RANCHI : निरंतर तापमान का कहर और पानी को मोहताज होता शहर। पारा चढ़ा तो पानी नीचे चला गया। जहां पानी है वहां लंबी कतार है और जहां नहीं है वहां निगम के टैंकर का इंतजार है। राजधानी में पानी की कमी टाट में पैबंद नजर आती है, शाम भले की खुशनुमा हो, लेकिन दोपहर पानी को तरसाती है। राजधानी के कमोबेश सभी मोहल्लों में पानी की किल्लत नगर निगम के दरवाजे पर दस्तक दे चुकी है। निगम की ओर से व्यवस्थाओं के अनुकूल इंतजाम का दावा भी किया जा रहा है, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है। अब तक चुनाव थे तो रहनुमा अधिकारी थे, लेकिन अब मोहल्ले के नये नेतृत्व से अब ये सवाल पूछे जाएंगे।

बढ़ जाएगी जवाबदेही

इधर निगम चुनाव के नतीजे आये उधर गर्मी अपने तेवर दिखा रही है। चुनावी नतीजों के बाद पार्षदों पर जवाबदेही ज्यादा बढ़ गई है। चुनाव के दौरान जिन मोहल्लों में पानी पिलाने का जिम्मा नगर निगम का था अब वह पार्षदों के खाते में आ गया है। कई वार्ड में नये पार्षद हैं तो कई में पुराने। नये पार्षदों के लिये चुनौतियां ज्यादा हैं क्योंकि वे अभी निगम की कार्यशैली से भी वाकिफ नहीं है। इधर जनता का दबाव है तो उधर जानकारी का अभाव। परिसीमन के बाद 53 हो गए हैं, लेकिन मोहल्ले आज भी पानी के लिये मोहताज हैं।

अभी क्या है इंतजाम

नगर निगम की ओर से हर दिन वार्ड की सूची जारी की जाती है कि किस वार्ड में कितने बार पानी का टैंकर जायेगा और किस मोहल्ले में सप्लाई होगी। निगम की ओर से सीमित संसाधनों के बावजूद प्रयास किया जा रहा है कि हर वार्ड में पानी मुहैया कराया जाये लेकिन नियमित पानी की आपूर्ति नहीं होने से कई लोगों में नाराजगी भी है।