हुई सुनवाई
जानकारी है कि फिल्म को लेकर आपत्ति पर 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' नाम के संगठन ने याचिका दर्ज कराई थी। कोर्ट ने इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए एक्शन लिया है। इस क्रम में इलाहाबाद कोर्ट ने सेंसर बोर्ड को लिखित रूप में इस बात का जवाब मांगा है कि बोर्ड की ओर से फिल्म में ऐसी आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल की छूट कैसे दे दी गई। फिल्म की झलकियों को सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों पर दिखाया जा रहा है। कोर्ट ने इसपर भी सवाल उठाया है कि इन  झलकियों को बोर्ड की स्वीकृति मिली भी है या नहीं।

कोर्ट ने दिया समय
कोर्ट की ओर से सेंसर बोर्ड को अपना पक्ष रखने के लिए सिर्फ 30 जून तक का समय दिया गया है। इसके अंदर ही बोर्ड को अपना जवाब कोर्ट में प्रस्तुत करना होगा। इसके अलावा शिकायतकर्ता ने अपनी याचिका में इस बात का भी दावा किया है कि फिल्म ने समाज के नैतिक मानदंडों की पूरी तरह से धज्जियां उड़ाई हैं। उनका उल्लंघन किया है। फिल्म में अभद्र और अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया गया है। इससे करोड़ों लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है। ऐसे में फिल्म और उसके प्रोमोज़ पर प्रतिबंध लगाना ही एकमात्र रास्ता है।
 
यह है विवादित
बता दें कि फिल्म 'मोहल्ला अस्सी' लेखक व उपन्यासकार काशीनाथ सिंह के हिंदी उपन्यास 'काशी का अस्सी' पर आधारित है। फिल्म में सनी देओल संग साक्षी तंवर व रवि किशन भी मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे। फिल्म की झलकियों को लेकर बता दें कि उसमें भगवान शिव का रूप धरे एक व्यक्ति को भी गाली देते दिखाया गया है। उधर, काशीनाथ सिंह ने भी खुद इस बात को कहा है कि फिल्म में भगवान शिव का गाली देना किसी भी कीमत पर उचित नहीं दिखाई दे रहा है। उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया कि उनके उपन्यास में कहीं भी इस तरह के उपशब्द को कोई जिक्र नहीं है।

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